हिंदी मीडियम छात्रों के लिए खुशखबरी, UPSC हटा सकता है CSAT का पेपर
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हिंदी मीडियम छात्रों के लिए खुशखबरी, UPSC हटा सकता है CSAT का पेपर

UPSC ने DoPT (डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग) को प्रस्ताव दिया है कि CSAT पेपर जिसे एप्टीट्यूड टेस्ट भी कहा जाता है उसे हटा दिया जाए. यूपीएससी का मानना है कि यह समय की बर्बादी है. बता दें, इसे 2011 में शामिल किया गया था. चार सालों के बाद भारी विरोध के चलते इसे केवल क्वालिफाइंग पेपर कर दिया गया.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: हिंदी भाषी छात्र जो UPSC (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए यह अच्छी खबर है. UPSC ने DoPT (डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग) को प्रस्ताव दिया है कि CSAT पेपर जिसे एप्टीट्यूड पेपर भी कहा जाता है उसे हटा दिया जाए. यूपीएससी का मानना है कि यह समय की बर्बादी है. बता दें, इसे 2011 में शामिल किया गया था. चार सालों के बाद भारी विरोध के चलते इसे केवल क्वालिफाइंग पेपर कर दिया गया.

 CSAT पेपर में कॉम्प्रिहेंशन, लॉजिकल रिजनिंग, डिसिजन मेकिंग प्रॉब्लम सॉल्विंग क्वेश्चन, जनरल मेंटल एबिलिटी, बेसिक मैथ और इंग्लिश की परीक्षा होती है. जो छात्र हिंदी मीडियम से होते हैं वे लगातार इस पेपर का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह हिंदी मीडियम वाले छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार है. क्योंकि, जो छात्र इंग्लिश मीडियम से और साइंस बैकग्राउंड से होते हैं उन्हें फायदा मिलता है. बता दें, CSAT प्रीलिम्स में पेपर-2 है. इस पेपर में परीक्षार्थी को केवल क्वालीफाई करना पड़ता है. क्वालिफाइंग मार्क 33 फीसदी है. CSAT का हिंदी मीडियम के विरोध करने की पीछे के कारणों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि, 2018 में केवल 8 छात्र हिंदी माध्यम से परीक्षा में सफल हुए. छात्रों का कहना है कि हिंदी मीडियम की वजह से वे उनके साथ उपेक्षा होती है.

UPSC ने यह भी सुझाव दिया है कि जो परीक्षार्थी फॉर्म भरकर परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं उनको दंडित किया जाए. दंडित करने का तरीका यह होगा कि फॉर्म भरने को भी प्रयास माना जाएगा. बता दें, आधे से ज्यादा ऐसे छात्र होते हैं जो फॉर्म तो भरते हैं, लेकिन पीरक्षा में शामिल नहीं होते हैं. जनरल कैटेगरी के परीक्षार्थी UPSC की परीक्षा में 6 बार शामिल हो सकते हैं.

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