Bihar Politics: पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद में कांग्रेस में गए पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के साथ खेल हो गया है. यह सीट RJD के पास चली गई. पप्पू यादव ने फ्रेंडली फाइट के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा, ‘INDIA गठबंधन के घटक दल कई स्थानों पर एक-दूसरे से लड़ते दिख सकते हैं.' पप्पू बिहार के सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों में लोकप्रिय माने जाते हैं.
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Pappu Yadav Kanhaiya Kumar: बड़ी उम्मीदों से पप्पू यादव यानी राजेश रंजन कांग्रेस में आए थे लेकिन बिहार में महागठबंधन की सीटें फाइनल हुईं तो खेला हो गया. पप्पू की पसंदीदा पूर्णिया सीट आरजेडी ने हथिया ली. कन्हैया कुमार भी अब कांग्रेसी हैं और उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी बेगूसराय से एक बार फिर उन्हें लड़ने का मौका देगी. पिछली बार वह सीपीआई कैंडिडेट के तौर पर हार गए थे. हालांकि उनकी भी सीट लालू ने फेंट कर लेफ्ट को दे दी. दरअसल, बिहार में विपक्ष के गठबंधन की कमान लालू प्रसाद यादव के हाथों में है. नीतीश कुमार के जाने के बाद कांग्रेस लालू को नाराज नहीं करना चाहती है. ऐसे में मुश्किल पप्पू और कन्हैया के लिए है.
'पूर्णिया छोड़ेंगा या...'
लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की घोषणा हुई तो भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने पप्पू यादव की चुटकी ली. उन्होंने कहा कि पूर्णिया लोकसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल को दिया जाना कांग्रेस नेता पप्पू यादव के लिए बड़ा झटका है. सिन्हा यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा, 'पूर्णिया से चुनाव लड़ने की उम्मीद में पिछले हफ्ते अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय करने वाले पप्पू यादव अब क्या करेंगे? उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। हमलोग चिंतित हैं... जैसा कि उन्होंने कहा था, अब वह पूर्णिया छोड़ेंगे या दुनिया.’ सीट बंटवारे में राजद ने 26 सीटें अपने पास रखी हैं और 9 सीटें कांग्रेस को दी हैं.
सीमांचल कोसी जीतकर
देश में कांग्रेस सरकार बनाएंगेपूर्णिया में कांग्रेस का झंडा लहराएंगे
राहुल गांधी जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) March 29, 2024
2 अप्रैल को पप्पू का नामांकन
आज पप्पू यादव ने यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि वह पूर्णिया से चुनाव जरूर लड़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ने की कोशिश होगी. वह 2 अप्रैल को नामांकन दाखिल करने वाले हैं. उन्होंने दावा किया कि जनता चाह रही है कि मैं चुनाव लड़ूं. ऐसे में दो सवाल है कि क्या पप्पू यादव के चलते बिहार में INDIA अलायंस टूट सकता है या अगले 48 घंटों में उम्मीदवारों की अदला-बदली हो सकती है. तीसरा दांव फ्रेंडली फाइट का है, जिसकी संभावना ज्यादा है.
वैसे, यह भी कहा जा रहा है कि पप्पू यादव का मुकाबला आरजेडी उम्मीदवार से हुआ तो फायदा एनडीए को हो सकता है. उधर, पप्पू यादव पर तेजस्वी यादव ने साफ कहा है कि उनकी पार्टी का गठबंधन किसी व्यक्ति के साथ नहीं हुआ है, दल के साथ हुआ है.
पप्पू को झटके की वजह तेजस्वी?
हां, अंदरखाने कहा जा रहा है कि बिहार के लोकप्रिय यादव नेता पप्पू और युवा नेता कन्हैया कुमार को लालू यादव अपने बेटे और राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव के लिए चुनौती के तौर पर देखते हैं. ऐसे में आरजेडी ने कांग्रेस को 9 सीटें तो दे दीं लेकिन पप्पू और कन्हैया के अरमानों पर पानी फेर दिया.
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पप्पू के हाथ से पूर्णिया सीट तो गई, मधेपुरा और सुपौल भी नहीं आया, जहां से वह चुनाव लड़ सकते थे. दरअसल, पप्पू पूर्णिया और मधेपुरा दोनों सीटों से जीते हैं. अब वह पूर्णिया से उतरे तो लालू का समीकरण गड़बड़ा जाएगा और आरजेडी कैंडिडेट बीमा भारती की मुश्किल बढ़ जाएगी. पप्पू यादव के सपोर्टर उनसे निर्दलीय लड़ने की भी मांग कर रहे हैं.
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बिहार के पत्रकार कह रहे हैं कि कांग्रेस जहां-जहां सीटें चाह रही थी, वहां लालू ने कैंची चला दी. औरंगाबाद, पूर्णिया, बेगूसराय, वाल्मीकि नगर जैसी कई सीटें कांग्रेस को नहीं मिलीं. लालू नहीं चाहते हैं कि बिहार में तेजस्वी यादव के समकक्ष कोई बड़ा युवा नेता उभरे. यह एक बड़ा कारण है इसीलिए लालू ने कभी कन्हैया को तवज्जो नहीं दी. अब पूर्णिया से पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर फ्रेंडली फाइट कर सकते हैं. उन्होंने वायनाड का उदाहरण दिया है.