भारत का पहला डार्क नेट ड्रग्स सिंडिकेट का सबसे बड़ा खिलाड़ी आया NCB के शिकंजे में
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भारत का पहला डार्क नेट ड्रग्स सिंडिकेट का सबसे बड़ा खिलाड़ी आया NCB के शिकंजे में

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के इतिहास में पहली बार एक ऐसे ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है जिसके तार देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों से जुड़े हैं.

डार्क नेट इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा है जिसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल है.

नई दिल्ली: जी हां, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के इतिहास में पहली बार एक ऐसे ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है जिसके तार देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों से जुड़े हैं. दिसंबर में इस ऑपरेशन की शुरुआत की गई और देशभर की तमाम एजेंसियों के साथ मिलकर इस ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया गया जो (डार्क नेट) से चल रहा था. 

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर आरएन श्रीवास्तव और जोनल डायरेक्टर केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक, "एक स्पेशल 26 टीम बनाई गई है जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी NCB के तेजतर्रार अफसरों को शामिल किया गया. NCB के अधिकारियों के मुताबिक केटामीन ट्रोमाड़ाल नाम की ड्रग्स की खरीद फरोख्त के न केवल रूट्स बल्कि उसके सबसे बड़े सप्लायर को गिरफ्तार किया गया है. 

जांच में पता चला कि मुंबई के एक फॉरेन पोस्ट ऑफिस से इन्ही ड्रग्स की खेप यूके जाने वाली थी. तब उस खेप को बरामद किया गया. 9 हजार ड्रग्स की टेबलेट पहले पकड़ी गई, फिर देशभर में छापेमारी करके अलग-अलग खेप को बरामद किया गया. 22 हजार टैबलेट और बरामद की गई. यहां से NCB ने डार्क नेट से चल रहे ड्रग्स की खरीद फरोख्त के सबसे बडे सौदागर पर शिकंजा कसा. गिरफ्तार शख्स का नाम दीपू सिंह है जो लखनऊ का रहने वाला है और एमिटी से स्टडी कर चुका है. दीपू सिंह ने डार्क नेट बाजार में अच्छी खासी घुसपैठ बना रखी थी. 

इसी डार्क नेट पर दिल्ली और लखनऊ से बैठकर दीपू सिंह ड्रग्स की करोड़ों रुपए की डील न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के करीब आधा दर्जन देशों में कर रहा था. NCB के मुताबिक इंटरनेट के जरिये खासकर डार्क नेट के जरिए हो रही ड्रग्स की अब तक की सबसे बड़ी खरीद फरोख्त का भंडाफोड़ किया गया. बात दें कि अब तक दीपू सिंह ने अपने दो डार्क नेट एकाउंट से करीब 600 अलग अलग किस्म के ड्रग्स पार्सल यूरोपियन कंट्री और दूसरे देशों मे भिजवा चुका है. जिसकी अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 20 करोड़ आंकी जा रही है. 

आखिर क्या होता है डार्क नेट 
दरअसल डार्क नेट इंटरनेट का 96 प्रतिशत हिस्सा है जिसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल है. दुनियाभर में बड़े से बड़े अपराध को अंजाम देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. डार्क नेट की दुनिया में मौजूद लोग गोपनीय तरीके से तमाम अवैध धंधो को अंजाम दे रहे हैं और डार्क नेट पर होने वाली हर डील देश और दुनिया के लोग केवल वर्चुअल मनी के जरिये ही करते है ताकि एजेंसी इन तक पहुच न सके. 

देशभर में डार्क नेट से जुड़े दीपू सिंह के कई करीबियों की तलाश भी NCB कर रही है. वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में डार्क नेट पर होने वाले तमाम अपराधो में 63 प्रतिशत क्राइम केवल ड्रग्स की खरीद फरोख्त से जुड़े है. सबसे ज्यादा देश का युवा डार्क नेट का इस्तेमाल कर रहा है जो आसानी से इंटरनेट पर ट्रॉउ ब्राउजर डाउनलोड कर डार्क नेट पर एकाउंट बनाकर उसे गैर कानूनी तरीके से कमाई का जरिया बना रहा है. 

ऐसा नहीं है कि डार्क नेट पर केवल गैर कानूनी काम ही होता है, देशभर की कई एजेंसियां डार्क नेट के जरिए कई बड़े आपराधिक मामलो में सुराग इकट्ठा करती है बल्कि देश की सुरक्षा पर भी नजर रखती है. सबसे पहले डार्क नेट का इस्तेमाल अमेरीकन नेवी ने अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए किया था. 

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