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नई दिल्ली: शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan), अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत अर्जी 20 अक्टूबर को खारिज कर दी गई थी. बॉम्बे हाई कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर 26 अक्टूबर यानी आज सुनवाई होगी. आरोपी फिलहाल आर्थर रोड जेल में बंद हैं. हाईप्रोफाइल रेव पार्टी ड्रग मामले में तीनों की गिरफ्तारी हुई थी. मामले में लगातार जांच और कार्रवाई की जा रही हैं. शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) के मामले की सुनवाई के लिए वकील मुकुल रोहतगी आज हाई कोर्ट पहुंचेंगे. अब ऐसे में एक नए वकील का नाम सामने आ गया है. इससे पहले भी दो वकील आर्यन की बेल की सुनवाई में दलीलें रख चुके हैं.
अब पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) आर्यन खान की पैरवी करेंगे. जस्टिस नितिन साम्ब्रे की अदालत में सतीश मानशिंदे और अमित देसाई भी मुकुल रोहतगी के साथ मौजूद होंगे. अब ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि शाहरुख खान ने ऐन मौके पर मुकुल रोहतगी पर भरोसा क्यों जताया है? आपके इस सवाल का जवाब हम लेकर आए हैं.
मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने बीते दिनों आर्यन खान को सपोर्ट किया था. सेशन कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने से पहले मुकुल रोहतगी ने कहा था, 'आर्यन खान को कैद में रखने की कोई जायज वजह नहीं है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक 'शुतुरमुर्ग' की तरह है, जिसने अपना सिर रेत में छिपाया हुआ है. आर्यन खान को एक सिलेब्रिटी होने की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है.'
पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने आगे कहा था, 'जमानत एक मानक है, जेल एक अपवाद है. यह मुद्दा कई साल पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुलझाया गया था, क्योंकि संविधान का सबसे स्थापित सिद्धांत 'जीवन का अधिकार' और 'स्वतंत्रता का अधिकार' है और यह न केवल भारतीयों के लिए, बल्कि विदेशियों के लिए भी है. अगर वो उसे ( आर्यन खान को) जमानत देना चाहते हैं तो तुरंत जमानत दी जा सकती है, यहां तक कि पब्लिक हॉसीडे पर भी.'
मुकुल रोहतगी को साल 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया था. वह 18 जून 2017 तक देश के 14वें अटॉर्नी जनरल रहे. यही नहीं मुकुल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. रोहतगी के पिता का भी कानून से नाता था. उनके पिता अवध बिहारी रोहतगी हाई कोर्ट के जज थे.
मुकुल रोहतगी ने साल 2002 के गुजरात दंगों में राज्य सरकार की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी. साल 2002 के दंगों के फर्जी एनकाउंटर के आरोपों को लेकर उन्होंने राज्य सरकार का अदालत में बचाव किया था. इसके अलावा वह 'बेस्ट बेकरी' और 'जाहिरा शेख ममाले' में भी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ चुके है.
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