जब भी वन टाइम वंडर की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम आता है, तो जुबिली कुमार कहे जाने वाले सुपरस्टार राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव (Kumar Gaurav) का.
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नई दिल्ली: पहली फिल्म सुपरहिट हो गई. रातोंरात वे स्टार बन गए. इसके बाद? ठांय-ठांय फुस्स. बॉलीवुड में ऐसे वन टाइम वंडर या फ्लूक स्टार्स की कमी नहीं. जब भी फ्लूक स्टार या वन टाइम वंडर की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम आता है, तो जुबिली कुमार कहे जाने वाले सुपरस्टार राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव (Kumar Gaurav) का. राजेंद्र कुमार ने 1981 में अपने एकलौते बेटे कुमार गौरव को खूब शोरशराबे के साथ लॉन्च किया था. फिल्म थी 'लव स्टोरी'. इस फिल्म में उस वक्त की चर्चित हीरोइन सुलक्षणा पंडित की बहन विजयता पंडित को बतौर हीरोइन लिया गया. टीनेएज लव पर बेस्ड यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई. इस फिल्म की कामयाबी ने कुमार गौरव को रातोंरात स्टार बना दिया. इसके बाद कुमार गौरव ने लगभग तीस फिल्मों में काम किया. पर उनमें से किसी फिल्म को याद नहीं किया जाता. 'नाम' जैसी फिल्म हिट हुई, पर इसका क्रेडिट भी संजय दत्त को चला गया. कुमार गौरव को हारकर फिल्म इंडस्ट्री को बॉय कहना पड़ा.
ऐसी हीरोइन भी कई हैं
60 के दशक की हीरोइन विमी, विजयता पंडित, 'मैंने प्यार किया' की हीरोइन भाग्यश्री और 'लगान' की हीरोइन ग्रेसी सिंह का भी नाम वन टाइम वंडर में लिया जाता है. इन सबकी पहली फिल्म खूब हिट हुई. विमी ने दूसरी फिल्म नहीं की. भाग्यश्री ने तो 'मैंने प्यार किया' की शूटिंग खत्म होते ही अपने प्रेमी हिमालय शिवदासानी के साथ शादी कर ली. ग्रेसी ने लगान के बाद 'मुन्ना भाई एमबीबीएस', 'अरमान', 'गंगाजल' जैसी फिल्मों में भी काम किया. इसके बाद उन्होंने फिल्मों को अलविदा कह दिया. इसकी वजह बताते हैं कि उन्हें फिल्मों में काम करने का तौर-तरीका रास नहीं आया.
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'स्वदेश' की हीरोइन गायत्री जोशी भी पहली फिल्म के बाद कुछ बड़ा काम नहीं किया. 'आशिकी' के हीरो हीरोइन राहुव राय और अनु अग्रवाल भी इसी कैटेगिरी में आते हैं. फिल्म पंडित और आलोचक आलोक रंजन कहते हैं, वन टाइम वंडर कलाकारों के साथ दो दिक्कतें होती हैं. उनकी पहली फिल्म इतनी सफल रहती है कि दूसरी फिल्म में उनका परफॉरमेंस हलका लगने लगता है. दूसरी फिल्म की सफलता का नशा उन्हें अहंकारी बना देता है और वे गलत निर्णय लेने लगते हैं. पहली फिल्म की सफलता लंबे करियर की गारंटी कतई नहीं होती. बल्कि कई बार तो यंगस्टर को यह बोझ उठा कर आगे चलना भारी पड़ जाता है.
नेपोटिजम का जादू हमेशा नहीं चलता
इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद का रोना खूब रोया जाता है, पर यह जरूरी नहीं है कि हर सुपरस्टार और निर्देशक के बच्चे कामयाब ही हों. धर्मेंद्र, जीतेंद्र, राज कपूर, रणधीर और ऋषि कपूर, राकेश रोशन, तनुजा ये कुछ ऐसे नाम हैं जिनके बच्चे कामयाब हुए. पर ऐसे भी कई हैं जो नाकामयाब हुए. अनिल कपूर के भाई संजय, ऋषि कपूर के भाई राजीव, शत्रुघन सिन्हा के बेटे लव और कुश, वासु भगनानी के बेटे जैकी, हेमा मालिनी की बेटी ईशा जैसे कई नाम हैं जो अपने काम में फेल हो गए.