Jaisalmer: सरकारी जमीन आंवटन में हुआ फर्जीवाड़ा, ACB ने FIR दर्ज करने का दिया आदेश
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Jaisalmer: सरकारी जमीन आंवटन में हुआ फर्जीवाड़ा, ACB ने FIR दर्ज करने का दिया आदेश

उपनिवेशन कार्यालय में इससे पहले वर्ष 2018 में भी फर्जीवाड़ा सामने आया था. नाचना में एसीबी ने पहला मामला वर्ष 2016 में दर्ज किया था, तत्कालीन उपनिवेशन उपायुक्त ने कई आदेश गलत तथ्यों के आधार पर कर दिए थे. 

 

जैसलमेर में सरकारी जमीन आंवटन में हुआ फर्जीवाड़ा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Jaisalmer: जैसलमेर के नाचना क्षेत्र में उपनिवेशन (कॉलोनाइजेशन) कार्यालय से फर्जी तरीके से कई लोगों के नाम सरकारी जमीन आवंटित कर दी गई. एक शिकायत पर उपनिवेशन विभाग ने 17 आवंटन की जांच शुरू की तो मामला सुरसा की तरह बढ़ता ही गया. अब तक 184 आवंटन फर्जी मानें गए हैं, जिनके मूल दस्तावेज बीकानेर स्थित उपनिवेशन मुख्यालय में तलब किए गए हैं. घोटाला बड़े स्तर पर देखकर एसीबी ने भी एफआईआर (FIR) दर्ज करने का निर्णय लिया है.

घोटाले में कितनी जमीन हड़पी गई, इसकी गणना की जा रही है. एक आवंटन में कम से कम 25 बीघा जमीन बताई जा रही है. इससे साफ है कि मामला सैकड़ों बीघा का है. यह सब 200 चक की जांच में सामने आया है. अभी 400 चक की जांच बाकी है. घोटाले में प्रभावशाली लोग शामिल हैं. ऐसे में जांच कर रहे अधिकारियों ने खुद के तबादले की आशंका तक जताई है. 

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2016 के मामले ने भी पकड़ी गति
उपनिवेशन कार्यालय में इससे पहले वर्ष 2018 में भी फर्जीवाड़ा सामने आया था. नाचना में एसीबी ने पहला मामला वर्ष 2016 में दर्ज किया था, तत्कालीन उपनिवेशन उपायुक्त ने कई आदेश गलत तथ्यों के आधार पर कर दिए थे. इस आधार पर कई लोगों को जमीनें आवंटित कर दी गई. ऐसे 234 मामले संदेह के घेरे में आए थे. इसमें एसीबी ने आरएएस RAS अरुण प्रकाश शर्मा को आरोपी बनाया. जांच अधिकारी बदला है तथा सहयोग के लिए टीम भी गठित की है.

इस मामले में महावीर सिंह राजपुरोहित अतिरिक्त आयुक्त उपनिवेशन (सतर्कता) बीकानेर का कहना है कि ' 200 चक की जांच में गड़बड़ी सामने आई है. चार सौ चक की जांच होना बाकी है. मूल दस्तावेज जब्त किए जा रहे हैं, जिसमें ऐसे आवंटनों की संख्या और सामने आ सकती है.'

मार्च में मिली थी सूचना
नाचना में फर्जी तरीके से 17 आवंटन की जानकारी मार्च में मिली थी. संदिग्ध आवंटनों पर 17 जनवरी 2006 की तारीख अंकित है. इस तारीख को आवंटन सलाहकार समिति ने 54 पट्टे जारी किए थे. पड़ताल में सामने आया कि इनमें 17 पट्टों का जिक्र ही नहीं है. ऐसे में पट्टा बुक की पड़ताल हुई. पट्टा बुक जारी ही 5 मई 2016 को हुई थी. इस पर सतर्कता शाखा (उपनिवेशन) ने जांच की तो 167 और आवंटन संदेहास्पद पाए गए. अब उपनिवेशन कार्यालय ने नाचना तहसीलदार को सभी आवंटन से सम्बंधित मूल दस्तावेज के साथ तलब किया है.

जांच शुरू हुई तो कार्यालय में लगा दी थी आग
मामले की जांच शुरू हुई तो कार्यालय से दस्तावेज नष्ट करने का षड्यंत्र शुरू हो गया था. नाचना स्थित उपनिवेशन कार्यालय में 24 अप्रैल की रात को खिड़की तोड़कर आग लगा दी गई थी. स्थानीय पुलिस इसकी जांच कर रही है.

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FIR दर्ज करने के आदेश
मामले को लेकर उपनिवेशन कार्यालय से एसीबी के डीजी बीएल सोनी को भी सूचना दी है. प्रारंभिक जांच के बाद जैसलमेर चौकी ने मामले में एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है. एसीबी मुख्यालय ने इस पर तत्कालीन तहसीलदार गजेन्द्र सिंह, वरिष्ठ सहायक योगेंद्र, कनिष्ठ सहायक शिवराज, पटवारी चंद्रभान, विक्रम सिंह, किशोर व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया कि 'अभी जो तथ्य आए, उनके आधार पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं.'

(इनपुट-शंकर दान)

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