IAS Ansar Shaikh: आज हम आपको एक ऐसे उम्मीदवार की सपलता भरी कहानी बताएंगे, जिनके पिता ऑटो ड्राइवर और मां खेतों में काम किया करती थी, उन्होंने आईएएस अधिकारी बन घर की गरीबी दूर की.
Trending Photos
IAS Ansar Shaikh Success Story: हम अक्सर अपनी किस्मत पर रोते रहते हैं और अपनी सफलता की कमी के लिए 'संसाधनों की कमी' को जिम्मेदार ठहराते हैं. हालांकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे पास क्या है और क्या नहीं. हमें अपनी कमियों से परे देखना और वास्तव में बेहतरी की दिशा में काम करना आना चाहिए, जो असल में सबसे कठिन कार्य है. पर्याप्त अवसरों और संसाधनों के बावजूद भी, हमें ऐसा लगता है कि हमारे पास जो है वह पर्याप्त नहीं है और यहीं हमारी सबसे बड़ी भूल है.
हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो संसाधन की कमी से ना ही निराश होते हैं और ना ही घबराते हैं. उनकी कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति उन्हें कभी निराश नहीं होने देती और इसी कारण उन्हें सफलता भी मिलती है. ऐसी ही एक कहानी है आईएएस अधिकारी अंसार शेख की, जिन्होंने अपनी पढ़ाई की फीस भरने के लिए वेटर तक का काम किया, लेकिन जीवन में कुछ बड़ा करने की इच्छाशक्ति ने उन्हें आज एक आईएएस ऑफिसर बना दिया.
कई कठिनाइयों और बाधाओं के बावजूद भी, आईएएस अंसार शेख ने अपना मार्ग प्रशस्त किया और सफलता हासिल की. अंसार शेख बेहद साधारण परिवार से आते हैं. उनके पिता महाराष्ट्र के मराठवाड़ा जिले के एक ऑटोरिक्शा चालक थे, जबकि उनकी मां खेतों में काम किया करती थीं.
अंसार के छोटे भाई अनीस को अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए कक्षा 7 में ही स्कूल छोड़ना पड़ा और उन्होंने एक गैरेज में काम करना शुरू कर दिया. घर की आर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण अंसार की बहन की शादी भी पंद्रह साल की उम्र में ही हो गई.
हालांकि, घर की ऐसी स्थिति के बावजूद अंसार हमेशा अपनी पढ़ाई के प्रति उत्सुक रहते थे और इसलिए उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी. हालांकि, उन्हें अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए पर्याप्त पैसों की आवश्यकता थी, जिसके लिए उन्होंने कुछ समय के लिए वेटर के रूप में भी काम किया.
अंसार ने बहुत मेहनत की और अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. 10वीं क्लास में उन्होंने 91 फीसदी अंक हासिल किए. वहीं, शेख ने पुणे कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. इसके बाद साल 2016 में, शेख ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास की और ऑल इंडिया 361वीं रैंक के साथ देश के सबसे कम उम्र के आईएएस अधिकारी बन गए.