Lok Sabha Chunav: अब अपनों से ही लड़ेगी कांग्रेस, गठबंधन के बावजूद क्यों देखने पड़ रहे ये दिन?
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Lok Sabha Chunav: अब अपनों से ही लड़ेगी कांग्रेस, गठबंधन के बावजूद क्यों देखने पड़ रहे ये दिन?

Friendly Fight: कांग्रेस के लिए एक और टेंशन बढ़ गई है. कई राज्यों में सहयोगी दल कुछ सीटों पर अड़ गए हैं. हां, ये ऐसी सीटें हैं जहां से कांग्रेस तैयारी कर रही थी लेकिन अब फ्रेंडली फाइट की पटकथा लिखी जा रही है. केरल से लेकर बिहार में INDIA गठबंधन में शामिल पार्टियों के उम्मीदवार कई सीटों पर आमने सामने हो सकते हैं. 

Lok Sabha Chunav: अब अपनों से ही लड़ेगी कांग्रेस, गठबंधन के बावजूद क्यों देखने पड़ रहे ये दिन?

Congress INDIA Alliance News: लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गठबंधन तो कर लिया लेकिन कई मनपसंद सीटें सहयोगियों के पास चली गईं. ऐसी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के धाकड़ उम्मीदवार अब 'फ्रेंडली फाइट' (Friendly Fight) के लिए जोर लगा रहे हैं. केरल और महाराष्ट्र से लेकर बिहार में भी ऐसी सीटें फंस गई हैं. जैसा नाम से ही पता चलता है कि फ्रेंडली फाइट में सहयोगी या कहें कि दोस्त ही आमने सामने उतरते हैं. हालांकि इस केस में फायदा तीसरे यानी भाजपा को होने का जोखिम भी है. 

आपको याद होगा केरल की वायनाड सीट पर राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं. INDIA गठबंधन में शामिल सीपीआई ने यहां से एनी राजा को उतारकर राहुल के लिए मुश्किल बढ़ा दी है. दोनों ही खेमे अड़े हुए हैं. ऐसे में साफ है कि यहां गठबंधन के साथियों में फ्रेंडली फाइट रहेगी. भाजपा ने वायनाड से के. सुरेंद्रन को टिकट दिया है. 

महाराष्ट्र में तनातनी

इसी तरह महाराष्ट्र में सांगली, मुंबई साउथ सेंट्रल, मुंबई नॉर्थ वेस्ट, भिवंडी और मराठवाड़ा-विदर्भ से 1-1 सीट पर कांग्रेस, उद्धव सेना और पवार की एनसीपी में मतभेद हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष आरिफ नसीम खान ने बताया है कि करीब छह सीटों पर आम सहमति नहीं बन सकी है. उन्होंने कहा कि हमारे पार्टी कार्यकर्ता शिवसेना (यूबीटी) के कदम से नाराज हैं. कांग्रेस नेता संजय निरूपम तो सीट बंटवारे को लेकर अपनी ही पार्टी पर भड़क गए थे. ऐसे मैसेज सामने आने से भितरघात की भी आशंका पैदा हो जाती है. 

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा है कि इस तरह के मुकाबले से भाजपा को मदद मिलेगी. उन्होंने एमवीए के सहयोगी दल पर तंज कसते हुए कहा, ‘कांग्रेस एक परिपक्व पार्टी है और मुझे नहीं लगता कि वह भाजपा को मदद पहुंचाने वाले ‘दोस्ताना मुकाबले’ की अनुमति देगी.’

बिहार में दंगल

हां लालू की 'फिरकी' में वहां कांग्रेस फंस गई. बिहार में महागठबंधन ने सीटों का बंटवारा तो कर लिया लेकिन कई परंपरागत और पसंदीदा सीटों से कांग्रेस को हाथ धोना पड़ा. राजद 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, कांग्रेस को नौ और वाम दलों के हिस्से में पांच सीटें आई हैं. कांग्रेस को औरंगाबाद जैसी परंपरागत सीट नहीं मिली है. कांग्रेस इस चुनाव में कन्हैया कुमार को बेगूसराय से चुनाव लड़ाना चाहती थी, लेकिन इस सीट से सीपीआई ने सीट बंटवारे के पहले ही अवधेश राय को प्रत्याशी घोषित कर दिया.

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कांग्रेस को औरंगाबाद सीट भी छोड़नी पड़ी. इस सीट पर राजद ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. यहां कांग्रेस के नेता निखिल कुमार चुनाव लड़ना चाहते थे. पूर्णिया सीट पर भी अजीब स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस हाल में आए पूर्व सांसद पप्पू यादव को चुनाव लड़ाना चाहती थी लेकिन सीट राजद के कोटे में चली गई. 

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फिर भी पप्पू यादव पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. उन्होंने दोहराया है कि वह पूर्णिया छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं. 

कांग्रेस पार्टी भी इन विवादित सीटों पर फ्रेंडली फाइट की तैयारी कर रही है.

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