एयरप्लेन में टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान लाइट्स को डिम कर दिया जाता है. ऐसा करने के पीछे की दो खास वजह है. साथ ही यह यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया जाता है. हालांकि, अगर आप इसके बारे में नहीं जानते, तो यह खबर आपके लिए ही है.
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नई दिल्ली: आप में से कई लोगों ने कभी ना कभी प्लेन में सफर तो किया ही होगा. हालांकि, अगर नहीं भी किया है, तो कम से कम प्लेन के कुछ नियमों के बारे में तो शायद आप जानते ही होंगे. जैसे फ्लाइट में कब सीट बैल्ट लगानी होती है, किस वक्त टॉयलेट का इस्तेमाल करना होता है, सीट के सामने मौजूद स्टैंड को कब खोलना होता है और कब बंद करना होता है आदि. इसी को देखते हुए आज हम आपको एक फैक्ट के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. क्या आप जानते हैं कि फ्लाइट के टेक ऑफ या लैंडिंग के समय उसकी लाइट्स (Lights) क्यों बंद कर दी जाती है. अगर नहीं तो आइये आज हम आपको इसके पीछे के अहम कारण के बारे में बताते हैं.
इसलिए टेक ऑफ और लैंडिंग से पहले बंद की जाती है लाइट्स
दरअसल, हमारी आंखों को अंधेरे में एडजस्ट होने में करीब 10 से 30 मिनट का समय लगता है. ऐसे में एयरलाइंस इस बात का ध्यान रखती है कि अगर प्लेन में टेक ऑफ या लैंडिंग के समय अचानक कोई हादसा हो जाए और प्लेन की लाइट्स तुरंत बंद हो जाए, तो ऐसी स्थिति में कोई यात्री घबराए नहीं. इसलिए टेक ऑफ या लैंडिंग से काफी देर पहले ही प्लेन की लाइट्स डिम कर दी जाती है. बोइंग एयरलाइन के मुताबिक, 2006 से 2017 के बीच के उनके अनुभव बताते हैं कि टेकऑफ के शुरूआती 3 मिनट के अंदर 13 प्रतिशत हादसे हुए हैं और लैंडिंग के आठ मिनट पहले तक 48 प्रतिशत हादसे होते हैं.
एमरजेंसी लाइट्स भी हैं एक वजह
इसके अलावा लैंडिंग और टेकऑफ के समय प्लेन की लाइट्स इसलिए भी बंद कर दी जाती है, ताकि यात्रियों को फ्लाइट में लगी एमरजेंसी लाइट्स साफ तौर पर नजर आ सके. बता दें कि इन एमरजेंसी लाइट्स में चमकने वाले रिफलेक्टर्स लगे होते हैं और ये लाइट्स ठीक यात्रियों की सीट के ऊपर लगी होती है, जो रेड और येल्लो रंग की होती हैं. यह लाइट्स आपको हर एक्शन के लिए सिग्नल देने का काम करती हैं.