Betul Seat Lok Sabha Election 2024: बैतूल सीट पर 1996 से बीजेपी का कब्जा, इस बार भी तरस गए कांग्रेस के नेता
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Betul Seat Lok Sabha Election 2024: बैतूल सीट पर 1996 से बीजेपी का कब्जा, इस बार भी तरस गए कांग्रेस के नेता

Betul Loksabha Seat Elections News: बैतूल लोकसभा सीट पर 17 आम चुनाव हो चुके हैं, जिनमें बीजेपी और कांग्रेस ने 8-8 जीत हासिल की है, जबकि एक बार भारतीय लोकदल को जीत मिली है. आधुनिक विकास के संदर्भ में, बैतूल में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह स्थापित है, जो बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

Betul Seat Lok Sabha Election 2024: बैतूल सीट पर 1996 से बीजेपी का कब्जा, इस बार भी तरस गए कांग्रेस के नेता
Betul Loksabha Seat Chunav: प्राचीन काल में, यह क्षेत्र गोंड राजा कोण्डाली के शासन में था. जैन धर्मावलंबियों के लिए, यह क्षेत्र विशेष महत्व रखता है क्योंकि यहां महान जैन तीर्थ मुक्तागिरि का स्मारक स्थित है. खेड़ला दुर्ग, इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता का प्रमाण है.
 
बैतूल: ताप्ती नदी का उद्गम, ऐतिहासिक धरोहरों का गढ़:  मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट, केवल राजनीतिक महत्व ही नहीं रखती, बल्कि यह प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का भी गढ़ है. इस सीट में हरदा और खंडवा जिलों के कुछ इलाके भी शामिल हैं, जो ताप्ती नदी के उदगम स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं.
 
मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट, जिसे कभी बैतूल-हरदा-हरसूद के नाम से जाना जाता था, सियासी रंगों का बहुरूपिया है. 1952 में गठित इस सीट की भौगोलिक सीमा तीन बार बदल चुकी है, हर बार नए रंगों को समेटे हुए.
 
पहले बैतूल और छिंदवाड़ा के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया गया, 1977 में होशंगाबाद और आज के हरदा जिले को जोड़ा गया. 2009 में, बैतूल, होशंगाबाद, हरदा और खंडवा के हरसूद को मिलाकर, यह क्षेत्र अपनी वर्तमान रूप में आया. इस सीट का सियासी इतिहास भी बदलता रहा है. 1952 से 1996 तक, कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन 1996 में भाजपा ने सेंध लगाई और तब से यह सीट भाजपा के कब्जे में है.
 
बैतूल लोकसभा: सियासी उतार-चढ़ाव की कहानी
बैतूल लोकसभा सीट, 1951 के पहले चुनावों से ही भारतीय राजनीति का हिस्सा रही है. कांग्रेस के भीकूलाल चांडक, 1951 में इस सीट के पहले सांसद बने और 1971 तक कांग्रेस का यहां दबदबा रहा.
 
1977 में, भारतीय लोकदल के सुभाष चंद्र अहूजा ने कांग्रेस के शासन को उलट दिया, लेकिन 1980 में कांग्रेस ने वापसी करते हुए गुफरान ए आजम को जीत दिलाई, जो इस सीट से पहले अल्पसंख्यक सांसद बने. 1984 में, पूर्व ओलंपियन अशलम शेरखान ने कांग्रेस के लिए जीत हासिल की, लेकिन 1989 में भाजपा ने पहली बार बैतूल में अपना झंडा गाड़ा. पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरे आरिफ बेग ने अशलम शेरखान को हराकर भाजपा को पहली जीत दिलाई.
 
यह सियासी उतार-चढ़ाव का खेल 1996 तक जारी रहा जब भाजपा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया. 1996 से 2019 तक, भाजपा ने लगातार 6 चुनाव जीते, 2019 में दुर्गा दास उइके सांसद बने. आज, बैतूल लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है और 2024 के चुनावों में सभी दल इस सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं.
 
1999 Vijay Kumar Khandelwal, BJP
2004 Khandelwal Vijay Kumar, BJP
2009 Jyoti Dhurve, BJP
2014 Jyoti Dhurve, BJP
2019 Durga Das Uikey, BJP
 
तीन बार बदली गई लोकसभा की सीमा
बैतूल लोकसभा क्षेत्र की भौगोलिक सीमा तीन बार बदली जा चुकी है. शुरुआत में बैतूल और छिंदवाड़ा जिले के कुछ हिस्से मिलाकर लोकसभा क्षे˜त्र बनाया गया. 1977 के चुनाव में इस छिंदवाड़ा को हटाकर तत्कालीन होशंगाबाद जिले की हरदा और टिमरनी विधानसभा को इसमें जोड़ा गया. 2009 में 6 के स्थान पर 5 विधानसभा ही रह गईं.
 
2024 का समीकरण क्या है?

2014 में बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की थी. बीजेपी की ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के अजय शाह को हरयाथा, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दुर्गादास ऊइके ने कांग्रेस के रामू टेकाम को हराया था. इस बार देखना है क्या समीकरण बैठता है. 

Candidates in 2024 Party Votes Result
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  Congress    
       
       

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