17 साल पुराना वो कांड जिससे नोएडा ही नहीं देश भी रह गया हैरान, एक क्लिक में पूरी जानकारी
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17 साल पुराना वो कांड जिससे नोएडा ही नहीं देश भी रह गया हैरान, एक क्लिक में पूरी जानकारी

Nithari Case: निठारी केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि पूरा मामला क्या है कैसे पुलिस आरोपियों तक पहुंची और उन्हें अदालत से सजा और राहत दोनों मिली.

17 साल पुराना वो कांड जिससे नोएडा ही नहीं देश भी रह गया हैरान, एक क्लिक में पूरी जानकारी

Nithari Case Latest News:अदालत की नजरों में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर निर्दोष हैं, पुख्ता साक्ष्यों की कमी की वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों को कई मामलों में बरी कर दिया. सुरेंद्र कोली को 12 और मोनिंदर सिंह पंढेर को 2 मामलों में बाइज्त बरी किया. निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. यहां जानने की कोशिश करेंगे कि ये दोनों शख्स कौन हैं और इनका किस गुनाह से नाता था.

जब चर्चा में आया नोएडा का निठारी 
नोएडा शहर में एक गांव है निठारी जो दिसंबर 2006 में एकाएक चर्चा में आया. दरअसल कोठी नंबर पांच के बगल वाले नाले से कई बच्चों के नरकंकाल मिलने जब शुरू हुए तो हड़कंप मच गया. सवाल यह उठने लगा कि ये बच्चे कौन हैं इनके नरकंकाल नाले से क्यों मिल रहे हैं. पुलिसिया जांच जब आगे बढ़ी तो सनसनीखेज जानकारी सामने आने लगी. पुलिस की जांच में पता चला कि कोठी नंबर डी 5 से इन बच्चों के कंकालों का कनेक्शन है. जांच के दायरे को जब और आगे बढ़ाया गया तो शक की सुई दो लोगों पर जा टिकी जिसमें एक का नाम मोनिंदर सिंह पंढेर और दूसरे का नाम सुरेंद्र कोली था. दोनों के बीच रिश्ता मालिक और नौकर का था. बच्चों के कंकालों के संबंध में शिकायकर्ताओं की बाढ़ सी आ गई. यूपी पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक दोनों बच्चों को बुलाकर रेप करते थे और बाद में हत्या कर शव को नाले में फेंक देते थे.

आखिर मामला कैसे खुला

दरअसल मई 2006 में पायल नाम की एक लड़की लापता हुई जो निठारी गांव की रहने वाली थी. बताया जाता है कि वो रिक्शे से मोनिंदर की कोठी के पास उतरी और कोठी में चली गई. इस बीच रिक्शा वाला अपने किराए के लिए काफी देर तक इंतजार करता रहा. रिक्शावाले ने कोठी के दरवाजे को खटखटाया. कुछ देर बाद नौकर सुरेंद्र कोली बाहर आया और कहा कि पायल तो कब का अपने घर जा चुकी है लेकिन रिक्शेवाले को शक हुआ और उसने पायल के परिवार को जानकारी दी.पायल के पिता थाने गए और शिकायत दर्ज कराई और इस तरह से पहली बार यह मामला पुलिस की जानकारी में आया. इस बीच यह भी जानकारी सामने आई कि पायल की ही तरह करीब 1 दर्जन बच्चे निठारी से गायब हो चुके हैं, पुलिस ने जब पायल की सीडीआर का विश्लेषण किया तो कई सुराग मिले और  पहली बार दिसंबर 2006 में पहली बार मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी पर छापेमारी की गई.

19 कंकालों की हुई थी बरामदगी
पुलिस की छापेमारी में  डी-5 कोठी के करीब  वाले नाले से एक के बाद करीब 19 कंकाल मिले जो कई पैकेट में बंद थे. आरोप यह लगा कि सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर दोनों पहले बलात्कार करते थे और बाद में सुरेंद्र कोली हत्या कर शवों को काटकर नाले में फेंक देता था. आरोप यह भी लगा कि ये दोनों मानव अंगों की तस्करी किया करते थे यही नहीं सुरेंद्र कोली पर नरभक्षी होने का भी आरोप लगा.यूपी पुलिस ने दोनों के खिलाफ कुल 19 केस दर्ज किए थे. आरोपियों का नार्को टेस्ट कराया गया हालांकि बाद में यह केस सीबीआई ने अपने हाथों में ले लिया. सीबीआई ने फरवरी से लेकर अप्रैल 2007 तक पूछताछ की. दोनों की निशानदेही पर लापता लड़की की पहचान उसके कपड़ों से की गई.

अदालती टाइमलाइन
2007 में निचली अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाई थी, यह सजा रिंपा हलदर नाम की लड़की की अपहरण, रेप और हत्या में सुनाई गई. यही नहीं मई 2010 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सात साल की लड़की आरती की हत्या में भी दोषी करार दिया गया लेकिन मोनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिल गई.  हालांकि कोली की मौत की सजा बरकार रही.

अक्टूबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी, हालांकि 2015 में रिंपा हलदर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दी. 24 जुलाई 2017 को पायल की हत्या और रेप मामले में सीबीआई अदालत मे पंढेर और कोली दोनों को दोषी माना.

सुरेंद्र कोली को कुल 14 केस में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी जिसमें से वो 12 केस में बरी हो चुका है, इसके अलावा मोनिंदर के खिलाफ कुल 6 केस दर्ज थे जिसमें चार में वो बरी हो चुका था और 2 मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फांसी की सजा रद्द कर दी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों को बरी करते हुए कहा कि कोली और पंढेर दोनों ने कहा था कि सभी मामलों में कोई गवाह नहीं है. सिर्फ और सिर्फ वैज्ञानिक परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर 

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