Motihari Samachar: मधुबनी थाना के बंजरिया गांव का रहने वाला निर्भय यादव एक दो नहीं बल्की करीब 60 हजार समूह की 12 लाख महिलाओं को झांसा देकर उन्हें ठगी का शिकार बना चुका है.
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Motihari: मोतिहारी समेत उत्तर बिहार के कई जिलों की लाखों महिलाओं से करोड़ों रुपए की महाठगी करने वाले निर्भय यादव को मोतिहारी पुलिस की एसआईटी ने उसके एक सहयोगी के साथ गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि, इससे उसकी ठगी की शिकार हुई भोली-भाली महिलाओं की पीड़ा कम नहीं हुई है, क्योंकि मधुबनी थाना के बंजरिया गांव का रहने वाला निर्भय यादव एक दो नहीं बल्की करीब 60 हजार समूह की 12 लाख महिलाओं को झांसा देकर उन्हें ठगी का शिकार बना चुका है.
माइक्रो फायनेंस के नाम पर महाठगी
आरोप है कि कोरोना काल में लोगों की मदद का झांसा देकर इसने महिलाओं से करीब 100 करोड़ रुपए की उगाही की है और गांव की भोली-भाली जनता को झांसे में लेने के लिए कई माइक्रोफायनेंस कंपनियों के कर्मचारियों से सांठगांठ कर पहले मदर फ्यूचर फाउंडेशन ट्रस्ट बनाया और फिर उस ट्रस्ट के जरिए लोगों को लोन दिलाने के नाम पर मोटी रकम ऐंठ ली. बता दें कि इसके शिकंजे में मोतिहारी के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों की महिलाएं आई हैं.
वहीं, ठगी का शिकार हुई महिला अब अपनी बेबसी पर रो रही हैं. महिलाएं उस दिन को कोस रही हैं जब वो निर्भय जैसे ठग की बातों पर भरोसा कर ना घर की रही और ना घाट की! पैसे के लोभ में महिलाओं ने अपने सहयोगियों और रिश्तेदारों को भी समूह में शामिल कर लिया और आज वो सारी की सारी महिलाएं निर्भय यादव की ठगी की शिकार हैं. ऐसे में वे न सिर्फ अपने साथ हुई ठगी के बाद गुस्से में हैं बल्की अपने परिजनों और रिश्तेदारों को भी पैसे के लोभ में निर्भय के ट्रस्ट तक पहुंचा चुकी महिलाएं अब पूरी तरह टूट चुकी हैं और पैसे नहीं मिलने की सूरत में आत्महत्या तक करने की बात कर रही हैं. बता दें कि महिलाओं को जब बैंक लोन चुकाने के लिए फोन आने लगे तब उन्हें अहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हुई है. इसके बाद वो सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करने लगीं, जिसके बाद इसके खिलाफ मधुबनी, चकिया और फिर मोतिहारी के नगर थाने में शिकायत दर्ज की गई.
जानकारी के अनुसार, जिस निर्भय यादव ने फर्जीवाड़ा कर महिलाओं के करोड़ों रुपए ठग लिए हैं वो पहले मधुबनी के सेन्ट्रल बैंक में प्राइवेट एजेंट का काम करता था और दिनभर बैंक के अन्दर बैठा रहता था. वहीं से उसने स्वयं सहायता समूह को बिना किसी सिक्योरिटी या गारंटी के लोन मिलते देखा और फिर ठगी का ये आइडिया उसके दिमाग में आया. जिसके बाद निर्भय ने भारत फाइनान्स, अनपूर्णा फाइनान्स, चैतन्य जैसी अन्य फाइनान्स कंपनी के लोगों से संपर्क साधा और लोन दिलवाने का काम शुरू कर दिया.
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लोन दिलाने के नाम पर दिया झांसा
निर्भय यादव ने मदर टेरेसा के नाम पर मदर टेरेसा फाउंडेशन ट्रस्ट खोल रखा था और लोगों को इसे मदर टेरेसा चैरिटेबल ट्रस्ट का यूनिट बताता. इसके साथ ही उसने लोगों से कहा कि ये संस्था भारत सरकार और बिहार सरकार के साथ मिलकर गांव की गरीब महिलाओं के उत्थान के लिए काम करती है. गांव की भोली-भाली महिलाओं को लगा कि निर्भय नहीं कोई मसीहा उनके सामने खड़ा है, जो इस कोरोना काल मे 60 हजार रुपया दे रहा है. इसके चलते जब महिलाएं लालच में पड़कर निर्भय की बातों में पड़ जाती थी, तो निर्भय उन्हें 27 हजार से 30 हजार रुपए लोन दिलवा देते और उनके लोन के हिस्से का बाकी बचा 22 हजार रुपया खुद ले लेता, फिर भोली- भाली महिलाओं से वादा करता कि मदर टेरेसा की संस्था उन्हें चौबीस महीने तक 2500 रुपए देगी. निर्भय ये भी लालच देता था कि अगर आप बीस महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें संस्था से जोड़ेंगी तो संस्था आपको 12 हजार रुपए प्रति माह देगी. बस यही वो वजह थी की महिलाएं अपने संबंधी और जानने वालों को ग्रुप से जोड़ने लगी, और फिर निर्भय उगाही के अपने मकसद में कामयाब होता रहा.
निर्भय यादव समूह की हर महिला को फाइनेंस कंपनियों से लोन दिलवाता था और इसके एवज में वो उनसे 22500 रुपए ले लेता था. वो समूह के प्रत्येक सदस्यों की बेटी की शादी के लिए एक लाख रुपए अलग से दिलाने का वादा भी कर चुका था. निर्भय की बातों में फंस कर कई महिलाओं ने अपने मायके से लेकर ससुराल तक की महिलाओं का समूह बना डाला. निर्भय यादव से जुड़ने वाली समूह की तादात कुछ इस तरह फैली की मोतिहारी, शिवहर, सीतामढ़ी, गोपालगंज तक की करीब 12 लाख महिलाओं ने बैंक से कर्ज लेकर 22 हजार 500 रुपए निर्भय यादव के ट्रस्ट में जमा करवा दिया और आज वो अपने पैसे के लिए भटक रही हैं.
पुलिस और कानून से भी नहीं डरता था निर्भय
निर्भय यादव को ना तो पुलिस का डर था ना ही कानून का खौफ, वो इन सबसे निर्भय था, बिल्कुल अपने नाम की तरह. जब संस्था से जुड़ी महिलाओं को उस पर शक हो गया और वो पुलिस को बुलाने की बात करती थी तो वो डपट कर महिलाओं से बोलता था और कहता था, 'मैं पुलिस से नहीं डरता, जिसे बुलाना है बुलाओ.' निर्भय अपने ट्रस्ट के कार्यालय में समूह की महिलाओं को खूब धमकी भी देता था. जिससे की वो महिलाओं के बीच में भरोसा पैदा कर सके कि उसका काम, सौ अना खरा है.
लोन के EMI के लिए फोन आया तब हुआ पर्दाफाश
निर्भय की कारगुजारी चलती रही और भोली-भाली महिलाएं उसके जाल में फंसती गई, लेकिन जब लोन के झांसे में आकर मदद के रूप में पैसे ले चुकी महिलाओं को लोन देने वाली फाइनान्स कंपनियों ने लोन वसूली के लिए दबिश देना शुरू किया तब जाकर महिलाओं को उनके साथ हुए फर्जीवाड़े का एहसास हुआ और फिर निर्भय के झांसे में आए सभी समूहों में बात फैल गई. इसके बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने प्रदर्शन किया और प्रशासन का सहारा लिया.
मधुबन, चकिया और मोतिहारी के नगर थाना में निर्भय के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई, जिसके बाद हालात की गंभीरता को देखते हुए मोतिहारी के एसपी नवीनचंद्र झा ने एसआईटी का गठन किया और फिर करीब 100 करोड़ की ठगी का मुख्य आरोपी निर्भय यादव अपने एक साथी के साथ पकड़ा गया.
निर्भय यादव एक सप्ताह की लुका छुपी के बाद आखिरकार कानून के गिरफ्त में आ गया है. लेकिन ठगी की शिकार महिलाओं के लिए अब लोन का पैसा चुकाना सबसे बड़ी समस्या हो गई है. एक ठग के झांसे में आकर अपना और अपने रिश्तेदारों का लाखों गंवा चुकी महिलाएं अब प्रशासन से गुहार लगा रही हैं.