Parvez Musharraf Bollywood: मुशर्रफ थे बॉलीवुड के दीवाने; रफी का ये गाना था फेवरेट और अमिताभ की फिल्म पर तो...
Pervez Musharraf: परवेज मुशर्रफ दिल्ली में पैदा हुए थे और हिंदी सिनेमा उनकी जिंदगी का हिस्सा था. वह बॉलीवुड फिल्में ही नहीं देखते थे बल्कि बॉलीवुड सितारों से भी उनकी मुलाकातें रही हैं. भले ही राजनीतिक वजहों से उन्होंने इन बातों का खुल कर इजहार नहीं किया.
Written ByRavi Buley|Last Updated: Feb 05, 2023, 04:41 PM IST
Parvez Musharraf Death: पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ कारगिल के खलनायक थे, परंतु बॉलीवुड के लिए उनके मन में एक खास दीवानगी थी. वह हिंदी फिल्में देखते थे, अमिताभ बच्चन के फैन थे और मोहम्मद रफी उनके प्रिय गायकों में थे. दुबई होने वाली अनेक पार्टियों और समाराहों में परवेज मुशर्रफ पहुंचते थे, जहां बॉलीवुड सितारे भी मौजूद होते. परवेज मुशर्रफ इन सितारों से यहां खुद मिलते. यही नहीं पार्टियों में वह बॉलीवुड गानों का मजा भी लेते. यह अलग बात है कि सार्वजनिक रूप से उन्होंने इस तरह की बातें कभी स्वीकार नहीं कि क्योंकि पाकिस्तान की राजनीति में उन्हें अपना भारत विरोधी चेहरा बनाए रखना था.
2008 में जब पाकिस्तान की सत्ता पर नौ साल काबिज रहने के बाद मुशर्रफ ने गद्दी छोड़ी तो वहां के चर्चित अखबार डेली स्टार में पाकिस्तान टीवी के चर्चित होस्ट हामिद मीर ने अपने आलेख में लिखा कि कुर्सी छोड़ने की अगली सुबह मुशर्रफ रिलेक्स थे और उन्होंने आराम के पलों में अपना फेवरेट गाना सुनाः चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना (फिल्मः भाभी, 1957). हालांकि उन्होंने अपने आस-पास मौजूद दोस्तों को भरोसा दिलाया कि यह केवल गाना है और वह अपना देश छोड़ कर नहीं जाने वाले हैं. मीर ने लिखा कि रफी मुशर्रफ के पसंदीदा गायक हैं और अक्सर फुर्सत के पलों में वह उन्हें सुनते हैं. गद्दी छोड़ने के बाद मुशर्रफ लंबे समय तक पाकिस्तान में रहे लेकिन जब उनके विरुद्ध जानलेवा राजनीति होने लगी, तो अंततः अपना देश छोड़ कर दुबई में बस गए.
द लाइन ऑफ फायर
तमाम पाकिस्तानियों की तरह मुशरर्फ बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन के फैन रहे हैं. जनरल मुशर्रफ ने जब अपनी आत्मकथा इन द लाइन ऑफ फायर अंग्रेजी में लिखी तो उन्होंने भारत में इसकी बिक्री के लिए हिंदी में अनुवाद भी कराया. जब किताब के टाइटल की बात आई तो मुशर्रफ ने इसे अमिताभ बच्चन की फिल्म अग्निपथ का नाम दिया. हिंदी में यह किताब अग्निपथः मेरी आत्मकथा नाम से प्रकाशित हुई. यह आज भी बाजार में उपलब्ध है. इस हिंदी किताब को उन्होंने न्यूयॉर्क में लॉन्च किया. मुशर्रफ के करीबियों ने कहा कि हिंदी में इस किताब के नाम पर उन्होंने काफी चर्चा की और आखिर में अमिताभ बच्चन की फिल्म पर अग्निपथ नाम फाइनल किया.
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