U Turn Review: अलाया एफ ने संभाली कमान; मगर बात कुछ और होती, जो लेखकों ने रखा होता ध्यान
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U Turn Review: अलाया एफ ने संभाली कमान; मगर बात कुछ और होती, जो लेखकों ने रखा होता ध्यान

Alaya F Film: पिछले साल कार्तिक आर्यन के साथ ओटीटी फिल्म फ्रेडी में प्रभावित करने के बाद अलाया एफ ने यू टर्न में फिर भरोसेमंद परफॉरमेंस दिया है. इस कन्नड़ रीमेक को वह अपने कंधों पर संभालती हैं. लेकिन समस्या तब आती है जब हॉरर लगती कहानी, एक साधारण मोड़ से दूसरे ट्रेक पर चली जाती है.

 

U Turn Review: अलाया एफ ने संभाली कमान; मगर बात कुछ और होती, जो लेखकों ने रखा होता ध्यान

New Film On Zee5: यह फिल्म अपने नाम की तरह बीच में यू-टर्न लेकर दर्शक को चौंकाती है. पहले हॉरर और फिर साधारण ड्रामा. कहानी एक युवा जर्नलिस्ट राधिका बख्शी (अलाया एफ) की है. वह चंडीगढ़ में रहती है, अकेली. इंडी टाइम्स नाम के अखबार में काम करती. राधिका एनटीपीसी फ्लाइओवर पर होने वाले सड़क हादसों पर करीब साल भर से नजर रखे है और एक स्टोरी कर रही है. वह पाती है कि इस लंबे फ्लाइओवर पर लोग अक्सर डिवाइडर ब्लॉक्स को हटा देते हैं और बीच से यू टर्न ले लेते हैं. नियम तोड़ने वाले ये लोग डिवाइडर ब्लॉक्स वापस जगह पर भी नहीं रखते. नतीजा यह कि दूसरी तरफ से आने वाली गाड़ियां हादसे का शिकार होती हैं. जिसमें लोगों की जान तक जाती है. मगर खास बात यह कि जो लोग ये डिवाइडर ब्लॉक हटाकर यू टर्न लेते हैं, उसी रात उनकी भी रहस्यमयी ढंग से मौत हो जाती है. आखिर क्या है माजराॽ

कनेक्शन राधिका का
यू टर्न की कहानी रोचक ढंग से शुरू होती है. यह सवाल लगातार बड़ा बनता है कि डिवाइडर ब्लॉक्स हटाकर यू टर्न लेने वाले आखिर कैसे मारे जा रहे हैंॽ उनकी मौत के पीछे कौन हैॽ फॉरेंसिक डिपार्टमेंट से पुलिस में आए इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह ढिल्लन (मनुऋषि चड्ढा) का कहना है कि यह ‘हवा’ का चक्कर है. पर्दे पर दिखती इक्का-दुक्का मौतें और राधिका के सीन भी संकेत करते हैं कि मामला कुछ भुतहा है. कहानी में रहस्य गहराता है और हॉरर का हल्का एहसास भी होता है. परंतु दूसरे हिस्से में कहानी करवट और ट्रेक दोनों बदलती है. पता चलता है कि राधिका इसलिए पूरे केस में इतनी दिलचस्पी ले रही है क्योंकि सड़क दुर्घटना में उसके भाई की मौत हो गई थी. क्या इन हत्याओं से राधिका का कोई कनेक्शन हैॽ

बात नहीं साफ
यू टर्न का दूसरा हिस्सा इसे तर्क की पटरी से उतार देता है. तब आपको लगता है कि यह हिस्सा जबर्दस्ती असहज कोशिशों से गढ़ा गया है. कहानी साधारण हो जाती है और नया ट्रेक इसके रोमांच को खत्म कर देता है. निश्चित ही पूरे देश में हर दिन बड़ी संख्या में होने वाली सड़क दुर्घटनाएं चिंता का विषय है. ज्यादातर मामलों में दुर्घटनाओं के पीछे लोगों की लापरवाही या यातायात नियम-कायदों की अनदेखी होती है. एक तरह से फिल्म आपको इन बातों के प्रति संवेदनशील तथा जागरूक बनाने की कोशिश करती है, लेकिन अपनी बात साफ ढंग से नहीं कह पाती. 

लॉजिक से ऊपर
जी5 पर रिलीज हुई यू टर्न इसी नाम से 2016 में कन्नड़ में बनी फिल्म का हिंदी रीमेक है. लेखकों ने मूल कहानी में, खास तौर पर दूसरे हिस्से में बड़े बदलाव किए हैं, लेकिन वे फिल्म के हक में नहीं जाते. मूल कहानी पवन कुमार ने लिखी, जबकि हिंदी में पटकथा परवेज शेख और राधिका आनंद ने लिखी है. पटकथा एक समय के बाद निराश करती है. लेखकों ने यहां न लॉजिक का ध्यान रखा और न ही वे कहानी में ऐसी बातों को शामिल कर पाए, जो एंटरटेन करें. फिल्म में राधिका के रोमांस का हल्का-सा ट्रेक है. परंतु कहानी का पूरा फोकस यू टर्न पर है. यू टर्न लेने वालों की मौत के चुनिंदा दृश्य और पुलिस कस्टडी में दो मौतों के अलावा पूरी कहानी राधिका के फ्लाइओवर वाले हादसों से कनेक्शन से जुड़ी है. इसमें पुलिस जांच के ट्रेक भी हैं. फिल्म में म्यूजिक या कॉमेडी नहीं है.

तो बात होती बेहतर
फिल्म को काफी हद तक अलाया एफ ने अपने कंधों पर संभाला है. हर फिल्म के साथ उनका परफॉरमेंस बेहतर हो रहा है. पिछले साल फिल्म फ्रेडी में अलाया ने प्रभावित किया था. अच्छी बात यह है कि वह पारंपरिक लुक वाली फिल्मों से इतर काम कर रही हैं. फिल्म में मनुऋषि चड्ढा का रोल महत्वपूर्ण है. जबकि इंस्पेक्टर बने प्रियांशु पन्यूली समेत अशीम गुलाटी का रोल छोटा मगर अहम है. इसके बावजूद कुल मिलाकर फिल्म औसत थ्रिलर साबित होती है, जो बीच रास्ते में भटक जाती है. अगर आपने मूल फिल्म नहीं देखी, तो खाली समय में इसे देख सकते हैं. निर्देशक के रूप में आरिफ खान ठीक हैं, परंतु राइटरों का सहयोग उन्हें मिलता तो बात कुछ और बेहतर बनती.

निर्देशकः आरिफ खान
सितारे: अलाया एफ, प्रियांशु पेन्यूली, आदित्य धर, मनुऋषि चड्ढा, राजेश शर्मा
रेटिंग**1/2

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