Arvind Kejriwal Arrested: तब बस में ले गई थी पुलिस... 13 साल में कैसे जेल के दरवाजे पर पहुंच गए केजरीवाल?
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Arvind Kejriwal Arrested: तब बस में ले गई थी पुलिस... 13 साल में कैसे जेल के दरवाजे पर पहुंच गए केजरीवाल?

Lok Sabha Chunav Arvind Kejriwal: अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी से पढ़ाई की. अधिकारी बने लेकिन मन में कुछ अलग करने की ललक थी. नौकरी छोड़ एक्टिविस्ट बन गए. प्रोटेस्ट किया. अन्ना हजारे का दिल्ली में बड़ा प्रोटेस्ट हुआ. तब कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लग रहे थे. अलग माहौल बना. जल्द ही वह राजनीति में सफलता की सीढ़ियां चलने लगे. लोकसभा चुनाव के समय गिरफ्तारी के बाद वो कहानी फिर याद आ रही है.

Arvind Kejriwal Arrested: तब बस में ले गई थी पुलिस... 13 साल में कैसे जेल के दरवाजे पर पहुंच गए केजरीवाल?

Arvind Kejriwal Latest News Hindi: 'कांग्रेस- बीजेपी भाई-भाई, देश बेचकर खाई मलाई...' यही नारा तब अरविंद केजरीवाल ने दिया था. ऐसे कई नारे लिखे जैकेट पहनकर केजरीवाल के साथी सड़क पर निकले थे. 2011-12 के वीडियो देखिए. केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और दिल्ली में प्रदर्शनों का दौर चल रहा था. कोलगेट (कोयला आवंटन घोटाला) की खबरें आईं तो एक दिन 'इंडिया अगेस्ट करप्शन' ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और नितिन गडकरी का घेराव करने का ऐलान कर दिया. सड़क पर निकल पड़े केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास. उस वीडियो में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण भी दिखाई देते हैं जो अब अलग हो चुके हैं. कुमार विश्वास भी केजरीवाल पर निशाना साधते रहते हैं. तब अगस्त के महीने में केजरीवाल पसीने-पसीने हो गए थे. बड़ी संख्या में पुलिस बल सड़क पर था. झड़प हुई. भीड़ को रोकने के लिए पानी की बौछार की गई. कुछ देर बाद केजरीवाल को हिरासत में ले लिया गया. 

खिड़की के पास बैठे केजरीवाल

उस दिन केजरीवाल बस में खिड़की के पास बैठे थे. मुट्ठी बांधकर कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे थे. सिसोदिया और विश्वास बस के ऊपर चढ़ गए. हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों को पुलिस पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने ले गई थी. उस दिन वहां भारी भीड़ जुटी थी. लोगों के हाथों में तब केवल तिरंगा दिखाई देता था.

...और बन गए 'मफलरमैन'

टोपी का दौर बाद में आया. 'मैं अन्ना हूं' की तर्ज पर 'मैं भी केजरीवाल' टोपी आई और अरविंद केजरीवाल सियासत की सीढ़ियां चढ़ने लगे. अन्ना हजारे के आंदोलन से उन्हें एक बड़ा मंच और पहचान मिली. तब अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के भी बहुत कम लोग जानते थे. हालांकि रेमन मैग्सेसे पुरस्कार उन्हें 2006 में ही मिल चुका था. अन्ना के साथ दिखने से उनका सियासी कद तेजी से बढ़ा. दुबले पतले, चश्माधारी, मफलर पहने नेता अरविंद केजरीवाल आगे चलकर ‘मफलरमैन’ कहे जाने लगे. (वीडियो देखिए)

गर्दिश में सितारे

‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले केजरीवाल के सितारे अब गर्दिश में हैं. India Against Corruption देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा हुआ मूवमेंट है. 2011-12 में यह काफी चर्चा में रहा. इसी से निकले केजरीवाल लगातार तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने लेकिन कुछ घंटे पहले ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार कर लिया. केजरीवाल का करियर नौकरशाह से कार्यकर्ता फिर सियासी नेता के रूप में उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. 

एक दशक में भाजपा-कांग्रेस से ली टक्कर

2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से केजरीवाल उभरे थे. अगले ही साल गांधी जयंती पर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ‘आप’ की स्थापना की. महज 12 साल में केजरीवाल ने अपने दम पर AAP को भाजपा और कांग्रेस के बाद बड़ा राष्ट्रीय दल बना दिया. ‘आप’का असर न केवल दिल्ली और पंजाब में है बल्कि सुदूर गुजरात और गोवा में भी देखने को मिला. केजरीवाल को उनके 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' के दिनों में नेताओं ने वास्तविक राजनीति का स्वाद चखने के लिए सक्रिय राजनीति में आने की चुनौती दी थी. 

पढ़ें: जेल में रहे केजरीवाल तो लोकसभा चुनाव में क्या होगा?

जब वह राजनीति में आए तो स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों को अपनी राजनीति और शासन के केंद्र में रखने में कामयाब रहे. हालांकि उनके विरोधियों ने लोकपाल के अपने वादे को छोड़ने के लिए उनकी आलोचना की. केजरीवाल 2011 में कांग्रेस की यूपीए सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों और जनता के व्यापक गुस्से के कारण एक कार्यकर्ता के रूप में उभरे थे. 

उन्होंने अब भी देश में स्वास्थ्य और शिक्षा की जर्जर स्थिति के लिए नेताओं को निशाना बनाना जारी रखा है. उन्होंने अपनी करीब एक दशक की राजनीतिक यात्रा में कई तरह के कदम उठाए हैं, चाहे वह विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होना हो जिसके नेताओं पर वह पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे या ‘नरम हिंदुत्व’ का दृष्टिकोण अपनाना. उन्होंने मुफ्त तीर्थयात्रा शुरू की और दिल्ली विधानसभा में ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए. एक बार उन्होंने देश की आर्थिक समृद्धि के लिए मुद्रा पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की मांग की थी. 

भ्रष्टाचार पर झटका

आबकारी घोटाला मामले में केजरीवाल के जेल जाने से AAP के भ्रष्टाचार मुक्त शासन और वैकल्पिक राजनीति के दावे को बड़ा झटका लगा है. वह मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येन्द्र जैन का बचाव करते हुए भ्रष्टाचार को ‘देशद्रोह’ कहते थे और दावा करते थे कि आप भगत सिंह के दिखाए गए रास्ते पर चलती है. भ्रष्टाचार के एक मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी उनकी पहले वाली छवि के उलट है. उन्होंने 2013 में तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार पर बढ़े हुए पानी और बिजली के बिल को वापस लेने के लिए 14 दिनों का अनशन किया था.

  • केजरीवाल की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब उनकी आम आदमी पार्टी विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन के घटक के तौर पर दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में लोकसभा चुनाव लड़ रही है. 
  • ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल (55) की गिरफ्तारी से पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है क्योंकि वह लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की योजनाओं और रणनीति के केंद्र में रहे हैं.
  • उनके न होने में पार्टी को अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इसके कई वरिष्ठ नेता या तो जेल में हैं या राजनीतिक अज्ञातवास में हैं. 
  • केजरीवाल के भरोसेमंद राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आबकारी नीति मामले में जेल में हैं. सहयोगी सत्येन्द्र जैन भी जेल में बंद हैं. 

IIT से स्नातक केजरीवाल ने पहली बार 2013 में कांग्रेस के बाहरी समर्थन से दिल्ली में बनी ‘AAP’ सरकार का नेतृत्व किया था. नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में उनका मुकाबला दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से था. उन्होंने 22,000 मतों के अंतर से हरा कर अपने चुनावी राजनीतिक करियर की शुरुआत की. हालांकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन सरकार केवल 49 दिनों तक चली क्योंकि केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पारित करने में असमर्थ होने के कारण इस्तीफा दे दिया. 

LIVE: लोकसभा चुनाव की हर अपडेट यहां पढ़िए

दिल्ली में पहले ही चुनाव में पार्टी को मिली जीत से उत्साहित केजरीवाल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से भाजपा उम्मीदवार और तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के साथ मुकाबला करने की घोषणा की. हालांकि बुरी तरह हारे. अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने AAP को 67 सीटों पर जीत दिलाई और मोदी लहर पर सवार भाजपा को केवल तीन सीटों पर सीमित कर दिया, जबकि कांग्रेस शून्य पर चली गई. दिल्ली विधानसभा के लिए 2015 में हुए चुनाव के लिए उन्होंने 2013 में 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान अपने कार्यों के लिए लगातार माफी मांगी और फिर से पद नहीं छोड़ने का वादा किया.

अरविंद केजरीवाल का प्रोफाइल पढ़िए

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