Ambala Lok Sabha Election 2024 News: अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रहे रतन लाल कटारिया के मई 2023 में निधन के बाद से ये सीट खाली है. ऐसे में अब इस संसदीय सीट की जनता अपने नए एमपी का बेसब्री से इंतजार कर रही है.
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Ambala Lok Sabha Election 2024: पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी. पिछले साल सांसद रतन लाल कटारिया के निधन से अंबाला सीट खाली है. ये हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है. अंबाला लोकसभा में 9 विधानसभा आती हैं. यहां पहला चुनाव 1952 में हुआ. यहां बीजेपी (पूर्व में जनसंघ) और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होता आया है. इसकी सीमाएं पंजाब और हिमाचल से लगी हुई हैं. कभी इसका दायरा पंजाब-हिमाचल प्रदेश तक फैला था. तब इसे अंबाला-शिमला लोकसभा सीट कहा जाता था. यह हरियाणा की इकलौती सीट है, जो शुरुआत से अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित रही है.
अंबाला लोकसभा सीट की जानकारी
यहां अंबाला और यमुनानगर जिलों के 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. कालका, पंचकुला, अंबाला शहर, अंबाला कैंट, नारायणगढ़, मुलाना, साढौरा, जगादरी और यमुनानगर विधानसभा सीटे हैं. यमुनानगर, जगाधरी व साढौरा अंबाला लोकसभा क्षेत्र में आते हैं. अंबाला शहर, अंबाला छावनी, पंचकूला, जगाधरी, यमुनानगर विधानसभा में बीजेपी विधायक हैं. वहीं कालका, नारायणगढ़, साढ़ौरा, मुलाना विधानसभा में कांग्रेस के विधायक है.
अंबाला लोकसभा में कुल मतदाता करीब 17 लाख हैं. अंबाला लोकसभा में 1952 और 1957 के चुनावों में दो लोकसभा क्षेत्र थे, जिनमें एक सामान्य वर्ग के लिए था और दूसरा आरक्षित वर्ग के लिए था. ये एक बड़ी सीट है. यमुनानगर जिला, अंबाला व कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के दायरे में आता है.
1952 से 2019 तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में से 9 में कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि 5 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. 2 बार जनता पार्टी और एक बार बहुजन समाजवादी पार्टी ने यहां से जीत हासिल की है.
2019 के आम चुनावों में अंबाला से बीजेपी के रतन लाल कटारिया 2019 में जीते थे. वो जुलाई 2021 तक केंद्रीय राज्य मंत्री भी रहे. 18 मई 2023 को कटारिया का निधन होने से ये सीट 10 महीने से खाली है. यहां 17 बार लोकसभा का चुनाव हो चुका है. कांग्रेस के राम प्रकाश यहां से चार बार सांसद चुने गए हैं.
बीजेपी के सूरजभान भी यहां से चार बार एमपी रह चुके हैं. बीजेपी के रतनलाल कटारिया यहां से 3 बार सांसद रहे. तो कांग्रेस की कद्दावर दलित नेता कुमारी शैलजा यहां से 2 बार एमपी रहीं. केवल एक बार बीएसपी ने अंबाला लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की.
1994 में दो साल तक नहीं हुआ था उपचुनाव
आपको बताते चलें कि अप्रैल 1994 में जब अंबाला लोकसभा सीट से तत्कालीन सांसद कांग्रेस के राम प्रकाश का निधन हुआ था, तब भी पूरे दो साल पर उपचुनाव नहीं कराया गया था. हालांकि तब कानून में सांसद के निधन के 6 महीने में उपचुनाव कराने का प्रावधान नहीं था जो 1996 में डाला गया था.
2024 में किसके-किसके बीच मुकाबला?
2019 में बीजेपी के विजेता सांसद कटारिया के निधन के बाद यहां बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था. वहीं कांग्रेस से कुमारी शैलजा भी पहले से बड़ी जिम्मेदारी संभाल रही हैं और वो विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. बीजेपी की बात करें तो उसने रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को टिकट दी है.
वहीं कांग्रेस शैलजा के चुनाव न लड़ने पर मुलाना से कांग्रेस विधायक वरुण मुलाना या डॉक्टर कपूर सिंह को टिकट दे सकती है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन हो चुका है. आप को पिछले महीने फरवरी में हरियाणा में एक सीट (कुरुक्षेत्र) मिली है. वहीं बाकी 9 सीट पर कांग्रेस लड़ेगी. ऐसे में इस बार अंबाला सीट पर AAP कैंडिडेट नहीं होगा. वहीं BSP भी हर बार की तरह इस बार भी यहां से कैंडिडेट उतारेगी या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता है.
जातिगत समीकरण
यहां करीब 17 लाख वोटर्स हैं. 2019 में बीजेपी पहले, कांग्रेस दूसरे और बीएसपी तीसरे पायदान पर रही थी. यहां साढ़े चार लाख रविदासीय और एक लाख बाल्मिकी समाज के मतदाता हैं. इस सीट पर आरक्षित होने के कारण जाट मतदाता कम हैं. OBC और पंजाबी वोटर्स यहां प्रभावशाली हैं. अंबाला सीट पर डेरा सच्चा सौदा, राधास्वामी और निरंकारी जैसे आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्रों के अनुयायियों का अच्छा-खासा प्रभाव है.
BJP-कांग्रेस दोनों इसे पारंपरिक सीट मानती है. इनेलो (INLD) का वोट बैंक कुछ खिसका है. जजपा (JJP) क्या करेगी ये साफ नहीं है? 2014 से पहले BJP का जनाधार ग्रामीण इलाकों में कम था लेकिन अब वहां भी पार्टी मजबूत स्थिति में है. कांग्रेस का भी काडर वोट बैंक यहां है, जो खेमों में बंटा है.
अंबाला लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास : कब किस पार्टी से कौन रहा सांसद?
(सोर्स : चुनाव आयोग)
साल | विजेता | पार्टी |
1952 | टेक चंद्र | कांग्रेस |
1957 | सुभद्रा जोशी और चुन्नीलाल | कांग्रेस |
1962 | चुन्नीलाल | कांग्रेस |
1967 | सूरजभान | जनसंघ |
1971 | राम प्रकाश | कांग्रेस |
1977 | सूरजभान | जनता पार्टी |
1980 | सूरजभान | बीजेपी |
1984 | राम प्रकाश | कांग्रेस |
1989 | राम प्रकाश | कांग्रेस |
1991 | राम प्रकाश | कांग्रेस |
1996 | सूरजभान | बीजेपी |
1998 | अमन कुमार नागरा | बीएसपी |
1999 | रतन लाल कटारिया | बीजेपी |
2004 | कुमारी शैलजा | कांग्रेस |
2009 | कुमारी शैलजा | कांग्रेस |
2014 | रतन लाल कटारिया | बीजेपी |
2019 | रतन लाल कटारिया | बीजेपी |
2024 | ????? | ????? |
कौन मारेगा बाजी?
2024 में बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे, राममंदिर, धारा 370 और यूसीसी जैसे दशकों पुराने वायदे पूरे करने के नाम पर जनता के बीच जाएगी. BJP को रतनलाल कटारिया की सीट पर मतदाताओं की सहानुभुति मिलने की उम्मीद है. वहीं कांग्रेस, मंहगाई-बेरोजगारी और एंटी इनकंबेसी की आस में जनता के बीच जाएगी.
स्थानीय मुद्दे
अंबाला साइंस उपकरणों के निर्माण का बड़ा केंद्र है. इसे साइंस सिटी का दर्जा दिलाने की मांग अबतक अधूरी है. यहां यमुनानगर से वाया रादौर कुरुक्षेत्र तक रेललाइन नहीं बन सकी. अंबाला में यमुनानगर-चंडीगढ़ वाया नारायणगढ़ रेल लाइन बिछाने की मांग भी बड़ी पुरानी है.
'पर्यटन के क्षेत्र में खास-सांसद न होने का जनता को नुकसान'
अंबाला शहर हरियाणा और पंजाब के सीमा के करीब स्थित है. अंबाला मिक्सी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है. भौगोलिक स्थिति के कारण टूरिज्म सेक्टर में भी अंबाला की अलग अहमियत है. ऐसे में जब यहां 10 महीने से सांसद नहीं है तो विकास के काम रुके पड़े हैं. अंबाला उपचुनाव न होने से इस लोकसभा क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए अंबाला लोकसभा सांसद को एमपीलैड्स (संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना) के अंतर्गत वार्षिक स्वीकृत होने वाले 5 करोड़ रुपये नहीं मिले. ऐसे में सांसद के खर्च से होने वाले विकास कार्य नहीं होने का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा.