अगर ये कहा जाए, कि मनुष्य से पहले भी खेती हो रही है. और वो खेती कोई और नहीं, बल्कि चींटी कर रही है. तो शायद ही लोग विश्वास करें.
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नई दिल्ली: पूरे संसार की बात करें, तो मनुष्य को सबसे अलहदा प्राणी माना जाता है. इसके पीछे वजह है कि उसने जीने के लिए खुद को विकसीत किया है. चाहे वो आग हो, या जंगल साफ करके खेती करना. इन सभी प्रकार के कामों को मनुष्य जाति की सबसे बड़ी खोज मानी जाती है. लेकिन अगर ये कहा जाए, कि मनुष्य से पहले भी खेती हो रही है. और वो खेती कोई और नहीं, बल्कि चींटी कर रही है. तो शायद ही लोग विश्वास करें. लेकिन यह सत्य है.
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चींटियां बिल्कुल इंसानों की तरह खेती करती हैं. वह अपने लिए खाना उगाती हैं. यहां तक कि जैसे इंसानों ने खेत जोतने से लेकर पानी डालने तक की तकनीक ईजाद की है. ठीक वैसे ही चींटियां अपने तकनीक के सहारे खेती करती हैं.
क्या उगाती हैं चींटियां
कुछ समय पहले अमेरिकी नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री की एक रिपोर्ट्स सामने आई. इसमें बताया गया कि चींटियां तीन करोड़ साल पहले से खेती के नए स्तर तक पहुंच गई थीं. हालांकि, वो अनाज नहीं उगाती है. वो अपने लिए कवक की खेती करती हैं. ये कवल चींटियां अपने लार्वा को खिलाती है और जीवन चक्र को आगे बढ़ाती हैं.
कैसे करती हैं खेती
इसकी शुरुआत पत्ती काटने होती है. चींटिया काफी तेज स्पीड से पत्ते काटकर अपने बिल में ले जाती हैं. लेकिन ये पत्तियां खुद नहीं खाती हैं, बल्कि कवक को खिलाती हैं. इसे एक किस्म फर्टिलाइजर कहा जाता है. इसके अलावा चींटिया इस बात का ख्याल रखती हैं कि कवक की फसल खराब ना हो. इसके लिए वह आस-पास का कचरा हटाती हैं. यहां तक की अगर नमी की कमी हो जाए, तो बाहर से पानी लाकर नमी बनाती हैं.
कवक के उत्पादन में काफी मात्रा में कार्बनडाई ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन होता है. चींटियों ने इसका भी जुगाड़ खोज रखा है. वे अपने बिल में बड़े-बड़े वेंटिलेटर्स बनाती हैं. दरअसल, ये ऊपर की ओर खुले हुए छेद होते हैं, जिनसे ये गैस पास हो जाती है. यहां तक मनुष्य जैसे अलग-अलग किस्म के अनाज उगाते हैं. ठीक वैसे ही चींटियां भी अलग-अलग किस्म के कवक का उत्पादन करती हैं.