Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha Election 2024: भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर कांटे की टक्कर, किसके हाथ लगेगी बाजी?
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Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha Election 2024: भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर कांटे की टक्कर, किसके हाथ लगेगी बाजी?

Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha Chunav 2024 News: जजपा (JJP) और बीजेपी (BJP) का गठबंधन टूटने के बाद भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला होगा. कांग्रेस (INC), इनेलो (INLD) और जजपा (JJP) अलग-अलग लड़ें, तो जाट वोट तीन जगह बंट जाएंगे. वैसे भी पिछले 10 साल में इनेलो (INLD) का जनाधार सिमट गया है.

Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha Election 2024: भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर कांटे की टक्कर, किसके हाथ लगेगी बाजी?

Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha Election 2024: भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट बीजेपी (BJP) के पास है. मौजूदा सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह हैं. बीजेपी ने उनका टिकट रिपीट किया है. नए परिसीमन के बाद भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट 2009 में अस्तित्व में आई. जबकि भिवानी सीट 1977 में अस्तित्व में आ गई थी. पुराने परिसीमन से पहले ये क्षेत्र हिसार में था. तब महेंद्रगढ़ जिला नहीं होता था, यहां बस भिवानी लोकसभा सीट होती थी. 2024 की रणभेरी बजने से पहले निर्वाचन आयोग (EC) द्वारा भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट का नाम महेंद्रगढ़-भिवानी करने की कोशिश का जमकर विरोध हुआ था.

भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट

हरियाणा में 25 मई को सभी 10 लोकसभा सीटों पर एकसाथ मतदान हुआ था. नतीजे चार जून का आएंगे. कांग्रेस से अहीरवाल बेल्ट के राव दान सिंह व बीजेपी से दो बार से जीत रहे चौधरी धर्मबीर सिंह के बीच रण हुआ.

कांग्रेस-इनेलो दोनों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हरियाणा में बीजेपी और जजपा का गठबंधन टूट चुका है. जजपा, बीजेपी से गठबंधन धर्म के नाम पर दो सीट मांग रही थी. जिसमें से एक भिवानी-महेंद्रगढ़ और दूसरी हिसार थी. भला बीजेपी अपनी जीती सीटें जजपा को कैसे देती? इसी सीट की वजह से बीजेपी-जजपा गठबंधन टूट गया और खट्टर सरकार इस खटपट की बलि चढ़ गई. नायब सिंह सैनी की सरकार अस्तित्व में आ चुकी है.

खट्टर के इस्तीफे और नायब सैनी की ताजपोशी से बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. हरियाणा की सियासत के जानकारों का मानना है कि बीजेपी-जजपा गठबंधन में टूट का फायदा बीजेपी को हो सकता है. क्योंकि कांग्रेस (INC), इनेलो (INLD) और जजपा (JJP) अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे, तो जाटों के वोट तीन जगहों पर बंट जाएंगे. दूसरी तरफ गैर जाट वोटर, जिन्हें बीजेपी (BJP) पहले से अपने पक्ष में मानकर चल रही है, तो वह लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उसके साथ बनें रहेंगे.

सूबे को दिए तीन-तीन मुख्यमंत्री

1 नवंबर 1966 को हरियाणा के गठन के बाद से अब तक के करीब 58 सालों के सियासी इतिहास में 11 नेता 25 बार मुख्यमंत्री बने हैं. खास बात ये है कि भिवानी ने हरियाणा को तीन-तीन मुख्यमंत्री दिए हैं. पुराने भिवानी जिला से ताल्लुक रखने वाले चौधरी बंसीलाल 4 बार, बनारसी दास गुप्ता 2 बार तो मास्टर हुकम सिंह 1 बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. इसके अलावा सिरसा भी ऐसा जिला है जिसने चौधरी देवीलाल और उनके बेटे चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को 7 बार मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य दिया.

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(हुकम सिंह-बीडी गुप्ता-चौ.बंसीलाल)

पुरानी भिवानी सीट में बंसीलाल परिवार का दबदबा था. स्वर्गीय बंसीलाल को हरियाणा का निर्माता कहा जाता है. वो हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और भिवानी से सांसद भी चुने गए. हरियाणा के तीसरे CM बंसीलाल को सबसे कम उम्र में CM बनने का मौका मिला. 1968 में वो 41 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे. 

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के अंदर नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. भिवानी, चरखी-दादरी और महेंद्रगढ़ जिले को मिलाकर इस सीट को बनाया गया है. इसके अंदर 9 विधानसभा क्षेत्र- लोहारू, बड़हरा, दादरी, भिवानी, तोशाम, अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल और नांगल चौधरी आते हैं. यहां हर विधानसभा में करीब दो लाख से ज्यादा वोटर हैं. टोटल 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं. जिनमें सबसे ज्यादा जाट मतदाता है. नंबर दो पर यादव मतदाता है. 2019 में कुल वोटरों की संख्या 11,61,115 थी. 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 70.19% था.

भिवानी में पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के बेटे स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह दो बार सांसद रह चुके हैं. नए परिसीमन यानी 2008 के बाद भिवानी लोकसभा को भिवानी-महेंद्रगढ़ का नाम दिया गया. आगे पूर्व सांसद सुरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति चौधरी यानी बंसीलाल की पोती भी यहां से MP बनीं. इसके बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए धर्मबीर सिंह लगातार दो बार 2014 और 2019 में सांसद बने.

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Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha Chunav 2024 : भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर किनके बीच मुकाबला है?

गौरतलब है कि इस बार महेंद्रगढ़ भिवानी लोकसभा पर हरियाणा के कई दिग्गज नेता ताल ठोक रहे थे दावेदारों की सूची लंबी थी. संसदीय बोर्ड की सदस्य सुधा यादव, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़, खट्टर सरकार में कृषि मंत्री जे पी दलाल भी रेस में थे लेकिन नायब सिंह सैनी की सरकार में उन्हें फिर से मंत्री पद मिलते ही उनका नाम दावेदारी की अटकलों से कट गया था. हालांकि सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह ने बाजी मारी. यहां बबीता फोगाट का नाम भी चल रहा था. 

कांग्रेस नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी और हरियाणा में हुड्डा गुट के नेता राव दान सिंह जो महेंद्रगढ़ से विधायक हैं, उनका नाम चल रहा है. बॉक्सर विजेंदर सिंह भी दावेदार हैं. दादरी से निर्दलीय MLA सोमवीर भी सांसदी लड़ने के इच्छुक हैं. कांग्रेस किसे टिकट देगी ये देखना दिलचस्प होगा.

हार कर भी 'बाजीगर' बनना चाहते थे चौटाला

हरियाणा सरकार में BJP की सहयोगी जजपा (JJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय चौटाला इस सीट पर अड़े थे. उन्होंने बंसीलाल के गढ़ तोशाम से प्रचार शुरू कर दिया था. अजय चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय चौटाला की भी चर्चा है. हालांकि इससे पहले दिग्विजय सोनीपत सीट से लोकसभा और जींद से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन दोनों बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.

11 मार्च 2024 तक BJP की सहयोगी रही जजपा (JJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय चौटाला की भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार सीट की मांग पर अड़े रहने के चक्कर में खट्टर सरकार की आहुति चढ़ गई. 

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास : कब किस पार्टी से कौन रहा सांसद

साल विजेता पार्टी
2009 श्रुति चौधरी INC
2014 धर्मबीर सिंह BJP
2019 धर्मबीर सिंह BJP

अनसुलझे मुद्दे

भिवानी लोकसभा सीट का अस्तित्व 1977 से 2004 तक रहा. इस दौरान कुल 10 चुनाव हुए. पुरानी भिवानी सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. यहां के बड़े मुद्दों की बात करें तो पानी और रोजगार की यहां दोनों की किल्लत है. दक्षिण हरियाणा के इस लोकसभा क्षेत्र में पानी की कमी है. ऐसे में SYL नहर का मुद्दा सबसे बड़ा है. वहीं जनता जिसे में किसी बड़ी इंडस्ट्री की राह भी तक रही है.

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