विश्व कप खेलने जा रही टीमों में सबसे संतुलित टीम इंग्लैंड है. भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीम भी बेहतरीन हैं, लेकिन...
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नई दिल्ली: अगले महीने से होने वाले आईसीसी वर्ल्ड कप (World Cup 2019) के लिए सभी 10 टीमें (World Cup squad) घोषित हो गई हैं. इसके साथ ही उन कयासों पर विराम लग गया है कि किस खिलाड़ी को विश्व कप में खेलने का मौका मिलेगा और किसके सपने टूट जाएंगे. अब तो बहस इस ओर बढ़ गई है कि कौन सी टीम सबसे ताकतवर है, कौन संतुलित है, कौन छुपा रुस्तम साबित होगी और कौन खिताबी रेस से बाहर है. विश्व कप की इन टीमों और इनके रिकॉर्ड को देखकर यह साफ है कि हर टीम में कोई ना कोई कमजोरी है, जिसे वे भरसक प्रयास के बावजूद दूर नहीं कर सकीं. इन टीमों की इन्हीं कमजारियों पर नजर:
ऑस्ट्रेलिया के पास फिनिशर नहीं
ऑस्ट्रेलिया की टीम डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ के आने से मजबूत हुई है. उसके पास टॉप ऑर्डर में कप्तान एरॉन फिंच, वार्नर, स्मिथ और उस्मान ख्वाजा जैसे बल्लेबाज हैं. पांचवें नंबर पर ग्लेन मैक्सवेल खेलेंगे. इस टीम में छठे नंबर पर खेलने के लिए ऐसे अनुभवी बल्लेबाज की कमी है, जो मुश्किल परिस्थितियों में मैच निकाल सके. इस नंबर पर मार्कस स्टोइनिस के खेलने की संभावना है. वे बिग हिटर हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने यह साबित नहीं किया है कि वे लक्ष्य का पीछा करते हुए दबाव में मैच फिनिश कर सकते हैं.
नंबर-4 है टीम इंडिया की कमजोरी
भारतीय कप्तान विराट कोहली छह महीने पहले तक यह दावा कर रहे थे कि अंबाती रायडू नंबर-4 के लिए आदर्श बल्लेबाज हैं. वे हर परिस्थिति में खेल सकते हैं. लेकिन रायडू विश्व कप की टीम में चुने ही नहीं गए. टीम इंडिया में उनकी जगह नंबर-4 की जिम्मेदारी वह खिलाड़ी (विजय शंकर) संभालेगा, जिसने इसी साल वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया है. वे वनडे क्रिकेट में 200 रन भी नहीं बना सके हैं.
न्यूजीलैंड के सामने स्पिनरों की चुनौती
न्यूजीलैंड विश्व कप की उन टीमों में से है, जिन्हें आप संतुलित कह सकते हैं. लेकिन इस टीम की एक परंपरागत कमजोरी है, जो इस बार भी उन्हें परेशान कर सकती है. न्यूजीलैंड के बल्लेबाज तेज गेंदबाजी का तो अच्छी तरह सामना करते हैं, लेकिन स्पिनरों के जाल में फंस जाते हैं. स्पिनरों के खिलाफ कप्तान केन विलियम्सन और रॉस टेलर को छोड़ किसी भी कीवी बल्लेबाज का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है.
अफ्रीकी टीम में ओपनर और नंबर-5/6 समस्या
1992 के बाद यह पहला मौका है, जब दक्षिण अफ्रीका को खिताब का मजबूत दावेदार नहीं माना जा रहा है. वैसे तो वह आज भी एबी डिविलियर्स की कमी से नहीं उबरा है. लेकिन उसकी कमजोरी कुछ और है. उसके ओपनर हाशिम अमला पिछले कई महीनों से रंग में नहीं है. ऐसे में टीम के सामने ओपनिंग जोड़ी को लेकर समस्या खड़ी हो गई है. कप्तान डू प्लेसिस, जेपी डुमिनी और डेविड मिलर संभवत: तीन, चार और पांच नंबर पर खेलेंगे. ऐसे में छठे नंबर का बल्लेबाज तय नहीं है. टीम में बेहतरीन ऑलराउंडर का भी अभाव है, जो उसके पांचवें-छठे नंबर की समस्या को बढ़ा देता है.
अफगानिस्तान का पेस अटैक भरोसेमंद नहीं
अफगानिस्तान की टीम पहली बार विश्व कप खेलने जा रही है. यह ऐसी टीम है, जिसके पास कुछ विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं. टीम की सबसे बड़ी ताकत उसके स्पिनर हैं. राशिद खान को तो दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लेग स्पिनर माना जाता है. लेकिन इस टीम में बेहतरीन तेज गेंदबाजों की कमी दिखती है. विश्व कप इंग्लैंड और वेल्स में हो रहा है, जहां तेज गेंदबाजों की सहायक पिचें होती हैं. ऐसे में अफगानिस्तान का पेस अटैक उसकी कमजोरी साबित हो सकता है.
बांग्लादेश के पास स्पिनर और फिनिशर नहीं
बांग्लादेश उन टीमों में से है, जिसने लगातार सुधार किया है. उसकी टीम में तमीम इकबाल जैसा ओपनर है तो मिडिल ऑर्डर में मुशफिकुर रहीम, शाकिब हल हसन हैं. तेज गेंदबाजी में मुस्तफिजुर रहमान और रूबेल हुसैन हैं. इत्तफाक से इस टीम की कमजोरी वह है, जो कुछ साल तक इसका मजबूत पक्ष होता था. इस टीम में विश्वस्तरीय स्पिनर नहीं है. शाकिब अब पहले जैसे धारदार नहीं रहे. मेहदी हसन में वह बात नहीं है कि वे बीच के ओवरों में विरोधी टीम पर दबाव बनाकर विकेट निकाल सकें.
वेस्टइंडीज: मिडिलऑर्डर कमजोर, स्पिनर भी चुनौती
वेस्टइंडीज की टीम कई साल बाद फिर से खुद को विश्व कप के दावेदार के तौर पर पेश कर रही है. इस टीम में क्रिस गेल जैसा विस्फोटक ओपनर और आंद्रे रसेल जैसा खतरनाक ऑलराउंडर है. टीम की तेज गेंदबाजी भी दमदार है. लेकिन मिडिलऑर्डर इसकी कमजोरी है. इस टीम में ऐसे बल्लेबाजों का अभाव है, जो बीच के ओवरों में सिंगल-डबल खेलकर पारी को बढ़ा सकें. इसके अलावा स्पिनर विंडीज की दोतरफा कमजोरी हैं. टीम में ऐसे स्पिनर नहीं हैं, जो विरोधी टीम पर लगाम लगा सकें. साथ ही, विंडीज के बल्लेबाज भी स्पिनरों को खेलने में कमजोर हैं.
पाकिस्तान की टीम में फिनिशर नहीं
पाकिस्तान की टीम खुद को विश्व कप के दावेदार के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन इसमें कुछ ऐसी कमजोरियां हैं, जो उसका रास्ता रोक सकती हैं. इस टीम में फखर जमान और इमाम उल हक के रूप में अच्छी ओपनिंग जोड़ी है. तीसरे नंबर पर बाबर आजम अच्छा खेलते हैं. लेकिन चौथे से छठे नंबर की बल्लेबाजी कमजोर है. अगर मोहम्मद हफीज और शोएब मलिक चौथे और पांचवें नंबर पर खेलते हैं तो टीम को छठे नंबर पर फिनिशर की कमी खलने वाली है. अगर मलिक को छठे नंबर पर भेजा जाता है तो मिडिलआर्डर कमजोर हो जाएगा. टीम की गेंदबाजी दमदार है.
श्रीलंका का गेंदबाजी आक्रमण कमजोर
श्रीलंका विश्व की उन टीमों में से एक है, जिसके प्रदर्शन में काफी गिरावट आई है. यह टीम आज भी कुमार संगकारा, महेला जयवर्धने और मुथैया मुरलीधरन के संन्यास से नहीं उबर पाई है. टीम की बल्लेबाजी तो फिर भी ठीक-ठाक है, लेकिन गेंदबाजी बेहद कमजोर हो गई है. तभी तो यहां के पूर्व क्रिकेटर उस गेंदबाज (लसिथ मलिंगा) को अपनी सबसे बड़ी ताकत बता रहे हैं, जो 35 साल का है और जिसकी फिटनेस हमेशा संदेह के घेरे में रहती है. टीम की कप्तानी भी वह खिलाड़ी (दिमुथ करुणारत्ने) करेगा, जो पिछले चार साल से वनडे मैच खेला ही नहीं है.
मेजबान इंग्लैंड का रिकॉर्ड बेहद कमजोर
विश्व कप की 10वीं टीम मेजबान इंग्लैंड है. इंग्लैंड विश्व कप की सबसे संतुलित टीम है. उसके पास ओपनिंग के लिए जॉनी बेयरस्टो, एलेक्स हेल्स और जेसन रॉय हैं. मिडिल ऑर्डर में जो रूट, इयोन मोर्गन, जोस बटलर और मोइन अली हैं. ऑलराउंडर बेन स्टोक्स हैं. गेंदबाजी में टॉम कुरैन, लियाम प्लांकट, क्रिस वोक्स, डेविड विली और मार्क वुड हैं. वैसे तो इस टीम में कोई कमजोरी नजर नहीं आती. लेकिन इस टीम का विश्व कप में रिकॉर्ड बेहद कमजोर है. टीम तीन बार विश्व कप का फाइनल हार चुकी है. ऐसे में यही माना जा रहा है कि कहीं ऐसा ना हो कि इंग्लैंड बड़े मैच के दबाव में बिखर जाए.