Lok Sabha Election: तब विपक्ष की महारैली होनी थी, सरकार ने टीवी पर चलवा दी डिंपल कपाड़िया की फिल्म 'बॉबी'
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Lok Sabha Election: तब विपक्ष की महारैली होनी थी, सरकार ने टीवी पर चलवा दी डिंपल कपाड़िया की फिल्म 'बॉबी'

Lok Sabha Chunav: तब देश में इंदिरा गांधी की सरकार थी. इमर्जेंसी के बाद अचानक चुनाव की घोषणा की गई और सरकार विपक्ष को कमजोर समझ रही थी. विपक्षी दलों की संयुक्त रैली की घोषणा हुई तो सरकार ने लोगों को रोकने के लिए बसें रोक दी और टीवी पर हिट फिल्म 'बॉबी' (Bobby Film) आने लगी. इसके बाद क्या हुआ वो किस्सा दिलचस्प है.

Lok Sabha Election: तब विपक्ष की महारैली होनी थी, सरकार ने टीवी पर चलवा दी डिंपल कपाड़िया की फिल्म 'बॉबी'

Lok Sabha Election Story: क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान किस लेवल तक पहुंच सकती है? यह समझाने वाला एक दिलचस्प किस्सा है. 1977 का दौर था. इंदिरा गांधी ने अचानक आम चुनाव की घोषणा कर विपक्ष को हैरान कर दिया था. एक दिन जगजीवन राम का इस्तीफा होता है तो विपक्ष ने दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली की घोषणा कर दी. 'दि इमर्जेंसी, अ पर्सनल हिस्ट्री' के लेखक कूमी कपूर ने लिखा है कि तब सूचना और प्रसारण मंत्री रहे विद्याचरण शुक्ल ने दूरदर्शन पर संडे को आने वाली फिल्म का समय बदलवा दिया और लोगों को रैली में जाने से रोकने के लिए पॉपुलर फिल्म 'बॉबी' दिखाई जाने लगी. 

हिट फिल्म टीवी पर लेकिन...

डिंपल कपाड़िया और ऋषि कपूर की 1973 में आई 'बॉबी' हिट फिल्म थी. हालांकि इमर्जेंसी के कारण लोग इस कदर कांग्रेस से नाराज थे कि वे बॉबी देखने के लिए टीवी के सामने नहीं बैठे बल्कि रैली में पहुंच गए. जेपी और जगजीवन राम को सुनने के लिए जनता खिंची चली आई थी. 

उस दिन बसें भी बंद थीं

हां, भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने उस दिन के बारे में बताया था कि तब जनसैलाब उमड़ा था. इतनी बड़ी कभी नहीं देखी गई. हाल यह था कि बस सेवाएं भी रोक दी गई थीं फिर भी लोग कई किमी पैदल चलकर उस रैली में आए थे. 

जनता का मूड भांप नहीं पाईं इंदिरा

बताते हैं कि इंदिरा गांधी चुनाव की घोषणा कर चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर जैसे धाकड़ नेताओं का मनोबल कमजोर करना चाहती थीं. दरअसल, कई नेता तब जेल से निकलकर आए ही थे और काफी जेल में थे. बाद में खूब जोड़तोड़ चलने लगी. विपक्षी जनता पार्टी के लिए घूम-घूमकर चंदा इकट्ठा किया गया था.

बताते हैं कि तब इंदिरा गांधी को उनके राजनीतिक सलाहकारों ने कहा था कि अभी विपक्ष कमजोर है या है ही नहीं, ऐसे में चुनाव जल्दी करा लेना चाहिए. इससे विपक्ष को तैयारी का ज्यादा मौका नहीं मिलेगा और सत्ता पक्ष आसानी से जीत जाएगा. ऐसे में अचानक 18 जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी ने राष्ट्र को संबोधित किया और मार्च में आम चुनाव कराने की घोषणा कर दी. कुछ विपक्षी नेता उस समय भी जेल में बंद थे. 

2 फरवरी को तीन बड़े कांग्रेस नेताओं ने इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के साथ जाने का फैसला किया. वे थे- बाबू जगजीवन राम, हेमवती नंदन बहुगुणा और नंदिनी सत्पथी. नंदिनी ओडिशा की मुख्यमंत्री भी रह चुकी थीं. इसके बाद वो महारैली हुई थी. बाद में जनता पार्टी ने चुनावों में जीत दर्ज की. 

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