Lok Sabha Chunav: अरविंद केजरीवाल की रिमांड के खिलाफ अर्जी खारिज, अब आम आदमी पार्टी के पास क्या-क्या हैं विकल्प?
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Lok Sabha Chunav: अरविंद केजरीवाल की रिमांड के खिलाफ अर्जी खारिज, अब आम आदमी पार्टी के पास क्या-क्या हैं विकल्प?

Aam Aadmi Party Options News: दिल्ली शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल की ईडी रिमांड के खिलाफ अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अब आम आदमी पार्टी (AAP) के पास क्या-क्या विकल्प हैं. 

Lok Sabha Chunav: अरविंद केजरीवाल की रिमांड के खिलाफ अर्जी खारिज, अब आम आदमी पार्टी के पास क्या-क्या हैं विकल्प?

Arvind Kejriwal ED Remand: दिल्ली शराब घोटाले मामले में जांच कर रही ईडी की टीम ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 10 समन भेजने और पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया. राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ फौरन सुनवाई की अर्जी भी दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकरा दी. 

आम आदमी पार्टी के लिए काफी मुश्किल स्थिति, दफ्तर पर संकट

इसके बाद आप नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मारलेना ने आरोप लगाया कि पार्टी का दफ्तर सील कर दिया गया है. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ दिनों पहले ही आम आदमी पार्टी के लिए काफी मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है. पार्टी के सबसे बड़े नेता के रिमांड पर होने से चुनाव से जुड़े कई काम पेंडिंग पड़े हैं. वहीं, दिल्ली सरकार को लेकर भी असमंजस बन गई है. आइए, जानते हैं कि अब आप के पास क्या-क्या विकल्प हैं?

लोकसभा चुनाव 2024 में आप के पास क्या है राजनीतिक विकल्प

सबसे पहले आम आदमी पार्टी के राजनीतिक विकल्प की बात करतें हैं. क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 सिर पर है. पार्टी ने हालांकि, दिल्ली में तीन और पंजाब में आठ उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. दिल्ली में आप कांग्रेस गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही है. वहीं, पंजाब में अकेले चुनाव मैदान में है. पंजाब में पांच उम्मीदवारों के नाम का एलान अभी बाकी है. बाकी राज्यों में पार्टी से जुड़े नेता बिखरने के लिए तैयार खड़े हैं.

राघव चड्ढ़ा विदेश में, पंजाब में मान-पाठक बनाएंगे फाइनल लिस्ट

आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढ़ा अपनी आंखों की सर्जरी के लिए विदेश में हैं. इसलिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक बाकी उम्मीदवारों का नाम फाइनल कर केजरीवाल से आकिरी मुहर लगवा सकते हैं. हरियाणा में पार्टी की रणनीति को पलीता लगने से बचाने के लिए पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता को प्रभारी बनाया गया था. वहीं, गुजरात में अरविंद केजरीवाल ने खुद रैलियां की थी.

लोकसभा चुनाव 2024 में इंडी गठबंधन पर कांग्रेस पर आप की निर्भरता

लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा, गोवा, गुजरात, असम समेत कई राज्यों में आम आदमी पार्टी के लिए विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन और कांग्रेस पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना पड़ सकता है. इसके अलावा पार्टी को जल्द ही केजरीवाल को बाहर लाने के लिए पुरजोर कोशिश को तेज करना होगा. ऐसा नहीं होने पर चुनाव प्रचार अभियान में आप का सबसे बड़ा कैंपेनर और चेहरा नदारद रहने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. 

सुनीता केजरीवाल को रोकना होगा पार्टी के अंदर नेतृत्व के लिए संघर्ष

इसके अलावा लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी के सामने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑनलाइन प्रचार का सहारा ज्यादा लेने का विकल्प भी है. हालांकि, इसके लिए भी कोर्ट से परमिशन की जरूरत पड़ेगी. ईडी इसका जबरदस्त विरोध कर सकती है. अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के आगे आने से चुनाव मैदान में सहानुभूति लहर पैदा करने की कोशिश का असर दिखने में समय लग सकता है. हालांकि, पार्टी में नेतृत्व के लिए आपसी कलह पैदा होने से भी रोकना होगा.

अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पास कानूनी विकल्प 

अब बात करतें है कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पास कानूनी तौर पर क्या विकल्प हैं. कानून के जानकारों के मुताबिक सीआरपीसी की धारा-167 (2) के तहत 10 साल तक की सजा के मामले में गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है. अगर तय समय पर चार्जशीट फाइल नहीं होती तो आरोपी को डिफॉल्ट बेल मिल सकती है. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद ही वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

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केजरीवाल की रिमांड की अवधि बढ़ेगी या मिलेगी रेगुलर बेल

रेगुलर बेल के लिए नियम है कि जब आरोपी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में केस पेंडिंग होता है तो वह सीआरपीसी की धारा-439 के तहत अदालत से जमानत की मांग करता है. ट्रायल कोर्ट या हाई कोर्ट केस की मेरिट आदि के आधार पर उक्त अर्जी पर फैसला लेती है. आरोपी को अंतरिम जमानत या फिर रेगुलर बेल दी जाती है. इसके लिए आरोपी को बॉन्ड भरना होता है और जमानत की शर्तों का पालन करना होता है.

दूसरी ओर, अगर पहले दी गई रिमांड की अवधि में आरोपी से पूछताछ पूरी नहीं हुई तो कोर्ट रिमांड को आगे बढ़ा सकता है. साथ ही अगर इस बीच जमानत नहीं मिली तो रिमांड की अवधि के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में जेल भेजे जाने का कानूनी प्रावधान है.

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