Amitabh Bachchan Blog: अमिताभ बच्चन का छलका दर्द, कहा- फैन्स के उत्साह में नहीं रही अब वह बात
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Amitabh Bachchan Blog: अमिताभ बच्चन का छलका दर्द, कहा- फैन्स के उत्साह में नहीं रही अब वह बात

Amitabh Bachchan Fans: देश-दुनिया के किसी भी कोने से मुंबई आने वाले लोग एक बार जरूर अमिताभ बच्चन के बंगले जलसा को देखने की इच्छा रखते हैं. अगर रविवार का दिन है, तो बाहर इकट्ठा तमाम फैन्स इंतजार करते हैं कि महानायक कब अंदर से निकल कर दर्शन देंगे. लेकिन पुराने दिनों की बात और थी! खुद अमिताभ बच्चन इस बात को महसूस कर रहे हैं.

 

Amitabh Bachchan Blog: अमिताभ बच्चन का छलका दर्द, कहा- फैन्स के उत्साह में नहीं रही अब वह बात

Amitabh Bachchan Life Story: समय के आगे कुछ भी नहीं ठहरता और देखते-देखते सब कुछ बदलता जाता है. यही शाश्वत सत्य है. महानायक अमिताभ बच्चन यह बात न जानते हों, यह संभव नहीं. परंतु अब यह बात उन्होंने खुद अपने ही बारे में लिख कर बता दी है. अमिताभ बच्चन को फिल्म इंडस्ट्री में पचास साल से ज्यादा हो चुके हैं और उन्होंने जो स्टारडम देखा, वह दुनिया के किसी भी सितारे के लिए दुर्लभ है. एक दौर ऐसा भी था कि उनकी एक झलक पाने के लिए कई किलोमीटर दूर तक भीड़ इकट्ठा हुआ करती थी और उनकी फिल्म देखने के लिए देश भर के तमाम शहरों में कई-कई किलोमीटर लंबी कतारों में लोग खड़े होते थे. मगर अब बिग बी ने कहा है कि उनके ‘उत्साही’ फैन्स की संख्या धीरे-धीरे ‘कम’ होती जा रही है.

बदल गए हालात, आ गए कैमरे
पिछले महीने जीवन के 80 बरस पूरे करने वाले अमिताभ ने अपने हालिया ब्लॉग में लिखा है कि ‘समय अपनी रफ्तार से बढ़ता जाता है और हमेशा के लिए कुछ भी एक-सा नहीं रहता.’ उन्होंने इस बात को भी ब्लॉग में खास तौर पर रेखांकित किया कि अब जब वह अपने बंगले जलसा के बाहर इकट्ठा होने वाले फैन्स से मिलने के लिए निकलते हैं तो लोग उनका स्वागत ‘मोबइल कैमरे’ से करते हैं, जबकि एक दौर में उन्हें देखते ही लोगों की उत्साही भीड़ ‘खुशी के मारे’ चीखने-चिल्लाने और उन्हें पुकारने लगती थी. छठ पूजा के संदर्भ में लिखते हुए इस ब्लॉग में अमिताभ ने लिखा कि यद्यपि आज हालात बदले हुए हैं, मगर वह रविवार की छुट्टी के दिन अपने बंगले के बाहर इकट्ठा लोगों से मिलने के लिए निकलते हैं.

जो खुशी थी पहले...
अपने ब्लॉग में अमिताभ ने लिखा कि मैंने खास तौर पर अब यह पाया है कि लोगों की संख्या पहले से कहीं कम हो चुकी है और आने वालों का उत्साह भी पहले की तरह नहीं रह गया. साथ ही मिलने के लिए आए लोगों में पहले जो खुशी हुआ करती थी और वे खुशी के मारे चीखने-चिल्लाने लगते थे, वह अब नहीं होता. इसकी जगह मोबाइल के कैमरों ने ले ली है... और खास तौर पर यही बात संकेत है कि समय बदल चुका है और कोई भी चीज हमेशा के लिए नहीं होती.

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