Lok Sabha Chunav: नेता, सहानुभूति, धूप, आलस... अंदाजा मत लगाइए, लोकसभा चुनाव नतीजों पर असर डालेंगे कई फैक्टर्स
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Lok Sabha Chunav: नेता, सहानुभूति, धूप, आलस... अंदाजा मत लगाइए, लोकसभा चुनाव नतीजों पर असर डालेंगे कई फैक्टर्स

Lok Sabha Election Voting Today: लोकतंत्र में हर एक वोट जरूरी है. हालांकि हर वोटर अपने हिसाब से सोचकर वोट करता है. सर्वे होते हैं, नरैटिव तैयार किए जाते हैं, प्रचार का शोर होता है लेकिन मतदाताओं को स्वतंत्र होकर वोट देना चाहिए. राजनीतिक एक्सपर्ट बता रहे हैं कि आम चुनाव 2024 के नतीजे पर कौन से फैक्टर असर डाल सकते हैं. 

Lok Sabha Chunav: नेता, सहानुभूति, धूप, आलस... अंदाजा मत लगाइए, लोकसभा चुनाव नतीजों पर असर डालेंगे कई फैक्टर्स

Election Phase 1 Voting: लोकसभा चुनाव शुरू हो चुका है. सर्वे में भले ही किसी पार्टी की जीत की भविष्यवाणी की गई हो पर याद रखिएगा कि ये नतीजे नहीं हैं. चुनाव परिणाम 4 जून को आएंगे इसलिए अपने मुद्दों पर मतदान कीजिए. राजनीतिक मामलों की गहरी समझ रखने वाले आर. जगन्नाथन ने एक लेख में कहा है कि भले ही भविष्यवाणी की गई हो लेकिन पार्टियां खुद इस चुनाव को हल्के में नहीं ले रही हैं. सभी दलों को पता है कि वोटिंग को कई फैक्टर्स प्रभावित करते हैं. जैसे बड़े राज्यों में चुनाव कई चरणों में हो रहे हैं. गर्मी का भी मतदान पर असर पड़ सकता है. 

एक्सपर्ट लिखते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव में क्या होगा, यह 4 जून को पता चलेगा. किसी भी तरह के पूर्वाग्रह में आकर वोट डालने नहीं जाना चाहिए. अंतिम वोट डाले जाने और काउंटिंग होने से पहले तक परिणाम की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. ऐसे में यह समझना अहम है कि वो कौन से प्रमुख कारण हैं जो चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं.

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1. पहले के चुनावों की तरह इस बार भी कई ओपिनियन पोल कराए गए हैं. कुछ का आधार वैज्ञानिक है लेकिन कुछ ऐसे ही हो सकते हैं. जिन लोगों की राय पर सर्वे किए गए हैं, मतदान के दिन क्या वे वोट करने जाएंगे, गए भी तो उस दिन किस आधार पर वोट करेंगे? जब तक ईवीएम की बटन नहीं दबती तब तक वोटर के पास सोचने-समझने या राय बदलने का मौका होता है. 

2. मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि इस साल भीषण गर्मी पड़ने वाली है. देश के कुछ हिस्सों में अभी से लू चलने लगी है. इसका वोटिंग प्रतिशत पर असर पड़ सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि A या B पार्टी का वफादार वोटर क्या उसे करेगा. वह घर पर रहेगा या वोट डालने जाएगा. गर्मी का विकराल रूप और टपकता पसीना वोटर के नजरिये को बदल सकता है.

3. भाजपा हो या कांग्रेस कोई भी चुनाव को हल्के में नहीं ले रहा है कि वही आसानी से जीत जाएंगे. जनता के सामने भले ही पार्टियां या नेता दावा कर रहे हों लेकिन चुनाव में उन्होंने पूरी ताकत झोंक रखी है. राजनीतिक एक्सपर्ट का कहना है कि अगर दावे पर ही चलते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिनभर में 4-5 रैलियां कर धूप में पसीना न बहा रहे होते. जिन राज्यों में चुनौती बड़ी है वहां प्रमुख दलों ने गठबंधन किया है. 

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4. बड़े राज्यों में कई चरणों में चुनाव होने हैं. इसका संकेत यह माना जाता है कि शुरुआती चरणों में चुनाव का आगे असर पड़ता है और एक ट्रेंड बन सकता है. यह पॉजिटिव या निगेटिव भी हो सकता है. न्यूट्रल वोटर शुरुआती चरणों में संभावित विजेता कैंडिडेट को वोट दे सकता है लेकिन जो लोग खिलाफ हैं वे नाराजगी जताते हुए बाद के चरणों में गुस्से के साथ वोट कर सकते हैं.

पार्टियों के पास भी गियर बदलने या कहिए मैसेज देने का जरिया होता है. 2009 में कांग्रेस पार्टी के वाईएस राजशेखर रेड्डी ने तेलंगाना के समर्थन में स्पीच दी थी, हालांकि अगले चरण में उन्होंने संयुक्त आंध्र की पुरजोर वकालत की. 

पश्चिम बंगाल जैसे राज्य की बात अलग है. वहां कई तरह का शोर है. ये अलग क्षेत्र में अलग-अलग तरह से वोट कर सकते हैं. इससे चौंकाने वाले नतीजे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. वैसे भी छह हफ्ते तक चुनाव चलने वाले हैं. कोई जल्दी नहीं है. 

5. बीजेपी के खिलाफ कई क्षेत्रीय पार्टियां एकजुट हैं. कई पार्टियों के नेता जेल में हैं. हालांकि एक पार्टी का वोट गठबंधन सहयोगी के लिए ट्रांसफर होगा या नहीं, दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. जैसे महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का हिंदुत्व वोटर क्या कांग्रेस या शरद पवार की पार्टी के लिए वोट करेगा? शिवसेना और एनसीपी में फूट के बाद वोटर अलग टेंशन में हैं. इस वाले गुट के साथ जाएं या उस वाले गुट के साथ. 

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस साथ है. बीजेपी के खिलाफ ये अच्छी फाइट दे सकती हैं लेकिन यह तय नहीं है कि 10 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां एक साथ आएंगी या नहीं. 

6. कुछ कार्रवाई से भी कुछ राज्यों में असर पड़ सकता है. झारखंड और दिल्ली के कई बड़े नेता जेल में हैं. दिल्ली में वोटिंग 25 मई को है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या सहानुभूति दिखाते हुए मतदाता वोट करेगा या नहीं.

इस तरह की संभावनाओं को देखते हुए 4 जून का इंतजार कीजिए जब लोकसभा चुनाव 2024 की औपचारिक तौर पर घोषणा की जाएगी. बिना तनाव में आए पहले जाकर वोट डालिए. 

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