Adipurush के डायलॉग पर राइटर मनोज मुंतशिर ने दी सफाई, बोले- जानबूझकर ऐसा लिखा...
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Adipurush के डायलॉग पर राइटर मनोज मुंतशिर ने दी सफाई, बोले- जानबूझकर ऐसा लिखा...

Adipurush Manoj Muntashir: आदिपुरुष में हनुमान के डायलॉग्स पर बवाल मचने के बाद अब फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर सामने आ गए हैं. मनोज मुंतशिर ने सफाई देते हुए कहा, यह कोई गलती नहीं जानबूझकर ऐसा लिखा गया. 

आदिपुरुष मनोज मुंतशिर

Adipurush Controversy: साल 2023 की सबसे बड़ी फिल्म मानी जा रही आदिपुरुष (Adipurush) रिलीज होते ही कंट्रोवर्सी का हिस्सा बन गई है. आदिपुरुष में हनुमान जी के डायलॉग्स को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल मच रहा है. खूब सारे विवाद और आलोचनाओं के बीच आदिपुरुष के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) ने सामने आकर सफाई पेश की है. मनोज मुंतशिर का कहना है कि जिस डायलॉग को लेकर हल्ला हो रहा है, उन्हें जानबूझकर ऐसा रखा गया है जिससे आजकल के लोग उससे जुड़ सकें. 

मनोज मुंतशिर ने बवाल के बीच दी अपनी सफाई

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir Adipurush) ने हनुमान जी के कंट्रोवर्शियल डायलॉग पर बात करते हुए कहा, सिर्फ हनुमान जी की बात क्यों हो रही है, मुझे लगता है अगर बात होनी चाहिए तो हमें भगवान श्रीराम के जो संवाद है उनके बारे में भी बात करनी चाहिए, हमें जो मां सीता के संवाद है जहां वो चैलेंज करती हैं रावण की अशोक वाटिका में बैठकर कि रावण तेरी लंका में अभी इतना सोना नहीं है कि जानकी का प्रेम खरीद सके, इसके बारे में बात क्यों नहीं हो रही है. 

जानबूझकर लिखे गए ऐसे डायलॉग्स 

मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir Controversy) अपने इंटरव्यू में बताते हैं कि यह डायलॉग कोई गलती नहीं है, बजरंग बली के डायलॉग्स एक प्रोसेस से गुजरे हैं, हमने इन्हें बहुत सिंपल रखा है. मनोज मुंतशिर ने कहा, एक फिल्म में कई कैरेक्टर्स हैं तो हर कोई एक भाषा में नहीं बात कर सकता है ऐसे में कुछ अलग होना जरुरी है. 

पहली बार नहीं लिखे गए हैं ऐसे डायलॉग

मनोज मुंतशिर (Adipurush Dialouges) आगे बताते  हैं कि हम रामायण को कैसे जानते हैं. हमारे यहां कथा वाचन की भी परंपरा है, रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसे हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, अखंड पाठ होता है, कथा वाचक होते हैं, मैं एक छोटे से गांव से आया हूं हमारे यहां दादियां-नानियां जब कथा सुनाती थीं तो इसी भाषा में सुनाती थीं. ये जो डायलॉग (कपड़ा तेरे बाप का...) जिसका जिक्र किया, इस देश के बड़े-बड़े संत, इस देश के बड़े-बड़े कथावाचक ऐसे ही बोलते हैं जैसे मैंने लिखा है, मैं पहला नहीं हूं जिसने इस तरह के डायलॉग लिखे हैं, यह पहले से ही हैं.

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