Kaisarganj Lok Sabha Chunav 2024 News: सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के आरोप लगाने के बाद से कैसरगंज लोकसभा सीट काफी चर्चा में रही है. भाजपा की दुविधा यह है कि वह सीधे तौर पर बृजभूषण को इग्नोर भी नहीं कर सकती है. यही वजह है कि उनके बेटे करण भूषण को यहां से टिकट मिला.
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Kaisarganj Lok Sabha Election 2024: यूपी की जिस लोकसभा सीट से सपा के नेता बेनी प्रसाद वर्मा लगातार जीतते रहे, वह कैसरगंज अब कमल खिलाता आ रहा है. पिछले तीन चुनावों में बृजभूषण शरण सिंह ने जीत की हैट्रि्क लगाई. हां, वही बृजभूषण जो पिछले दो साल से महिला पहलवानों के आरोप के कारण काफी विवादों में रहे हैं. बीजेपी की पहली लिस्ट में नाम नहीं आया तो अटकलें लगाई जाने लगीं कि हो सकता है इस बार कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh Kaisarganj) का टिकट कट जाए. हुआ भी वही उनकी जगह बेटे करण भूषण को टिकट मिला.
कैसरगंज लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट
यूपी की इस हाई-प्रोफाइल सीट पर पांचवें चरण में 20 मई 2024 को वोटिंग हुई. कुल 55.68 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. नतीजे 4 जून को आएंगे.
बहराइच जिले की यह सीट बृजभूषण मामले के कारण इस बार सुर्खियों में रही है. 1991 में वह पहली बार गोंडा सीट से लोकसभा पहुंचे थे. छह बार के सांसद रहे बृजभूषण की लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इसमें तीन विधानसभा क्षेत्र गोंडा जिले का हिस्सा हैं. लखनऊ से यह क्षेत्र 100 किमी दूर है.
प्रमुख लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट
बृजभूषण का असर
पिछले चुनाव में बृजभूषण ने बसपा उम्मीदवार को 2.61 लाख वोटों के अंतर से हराया था. वह यूपी की सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. हालांकि यौन शोषण के गंभीर आरोपों के कारण भाजपा को काफी मंथन करना पड़ रहा है. कुछ लोग यह भी कहते हैं कि बृजभूषण को इग्नोर करना भाजपा के लिए अच्छा फैसला नहीं होगा. जब बृजभूषण सिंह पर प्रेशर बढ़ रहा था तो उन्होंने इशारों में ही संकेत दे दिया था कि उनके पास कई विकल्प मौजूद हैं.
अटकलें लगाई जा रही थीं कि बृजभूषण शरण सिंह की जगह भाजपा उनके बेटे या किसी विश्वासपात्र को टिकट दे सकती है. इससे भाजपा बृजभूषण को नाराज नहीं करेगी. खास बात यह है कि बृजभूषण का प्रभाव केवल कैसरगंज सीट तक ही सीमित नहीं है. उनका आसपास अयोध्या, गोंडा, श्रावस्ती तक असर देखने को मिलता है. बृजभूषण के बेटे करण भूषण पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उतरे हैं.
कैसरगंज लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण
- इस सीट पर कुल 18 लाख से ज्यादा वोटर हैं. इसमें करीब साढ़े आठ लाख महिला मतदाता हैं.
- कैसरगंज का कुछ इलाका क्षत्रिय बहुल है. गोंडा वाले हिस्से में ब्राह्मण आबादी ज्यादा है. यहां अक्सर क्षत्रिय और ब्राह्मण दो धड़े बने रहते हैं.
- कुर्मी समुदाय के प्रभाव के कारण बेनी प्रसाद वर्मा पहले जीतते थे लेकिन नए परिसीमन में समीकरण बदल गए.
- इस क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की भी अच्छी तादाद है.
1952 | शकुंतला नायर | हिंदू महासभा |
1957 | भगवानदीन मिश्र | कांग्रेस |
1962 | बसंत | स्वतंत्र पार्टी |
1967 | शकुंतला नायर | भारतीय जनसंघ |
1971 | शकुंतला नायर | भारतीय जनसंघ |
1977 | रूद्र सेन चौधरी | जनता पार्टी |
1980 | राणा वीर सिंह | कांग्रेस |
1984 | राणा वीर सिंह | कांग्रेस |
1989 | रूद्र सेन चौधरी | भाजपा |
1991 | लक्ष्मीनारायण मणि त्रिपाठी | भाजपा |
1996 | बेनी प्रसाद वर्मा | सपा |
1998 | बेनी प्रसाद वर्मा | सपा |
1999 | बेनी प्रसाद वर्मा | सपा |
2004 | बेनी प्रसाद वर्मा | सपा |
2009 | बृजभूषण शरण सिंह | भाजपा |
2014 | बृजभूषण शरण सिंह | भाजपा |
2019 | बृजभूषण शरण सिंह | भाजपा |