Crime News: मर्डर केस में मां ने कोर्ट में दी गवाही, बेटे को हो गई उम्रकैद की सजा
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Crime News: मर्डर केस में मां ने कोर्ट में दी गवाही, बेटे को हो गई उम्रकैद की सजा

त्रिपुरा के सिपाही जिला के बिशालगढ़ नगर परिषद में 55 वर्षीय सफाई कर्मचारी चंदन दास के आरोपियों को  कोर्ट ने शनिवार को कठोर सजा सुनाई.

मर्डर केस में मां ने कोर्ट में दी गवाही, बेटे को हो गई उम्रकैद की सजा

Tripura News: त्रिपुरा में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक मां की गवाही पर उसके बेटे को कोर्ट ने कठोर सजा सुनाई है. दरअसल, बिशालगढ़ के नगर परिषद में काम करने वाली सफाई कर्मचारी कृष्णा दास की हत्या की हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए त्रिपुरा की एक जिला अदालत ने 24 वर्षीय सुमन दास और 26 वर्षीय चंदन दास को कठोर सजा दी है.

मां की गवाही पर बेटे को सजा

55 वर्षीय विधवा की हत्या के मामले में एक मां ने कलेजे पर पत्थर रखकर न्याय के पक्ष में अपने ही बेटे के खिलाफ गवाही दी. मां की इस गवाही पर ही उसके बेटे के अलावा उसके दोस्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

आरोपियों ने हत्या से पहले किया था ये घिनौना काम

बता दें कि पूरा मामला अप्रैल 2020 का है, जब सिपाहीजला की रहने वाली कृष्णा दास की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. पुलिस के अनुसार, बुजुर्ग महिला के घर में घुसकर पहले दोनों युवकों ने उसके साथ बलात्कार किया, फिर गला दबाकर बेरहमी से हत्या कर दी. पुलिस ने आगे बताया कि बाद में आरोपियों ने शव को एक कुएं में फेंक दिया. शव बरामद होने के बाद मृतक की बहू सुमित्रा दास ने मामले से संबंधित प्राथिमिकी दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच गंभीरता से शुरू की और मामले के कुछ ही दिनों बाद दोनों आरोपियों को अपने गिरफ्तार कर लिया. दोनों के कबूलनामें के आधार पर आरोप पत्र दायर किया गया. 

मां ने लिया ये कदम, बेटे को हुई उम्र कैद

पुलिस ने मामले में आरोपी सुमन की मां समेत 25 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे. सुमन की मां ने अपने बेटे के खिलाफ ही गवाही दी थी. जिला अदालत में अतिरिक्त लोक अभियोजक गौतम गिरी ने कहा कि मामला तब बदल गया, जब सुमन की मां नमिता दास ने एक महीने पहले अदालत में अपने बेटे और उसके दोस्त को सजा दिलाने के लिए सही पक्ष लिया और उन्हें फांसी देने की मांग की.

पुलिस नहीं जुटा सकी बलात्कार के पुख्ता सबूत

गौरतलब है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान दुष्कर्म का आरोप साबित नहीं हो सका था, क्योंकि पुलिस इसके साक्ष्य नहीं जुटा सकी. बताया जा रहा है कि हत्या के एक सप्ताह बाद शव को बरामद किया गया था और इस वजह से बलात्कार का पता लगाने के लिए मेडिकल परीक्षण कराना संभव नहीं हो पाया था. इस वजह से दोनों दोषियों को दुष्कर्म के आरोप से मुक्त कर दिया गया, लेकिन हत्या के लिए उन्हें कठोर उम्र कैद की सजा सुनाई गई.

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