Gorakhpur Lok Sabha Election 2024:योगी के गोरखपुर में रवि किशन पर भाजपा ने फिर जताया भरोसा, फिर से लहराया भगवा
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Gorakhpur Lok Sabha Election 2024:योगी के गोरखपुर में रवि किशन पर भाजपा ने फिर जताया भरोसा, फिर से लहराया भगवा

Gorakhpur Lok Sabha Election 2024 News: रवि किशन को एक बार फिर गोरखपुर से उतारकर भाजपा ने पूरे पूर्वांचल को साधने की कोशिश की है. भोजपुरी बेल्ट में रवि किशन की स्टार छवि है. वह दिल्ली से लेकर देश के कोने-कोने में बसे पूर्वांचलियों को प्रभावित करते हैं. सीएम योगी की सीट देश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. 

Gorakhpur Lok Sabha Election 2024:योगी के गोरखपुर में रवि किशन पर भाजपा ने फिर जताया भरोसा, फिर से लहराया भगवा

Gorakhpur Lok Sabha Election 2024: गोरखपुर मतलब गोरक्षपीठ मतलब योगी आदित्यनाथ... बहुत से लोग आज गोरखपुर को ऐसे ही जानते हैं. प्राचीन गोरखपुर में बस्ती, देवरिया, आजमगढ़ और नेपाल तराई के कुछ हिस्सों भी शामिल थे. गोरखपुर जनपद आर्य संस्कृति और सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. आज के समय में यह पूर्वांचल की सबसे प्रभावशाली लोकसभा सीटों में से एक है. कहा जाता है कि यहां जिस पार्टी का कैंडिडेट जीतता है उसका प्रभाव आसपास की कई लोकसभा सीटों पर देखा जाता है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहीं से पांच बार सांसद रहे हैं. निषाद, यादव और दलित वोटरों के दम पर कुछ समय के लिए सपा ने जरूर भाजपा को झटका दिया लेकिन 2019 के चुनाव में भगवा दल ने रवि किशन (Ravi Kishan) को लाकर फिर से समीकरण सेट कर दिया. 

गोरखपुर लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट

गोरखपुर सीट पर 1 जून को वोटिंग हुई. दोपहर 3 बजे तक 44.69 प्रतिशत लोग वोट कर चुके थे. नतीजे 4 जून को आएंगे. 

हां, भोजपुरी सिनेमा के स्टार रवि किशन पूर्वांचल में काफी लोकप्रिय हैं. वह बिहार से लेकर दिल्ली तक भाजपा का प्रचार करते हैं. पिछले चुनाव में आलम यह था कि उन्होंने 3 लाख वोटों के अंतर से सपा कैंडिडेट को शिकस्त दी थी. कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी. रवि किशन का पूरा नाम रविन्द्र श्यामनारायण शुक्ल है. काशी के बाद पूर्वांचल में गोरखपुर सीट हाई प्रोफाइल मानी जाती है. 

गोरखपुर सीट का इतिहास पढ़िए

इसी समय 2018 के उपचुनाव के बारे में भी जान लीजिए. इस चुनाव ने न सिर्फ योगी आदित्यनाथ को झटका दिया बल्कि पूरी भाजपा हिल गई थी. यहां से जातीय समीकरणों को साधते हुए सपा के प्रवीण निषाद जीत गए थे. हालांकि जल्द ही वह भाजपाई हो गए. 

ब्राह्मण vs ठाकुर की गोलबंदी

हां, गोरखपुर का अपना इतिहास ही कुछ ऐसा है. यहां की सियासत ब्राह्मण और बाबू साहब (ठाकुर) के खेमे में बंटी रहती थी. हालांकि 90 के दशक में जब ओबीसी और दलित आधारित पार्टियां सामने आईं तो समीकरण बदलते गए. यहां पिछड़े और दलित मतदाता ज्यादा हैं. अब भाजपा का दबदबा है.  

देश की प्रमुख लोकसभा सीटों की पूरी लिस्ट

एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां करीब 4 लाख निषाद वोटर हैं. 2-2 लाख यादव और दलित हैं. डेढ़ लाख मुस्लिम और उतने ही ब्राह्मण वोटर हैं. सवा लाख के करीब क्षत्रिय वोटर हैं. भूमिहार और वैश्य भी करीब एक लाख हैं. 

निर्वाचन क्षेत्रों की बात करें तो गोरखपुर जिले में दो लोकसभा सीटें हैं- गोरखपुर और बांसगांव. दोनों सीटों पर भाजपा का दबदबा है. गोरखपुर लोकसभा में कैंपियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहरी, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवां विधानसभाएं हैं. यह इलाका पूरी तरह से भाजपा को जिताता आ रहा है. इसकी एक बड़ी वजह गोरक्षपीठ का प्रभाव है. महंत अवैद्यनाथ की विरासत को सीएम योगी आगे बढ़ा रहे हैं. 

गोरखपुर लोकसभा सीट से जीते सांसद
1952  सिंहासन सिंह कांग्रेस
1957  सिंहासन सिंह  कांग्रेस
1962  महादेव प्रसाद  कांग्रेस
1962  सिंहासन सिंह  कांग्रेस
1967  महंत दिग्विजयनाथ  निर्दलीय
1970  महंत अवैद्यनाथ  निर्दलीय
1971  नरसिंह नारायण पांडेय  कांग्रेस
1977  हरिकेश बहादुर  भारतीय लोक दल
1980  हरिकेश बहादुर  कांग्रेस
1984  मदन पांडेय  कांग्रेस
1989  महंत अवैद्यनाथ  हिंदू महासभा
1991  महंत अवैद्यनाथ  भाजपा
1996  महंत अवैद्यनाथ  भाजपा
1998  योगी आदित्यनाथ  भाजपा
1999  योगी आदित्यनाथ  भाजपा
2004  योगी आदित्यनाथ  भाजपा
2009  योगी आदित्यनाथ  भाजपा
2014  योगी आदित्यनाथ  भाजपा
2018  प्रवीण कुमार निषाद  सपा
2019  रवींद्र श्यामनारायण शुक्ल उर्फ रवि किशन  भाजपा

 

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