भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) ने कई बार आम भारतीय एक्ट्रेस वाले किरदारों से अलग भूमिकाएं निभाई हैं. भूमि ने 'दम लगा के हईशा' जैसी बेहतरीन फिल्म के साथ अपने करियर की शुरुआत की, जिसमें वे पर्दे पर एक बहुत मोटी लड़की के रूप नजर आईं.
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नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) ने खुद को एक ऐसी एक्ट्रेस के रूप में साबित किया है जो पुराने नियमों को तोड़ती है. अब तक वह हमेशा अपने अलग-अलग किरदारों के दम पर तारीफें बटोरती आई हैं. अपने इन किरदारों और लुक से से भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) इंडस्ट्री के इस स्टीरियोटाइप को तोड़ना चाहती है कि एक हीरोइन को स्क्रीन पर कैसा दिखना चाहिए. अब उन्होंने बॉडी शेमिंग को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है.
भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) ने बॉडी शेमिंग पर बात करते हुए कहा, 'उत्तर भारतीय गोरी चिट्टी लड़की – के दिन अब गुजर गए. मेरा मानना है कि रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं हिंदी फिल्म की अभिनेत्रियों को लेकर आपकी परिभाषा बदलने जा रही हूं. हम सभी इस पेशे में हैं – मुझे ऐसी लीक से हटकर कहानी वाली फिल्मों का हिस्सा बनना है जो लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. मेरे किरदार इसकी परवाह नहीं करते कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं और यही मैं करने जा रही हूं.'
भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) कहती हैं, 'मैं खूबसूरती का अपना खुद का पैमाना बनाने जा रही हूं और यही मैं करने की कोशिश कर रही हूं. अपने सिनेमा के माध्यम से, मैं वास्तव में बदलाव लाना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि लोग खुद से प्यार करें, चाहती हूं कि लोग इस बात को स्वीकार करें कि वे कौन हैं. मैं अपने दर्शकों का मनोरंजन करना चाहती हूं और यही मेरी पहली प्राथमिकता है. अपनी फिल्मों के माध्यम से मैं उन्हें एक विचार, एक सकारात्मक विचार, एक विचार के साथ छोड़ना चाहती हूं जो उनकी दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएंगे.'
भूमि पेडनेकर ने कई बार आम भारतीय एक्ट्रेस वाले किरदारों से अलग भूमिकाएं निभाई हैं. भूमि ने 'दम लगा के हईशा' जैसी बेहतरीन फिल्म के साथ अपने करियर की शुरुआत की, जिसमें वे पर्दे पर एक बहुत मोटी लड़की के रूप नजर आईं, इसके बाद वह 'शुभ मंगल सावधान' में अपने प्रेमी के इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या से जूझती दिखीं.
इसके बाद 'लस्ट स्टोरीज' में अपने मालिक द्वारा छली गई घरेलू कामवाली के रूप में नजर आईं, इसमें भारत के सामाजिक वर्गों के बीच के भेद को बखूबी दर्शाया गया. 'सोनचिरैया' में वे पितृसत्तात्मक व्यवस्था से जूझती हुई नजर आईं, 'सांड की आंख' में उन्होंने उम्रदराज महिला शार्पशूटर का किरदार निभाया, 'डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे' में महिलाओं के दमन को उजागर करती हैं. फिल्म 'बाला' में वे एक सांवली लड़की का किरदार में नजर आईं.
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