'ऑल इज वेल' (रिव्यू) : जिंदगी के खालीपन को भरने की कोशिश करती फिल्म
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'ऑल इज वेल' (रिव्यू) : जिंदगी के खालीपन को भरने की कोशिश करती फिल्म

फिल्म 'ओह माय गॉड' से अपनी खास पहचान बना चुके निर्देशक उमेश शुक्ला की फिल्म 'ऑल इज वेल' शुक्रवार को रुपहले पर्दे पर अवतरित हुई लेकिन शुक्ला अपनी पिछली फिल्म की तरह इस बार जादू नहीं कर पाए हैं। शुक्ला ने अपनी तरफ से भरसक छाप छो़ड़ने की कोशिश की है लेकिन फिल्म की कमजोर पटकथा उनके प्रयास को असफल कर देती है।

तस्वीर सौजन्य: मूवी स्टील

नई दिल्ली : फिल्म 'ओह माय गॉड' से अपनी खास पहचान बना चुके निर्देशक उमेश शुक्ला की फिल्म 'ऑल इज वेल' शुक्रवार को रुपहले पर्दे पर अवतरित हुई लेकिन शुक्ला अपनी पिछली फिल्म की तरह इस बार जादू नहीं कर पाए हैं। शुक्ला ने अपनी तरफ से भरसक छाप छो़ड़ने की कोशिश की है लेकिन फिल्म की कमजोर पटकथा उनके प्रयास को असफल कर देती है।

फिल्म की कहानी कुछ इस प्रकार है। फिल्म की कहानी इंदर भल्ला (अभिषेक बच्चन) के परिवार के ईर्द-गिर्द घूमती है। उसके मां (सुप्रिया पाठक)-पिता (ऋषि कपूर) का प्रेम विवाह है, पर आर्थिक तंगी के चलते घर में सुख-शांति नहीं है। वे आपस में बात-बात में लड़ते-झगड़ते हैं। उनकी इस रोज की तकरार के कारण इंदर भल्ला का शादी जैसी संस्था से भरोसा उठ चुका है। इतना ही नहीं उसका पिता उसके सपनों के दरम्यान भी सबसे बड़ी अड़चन बन कर खड़े हैं। नतीजतन जिंदगी के कड़वे सच से दूर भागने के लिए इंदर भल्ला हकीकत व अपने परिवार की दुनिया को छोड़ सपनों के पीछे भाग जाता है। वह दौड़ उसे परदेस ले आती है।

बाद में विलेन चीमा व एक हद तक अपनी प्रेमिका निम्मी (आसिन) के चलते वह फिर से अपने परिजनों के पास लौटता है। उसे पता लगता है कि उसका पिता कर्ज में डूबे हुए हैं। मां अल्जाइमर से पीडि़त है। लिहाजा वह अपने बिखरे हुए परिवार को समेटने की कवायद में लग जाता है। आखिरकार अपने पिता को लेकर कड़वाहट और शादी व प्रतिबद्धता को लेकर सबकी गिरहें खुलने लगती हैं।

अभिनय की अगर बात करें तो ऋषि कपूर ने अपने किरदार को बेहतर ढंग से निभाया बाकी किरदारों का अभिनय औसत कहा जा सकता है। विलेन के किरदार को मोहम्मद जीशान अय्यूब ने बेहतर ढंग से निभाया है। इंदर भल्ला के अहंवादी और खडूस पिता की भूमिका में ऋषि कपूर असरदार लगे हैं।

असिन की अगर बात करें तो उन्होंने तीन साल बाद रुपहले पर्दे पर वापसी की है। इसके पहले वह फिल्म ''खिलाड़ी 786' में अक्षय कुमार के साथ नजर आई थीं। एक पंजाबी युवती के किरदार को हालांकि वह अचछी तरह जी नहीं सकी हैं। फिल्म के गाने सुनने लायक है।

कुल मिलाकर यही कहना है कि यह एक औसत फिल्म है और और जो केवल फिल्में देखने का शौक रखते हैं शायद वे इस फिल्म से निराश नहीं होंगे।

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