Chor Nikal Ke Bhaga Review: कमजोर है इसका थ्रिल, यामी की मेहनत ही बचाती है इस फिल्म को थोड़ा
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Chor Nikal Ke Bhaga Review: कमजोर है इसका थ्रिल, यामी की मेहनत ही बचाती है इस फिल्म को थोड़ा

Yami Gautam Film: यामी गौतम ने ओटीटी पर बीते कुछेक वर्षों में अच्छी फिल्में दी हैं और उनका परफॉरमेंस भी सराह गया. मगर चोर निकल के भागा की कहानी का थ्रिल उनकी ऐक्टिंग के आगे कमजोर पड़ जाता है.

 

Chor Nikal Ke Bhaga Review: कमजोर है इसका थ्रिल, यामी की मेहनत ही बचाती है इस फिल्म को थोड़ा

Sunny Kaushal Film: निर्देशक अजय सिंह की हिंदी में यह पहली फिल्म है. इससे पहले वह मराठी में फिल्में बना चुके हैं. चोर निकल के भागा से उन्होंने भाषा के साथ फिल्म मेकिंग का अंदाज भी बदला है. लेकिन कहानी का चुनाव प्रभावित करने वाला नहीं है. कहानी के किरदार कहां से आए हैं और उनका अतीत क्या है, कुछ पता नहीं चलता. बीच में कुछ सामने आता भी है, तो वह फिल्मी होता है. कहानी सीधे दिखाती है कि बिजनेसमैन अंकित सेठी (सनी कौशल) रईसों की तरह यहां से वहां फ्लाइट में उड़ता है और उसकी लगभग हर फ्लाइट में नेहा (यामी गौतम धर) होती है. नेहा एयर होस्टेस है. अंकित नेहा से फ्लर्ट शुरू करता है और दोनों मौके-बेमौके टकराते हुए अंतत एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं. प्यार उस मोड़ तक पहुंचता है, जहां नेहा प्रेग्नेंट हो जाती है और यहीं उसके सामने रहस्य खुलता है कि अंकित को कुछ लोग धमका रहे हैं. अंकित ने उनके 20 करोड़ रुपये के हीरे खो दिए थे. ये लोग उससे वह रुपया वापस चाह रहे हैं. आखिर यह रास्ता निकलता है कि अंकित एक अरबी शख्स के पास से भारत में हवाई जहाज से स्मगल करके लाए जा रहे 120 करोड़ के हीरे, हवा में ही चुरा लेगा. नेहा इसमें मदद देगी. मगर हवाई जहाज हाईजैक हो जाता है और अंकित के बनाए प्लान पर ग्रहण लग जाता है. आगे क्या होगाॽ यही कहानी का थ्रिल है.

हवा में हाईजैक
अगर आप फिल्मों के रेगुलर दर्शक हैं तो जल्द ही समझ जाते हैं कि किसने किसके लिए कैसा जाल बिछाया है. हीरों की तस्करी और चोरी की ऐसी कहानियां सिनेमावालों का प्रिय विषय रही हैं. जबकि इनका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं होता. चोर निकल के भागा में भी यही स्थिति है. मोबाइल का बैक-कवर हीरों से जड़ा है. इस मोबाइल कवर के दो और डुप्लीकेट बनते हैं. कैसे असली वाले की चोरी होगी, कौन करेगा और अंत में क्या होगाॽ फिल्म बड़े ही शिथिल ढंग से इन सवालों से निपटती है. खास तौर पर प्लेन के हाइजैक होने के सीन काफी कमजोर हैं और यहां कोई नयापन नहीं है. लगातार घटनाओं का दोहराव इस प्लेन हाइजैक में है. पूर तरह से कहानी यहां नेहा और अंकित पर फोकस होती है. मगर थ्रिलर गायब हो जाता है. हाईजैक की भयावहता भी नजर नहीं आती. इस ड्रामे को देखते हुए आपको सोनम कपूर की नीरजा याद आती है. उस पर जिस तरह से हाईजैक का ड्रामा खत्म होता है, वह थ्रिल के नाम पर और भी हास्यास्पद हो जाता है.

बात किरदारों की
फिल्म को काफी हद तक यामी ने अपने कंधों पर संभाला है. जबकि सनी कौशल के किरदार में धार नहीं दिखती. वह किरदार में भी फिट नजर नहीं आते. उन्हें देख कर लगता ही नहीं कि यह आदमी करोड़ों के हीरों का कारोबार करता है. यामी की बैकस्टोरी जब आती है, तो बनावटी मालूम पड़ती है. फिल्म किसी भी मोड़ पर उस ऊंचाई पर नहीं जाती, जहां आप उसके प्रति मुग्ध हो जाएं. कहानी को इस तरह से सनी और यामी कि इर्द-गिर्द बुना गया है कि किसी अन्य के लिए गुंजाइश नहीं बचती. हालांकि कमजोर परफॉरमेंसों के बीच गृहमंत्री बने बरुण चंदा जरूर अपने अभिनय से इंप्रेस करते हैं. शरद केलकर जब तक अपने फॉर्म में आएं, लेखक-निर्देशक ने उनके किरदार को खत्म कर दिया. वहीं इंद्रनल सेनगुप्ता का होना, न होना बराबर है.

रोमांस का चांस
चोर निकल के भागा की कहानी का केंद्रीय आइडिया मजबूत होने के बावजूद इसकी राइटिंग कमजोर है. स्क्रिप्ट और डायलॉग इसे उठा नहीं पाते. यामी और सनी के बीच रोमांस के साथ रोमांटिक गीत-संगीत की फिल्म में गुंजाइश थी, लेकिन निर्देशक इसे भुना नहीं पाए. कमजोर गाने रोमांस को सतही बनाते हैं और हीरोइन का प्रेग्नेंट हो जाना, उसे और नीचे ले जाता है. एक समस्या यह है कि सनी और नेहा पार्टनर के रूप में स्क्रीन पर आकर्षण नहीं पैदा कर पाते. कुल मिलाकर फिल्म एक औसत कहानी होकर रह जाती है, जिसे खाली समय और कोई विकल्प न होने पर देखा जा सकता है. अच्छा यही है कि यह फिल्म थियेटरों में रिलीज होकर डायरेक्ट नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. निर्माता बड़े घाटे से बच गए.

निर्देशकः अजय सिंह
सितारे : यामी गौतम धर, सनी कौशल, शरद केलकर, इंद्रनील सेनगुप्ता, बरुण चंदा
रेटिंग**1/2

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