Calendar: दुनिया का इकलौता देश जहां विक्रम संवत से होता है कामकाज, यहां अंग्रेजी कैलेंडर की नहीं कोई अहमियत
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Calendar: दुनिया का इकलौता देश जहां विक्रम संवत से होता है कामकाज, यहां अंग्रेजी कैलेंडर की नहीं कोई अहमियत

Nepali Calendar: भारत के पड़ोसी देश नेपाल ने हमेशा हिंदू कैलेंडर को ही प्राथमिकता दी है. इसे विक्रमी कैलेंडर भी कहते हैं, ये अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है. नेपाल के राणा वंश के शासकों ने इसे देश के आधिकारिक हिंदू कैलेंडर के तौर पर अपनाया था.

Calendar: दुनिया का इकलौता देश जहां विक्रम संवत से होता है कामकाज, यहां अंग्रेजी कैलेंडर की नहीं कोई अहमियत

Hindu Calendar: पूरी दुनिया ने साल 2022 के जाने और नए साल 2023 के आगमन का जश्न मनाया. अब तक ज्यादातर लोग नए साल के स्वागत में डूबे हुए हैं, लेकिन एक ऐसा भी देश है जिसके लिए इस सेलिब्रेशन के कोई मायने नहीं. दरअसल, विश्व के ज्यादातर देश ग्रेगोरियन यानि की अंग्रेजी कैलेंडर को ही मानते हैं. यहां तक की विक्रम संवत कैलेंडर की रचना करने वाला भारत भी हर कामकाज में ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक ही कामकाज करता है.

वहीं, विश्व में एक ऐसा भी देश है, जहां आज भी अंग्रेजी नहीं, बल्कि हिंदू कैलेंडर का इस्तेमाल होता है और इसी के अनुसार कामकाज चलता है. हम बात कर रहे हैं पड़ोसी देश नेपाल की. यहां हिंदू कैलेंडर को ही माना जाता है. ऐसे ही नेपाल को हिंदू राष्ट्र नहीं कहा जाता है. आज हम आपको विक्रमी कैलेंडर के बारे में विस्तार से बता रहे हैं...

नेपाल का ऑफिशियल कैलेंडर है विक्रम संवत्
लगभग 57 ईसा पूर्व से ही भारतीय उपमहाद्वीप में तिथियों और समय का आंकलन करने के लिए विक्रम संवत का उपयोग हो रहा है. हालांकि, भारत में भी विशेष कार्यक्रमों, शुभ-अशुभ तिथियों को जानने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

नेपाल में होता है नए साल पर सार्वजनिक अवकाश
विक्रम संवत कैलेंडर का नाम राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया था, जिसमें संस्कृत शब्द ‘संवत’ का प्रयोग 'वर्ष' को दर्शाने के लिए किया गया. नेपाल में ऑफिशियल रूप से विक्रम संवत कैलेंडर का इस्तेमाल 1901 ईस्वी में शुरू किया गया. 

नेपाल में नया साल बैशाख महीने (अंग्रेजी कैलेंडर में 13-15 अप्रैल) के पहले दिन से शुरू होता है. नए साल के पहले दिन यहां सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. भारत में भी इस दिन कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजन किया जाता है. 

जानें विक्रम संवत क्या है?
विक्रम संवत की शुरुआत गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा और उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है. बारह महीने का एक साल और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ. महीने का हिसाब सूर्य व चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है. ये 12 राशियां 12 सौर मास हैं. पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है. चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है, इसलिए हर 3 साल में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है.

विक्रम संवत की ये बातें इसे अंग्रेजी कैलेंडर से बनाती हैं बेहतर 
सनातन धर्म के सभी तीज-त्यौहार, मुहूर्त, शुभ-अशुभ योग, सूर्य और चंद्र ग्रहण हिंदी पंचांग की गणना के आधार पर ही तय किए जाते हैं. इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर एक महत्वपूर्ण काम की शुरुआत हिन्दी पंचांग से मुहूर्त देखकर ही की जाती है.

इस कारण विक्रमादित्य के नाम से विक्रम संवत हुआ प्रचलित
विक्रमादित्य का जन्म 102 ईसा पूर्व और उनकी मृत्यु 15 ईस्वी को हुई थी. विक्रमादित्य राजा भर्तृहरि के छोटे भाई थे. भर्तृहरि को जब पत्नी से धोखा मिला तो उन्होंने संन्यास लेकर छोटे भाई को राज्य सौंप दिया. कहा जाता है कि विक्रमादित्य ने पूरी प्रजा का पूरा कर्ज माफ कर दिया था. उस समय जो राजा प्रजा का पूरा ऋण माफ कर देता था, उसके नाम से ही संवत प्रचलित हो जाता था. 

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