Lok Sabha Election: वे खुद नहीं लड़ना चाहते... एसटी हसन पर अखिलेश की ये सफाई कहीं कर न दे पश्चिमी यूपी से सफाया!
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Lok Sabha Election: वे खुद नहीं लड़ना चाहते... एसटी हसन पर अखिलेश की ये सफाई कहीं कर न दे पश्चिमी यूपी से सफाया!

Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश की धाकड़ सियासी पार्टी समाजवादी पार्टी.. इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ढीली पड़ती दिखाई दे रही है. या यूं कह लीजिए कि सपा ने चुनाव से पहले ही पश्चिमी यूपी में सरेंडर कर दिया है!

Lok Sabha Election: वे खुद नहीं लड़ना चाहते... एसटी हसन पर अखिलेश की ये सफाई कहीं कर न दे पश्चिमी यूपी से सफाया!

Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश की धाकड़ सियासी पार्टी समाजवादी पार्टी.. इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ढीली पड़ती दिखाई दे रही है. या यूं कह लीजिए कि सपा ने चुनाव से पहले ही पश्चिमी यूपी में सरेंडर कर दिया है! इसका जीता-जागता उदाहरण मुरादाबाद और रामपुर में देखने को मिल रहा है. दोनों ही लोकसत्रा क्षेत्र में सपा की तूती बोलती थी लेकिन इस बार पार्टी की निराशा दिख रही है.

मुरादाबाद में सपा के लिए कुछ भी ठीक नहीं!

पहले बात करते हैं मुरादाबाद की, यहां से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एसटी हसन सांसद हैं. उन्हें मुरादाबाद का जमीनी नेता कहा जाता है. लेकिन समाजवादी पार्टी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में एसटी हसन को टिकट न देकर रूचि वीरा को उम्मीदवार बना दिया. एसटी हसन चुनावी रेस से ही बाहर हो गए. चुनाव से पहले जब भी ऐसी स्थिति बनी है तो उम्मीदवार से ज्यादा नुकसान पार्टी को हुआ है.

अखिलेश यादव ने एसटी हसन को लेकर क्या कहा..

आज बुधवार की शाम जब अखिलेश यादव से एसटी हसन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कह दिया कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते. अखिलेश यादव ने कहा कि एसटी हसन को रामपुर की टिकट दी गई.. मगर वो लड़ना ही नहीं चाहते थे. एसटी हसन की बात करें तो उनकी नाराजगी बिना जाहिर किए ही जाहिर है. उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वे इस बार भी मुरादाबाद से ही चुनाव लड़ेंगे. लेकिन यहां आजम खान खेमे की रूचि वीरा को टिकट मिल गया. इसका नतीजा यह है कि एसटी हसन मुरादाबाद के चुनाव प्रचार में कहीं नहीं दिखे.

रामपुर नहीं गए अखिलेश यादव

रामपुर भी कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में रामपुर में समाजवादी पार्टी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही. आजम खान चाहते थे कि अखिलेश यादव रामपुर से चुनाव लड़ें. लेकिन अखिलेश यादव ने आजम की बात नहीं मानी. सपा की तरफ से यहां मौलाना को उम्मीदवार बनाया गया है. आजम खान खेमा अखिलेश यादव के इस फैसले के विरोध में है और चुनाव से भी दूरी बना चुका है. इतना ही नहीं अखिलेश यादव भी रामपुर में एक भी बार चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए.

हाथ से निकल न जाए पश्चिमी उत्तर प्रदेश!

इसके अलावा जयंत चौधरी के रहते पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी ताकतवर लग रही थी. लेकिन चौधरी के सपा से हाथ खींचने के बाद से पश्चिमी यूपी में पार्टी की पकड़ कमजोर होती दिखाई दे रही है. सपा के लिए जयंत चौधरी का साथ छोड़ना और फिर रामपुर और मुरादाबाद में आपसी कलह सहीं संकेत नहीं है. ये सभी सियासी घटनाक्रम, यही इशारा कर रहे हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए पश्चिमी यूपी आसान नहीं होने वाला है.

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