शिखर धवन को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रविवार को चोट लगी थी. वे गुरुवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ नहीं खेलेंगे.
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नई दिल्ली: भारतीय ओपनर शिखर धवन (Shikhar Dhawan) के अंगूठे में चोट है. वे आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप (World Cup 2019) में अगला मैच नहीं खेलेंगे. कब खेलेंगे, यह भी नहीं पता. इसके बावजूद टीम इंडिया (Team India) ने उन्हें अपने साथ बनाए रखा है. उसने आईसीसी से उनका रिप्लेसमेंट नहीं मांगा है. आखिर इसकी क्या वजह है? एक और सवाल. तो क्या शिखर धवन बीसीसीआई और टीम इंडिया की मजबूरी बन गए हैं या फिर उन्हें किसी स्ट्रेटजी के तहत टीम के साथ रखा गया है? ऐसे कई सवाल क्रिकेटप्रेमियों के मन में तो हैं, लेकिन बीसीसीआई (BCCI) ने इनका जवाब नहीं दिया है.
ऐसा लगता है कि भारतीय बोर्ड और टीम मैनेजमेंट ने सोचा-समझा रिस्क लिया है. अगर आप इस रिस्क फैक्टर को समझना चाहते हैं तो आपको भारत के आने वाले मैचों के शेड्यूल, इंग्लैंड के मौसम, टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने के समीकरण को समझना होगा. यह भी देखना होगा कि भारत अगर शिखर धवन को टीम से बाहर करके दूसरे खिलाड़ी को शामिल करता है तो इससे टीम को कितना फायदा होगा. कहीं ऐसा तो नहीं कि जितना फायदा होगा, उससे ज्यादा नुकसान हो जाए...
एक बार बाहर, तो पूरे टूर्नामेंट के लिए बाहर
सबसे पहले तो वर्ल्ड कप के मैच के दौरान टीम में बदलाव के नियम को जान लेना चाहिए. कोई भी देश अपनी 15 सदस्यीय टीम में से किसी खिलाड़ी को तभी बाहर कर सकता है, जब वह चोटिल हो. इसके लिए भी आईसीसी से इजाजत लेनी होती है. यही केस धवन के मामले में लागू होता या होगा. अब अगर धवन 15-20 दिन बाद फिट भी हो जाते तो वे टीम के लिए उपयोगी तो साबित हो सकते थे, लेकिन मुश्किल यह थी कि वे दोबारा टीम में लौट नहीं सकते थे. धवन तभी दोबारा लौट सकते थे, जब कोई दूसरा खिलाड़ी चोटिल हो और उसकी जगह टीम प्रबंधन उन्हें टीम में शामिल करने की मांग करता. अब यह उम्मीद (इसे आशंका भी पढ़ सकते हैं) करना तो ज्यादा ही है कि 20 दिन बाद कोई खिलाड़ी चोटिल होता और धवन टीम में लौटते.
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15 दिन में सिर्फ दो मैच ही महत्वपूर्ण
अब भारत के कार्यक्रम पर बात करते हैं. भारत को अगले 15 दिनों में तीन मैच खेलने हैं. ये मैच 13 जून (विरुद्ध न्यूजीलैंड), 16 जून (विरुद्ध पाकिस्तान) और 22 जून (विरुद्ध अफगानिस्तान) को होंगे. इसके बाद भारत का मैच 27 जून को वेस्टइंडीज से होगा. अगर भारत धवन की जगह किसी अन्य खिलाड़ी को टीम में शामिल करता तो वह न्यूजीलैंड के खिलाफ शायद ही खेल पाता. हां, यह संभव है कि नया खिलाड़ी पाकिस्तान के खिलाफ मैच में टीम के लिए उपलब्ध होता. और यह माना जा सकता है कि अफगानिस्तान के खिलाफ एक खिलाड़ी के नहीं होने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
नॉकआउट मैचों में अहम साबित हो सकते हैं धवन
यानी, नए खिलाड़ी का फायदा सिर्फ 16 जून के मैच में तो मिल सकता था, लेकिन आते ही उसका प्रदर्शन कैसा रहता यह कोई नहीं जानता. एक तरह से यह जोखिम लेना होता. दूसरी ओर, यह संभव है कि धवन 15 दिन में फिट हो जाएं. अगर ऐसा होता है तो वे 27 जून को विंडीज या 30 जून को इंग्लैंड के खिलाफ खेल सकते हैं. शायद टीम प्रबंधन इसी रणनीति के तहत आगे बढ़ रहा है. वह चाहता है कि धवन भारतीय टीम में बने रहें. भारत ने शुरुआती दो मैच जीत लिए है. वह भी बड़ी टीमों के खिलाफ. ऐसे में उसके सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीद मजबूत है. टीम प्रबंधन नॉकआउट मैचों के लिए ही धवन को टीम में बनाए रखना चाहता है.
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भारतीय रणनीति के पीछे मौसम भी एक कारण
इंग्लैंड के मौसम विभाग की मानें तो भारत और न्यूजीलैंड के मैच के दिन (13 जून) बारिश होगी. यह भी संभव है कि यह मैच रद्द हो जाए. भारत और पाकिस्तान के मैच के दिन (16 जून) भी बारिश की संभावना है. इस मैच के भी रद्द होने की आशंका है. अगर बारिश होती है तो मैच रद्द होंगे और दोनों टीमों को एक-एक अंक मिलेंगे. सबसे बड़ी बात अगर मैच ही नहीं होगा, तो किसी खिलाड़ी की कमी भी नहीं खलेगी. यकीनन, मौसम के आधार पर कोई टीम अपनी रणनीति नहीं बनाती. लेकिन यह भी सच है कि मौसम को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता. हर टीम मौसम के मुताबिक प्लान-बी भी हमेशा तैयार रखती है.