Jayant Sinha Notice: जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा पहले भाजपा में थे. वह मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं. अब उनके बेटे चर्चा में हैं. उन्हें इस बार हजारीबाग से टिकट नहीं मिला था या कहिए उन्होंने टिकट लेने से मना कर दिया था. अब भाजपा ने उन्हें कारण बताओ नोटिस क्यों भेजा है?
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Hazaribagh Lok Sabha Chunav: भाजपा ने हजारीबाग से मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा को कारण बताओ नोटिस भेजा है. दरअसल, हजारीबाग से इस बार मनीष जायसवाल को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद सिन्हा चुनाव प्रचार में नहीं दिख रहे थे. भाजपा का दावा है कि इससे पार्टी की छवि खराब हुई. सोमवार को वह कथित तौर पर अपना वोट भी डालने नहीं गए. उनके पिता यशवंत सिन्हा वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे हैं.
नोटिस में क्या कहा गया...
61 साल के सिन्हा ने मार्च में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद दूसरे कैंडिडेट को इस हाई-प्रोफाइल सीट से खड़ा किया गया. भाजपा के झारखंड प्रदेश महासचिव आदित्य साहू ने नोटिस में कहा, ‘जब से पार्टी ने मनीष जायसवाल को हजारीबाग लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है, तब से आप (जयंत) संगठनात्मक कार्यों और चुनाव प्रचार में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. आपने अपने मताधिकार का प्रयोग करना भी उचित नहीं समझा. आपके इस आचरण के कारण पार्टी की छवि खराब हुई है.’
झारखंड | भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद जयंत सिन्हा को कारण बताओ नोटिस जारी कर 2 दिन के अंदर जवाब देने को कहा है।
नोटिस में लिखा गया है, "जब से पार्टी ने मनीष जयसवाल को हज़ारीबाग़ लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है तब से आप संगठनात्मक कार्यों और चुनाव प्रचार में कोई… pic.twitter.com/VBnLrchG80
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 21, 2024
हो सकती है कार्रवाई
पार्टी ने जयंत सिन्हा से दो दिन के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है. भविष्य में क्या कार्रवाई की जा सकती है, जब इस बारे में पूछा गया तो साहू ने कहा कि यह जयंत सिन्हा के जवाब पर निर्भर करेगा.
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2 मार्च को जयंत सिन्हा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से आग्रह किया था कि वह उन्हें चुनावी दायित्व से मुक्त करें. वह भारत और दुनिया में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर अपने प्रोजेक्ट पर फोकस करना चाहते हैं.
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2019 के लोकसभा चुनाव में सिन्हा करीब 5 लाख वोटों के अंतर से जीते थे. इस बार सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि भाजपा ने आंतरिक सर्वे के आधार पर जयंत सिन्हा को फिर से टिकट नहीं देने का फैसला किया. (एजेंसी इनपुट के साथ)