Bollywood Retro: 'अफ्रीका में हिंद' के बाद अशोक कुमार-स्टारर 'नाज' की शूटिंग काहिरा, मिस्र और लंदन में की गई थी. 'नाज' के 10 साल बाद राज कपूर ने स्विट्जरलैंड और यूरोप के कुछ हिस्सों में अपनी फिल्म 'संगम' की शूटिंग की थी. कमर्शियल तौर पर देखा जाए तो आज भी 'संगम' को विदेश में शूट होने वाली पहली फिल्म माना जाता है. लेकिन इससे पहले 2 भारतीय फिल्में विदेशों में शूट हो चुकी थीं.
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Bollywood Retro: विदेशी लोकेशन पर शूट की जाने वाली भारतीय फिल्में अब कोई नई बात नहीं रह गई हैं. यश चोपड़ा (Yash Chopra) ने स्विट्जरलैंड को भारतीयों के बीच लोकप्रिय बनाया और आज लगभग हर दूसरी फिल्म की शूटिंग विदेश में होने लगी है. लेकिन जैसे हर एक ट्रेंड की शुरुआत होती है तो इसी तरह विदेशों में शूटिंग की ट्रेंड की शुरुआत भी एक फिल्म से हुई थी. राज कपूर (Raj kapoor) की ब्लॉकबस्टर 'संगम' (1964) को विदेश में शूट होने वाली पहली फिल्म और ट्रेंड सेटर माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'संगम' (Sangam) से कई साल पहले एक और भारतीय फिल्म विदेश में शूट हुई थी. हालांकि, यह फिल्म आजादी से भी पहले की है.
'संगम' से पहले अशोक कुमार (Ashok Kumar) स्टारर फिल्म 'नाज' (1954) की शूटिंग भी विदेश में हुई थी. फिल्म निर्माता एस के ओझा की फिल्म 'नाज' (Naaz) में अशोक कुमार के साथ नलिनी जयवंत थीं. इस फिल्म की शूटिंग काहिरा और इजिप्ट में हुई थी. लेकिन 'अफ्रीका में हिंद' (Africa Mein Hind) पहली भारतीय फीचर फिल्म थी, जिसकी शूटिंग विदेश में हुई थी.
1940 के दशक में विदेश में शूट हुई थी पहली भारतीय फिल्म
1940 के दशक में हिरेंद्र कुमार बसु द्वारा निर्देशित इस फिल्म को 'अफ्रीका में हिंद' कहा जाता था. यह फिल्म पहली भारतीय फिल्म थी, जिसकी पूरी शूटिंग अफ्रीका में हुई थी. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1938 में भारतीय राष्ट्रवादी नेता सेठ गोविंद दास (1896-1974) ने उनसे अफ्रीका के साथ भारतीय संबंधों के बारे में एक फिल्म बनाने के लिए संपर्क किया था.
हिरेंद्र कुमार बसु ने की थी विदेश में शूटिंग
हिरेंद्र कुमार बसु एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और निर्माता थे. उन्होंने संगीत निर्देशन भी किया और अभिनय भी अपना हाथ आजमाया. 1930 और 1950 के दशक के बीच अपने लंबे करियर में उन्होंने बंगाली और हिंदी में लगभग बीस फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया.
औपनिवेशिक काल में मुश्किल थी विदेशों में शूटिंग
उस समय में औपनिवेशिक काल के दौरान विदेशों में भारतीय फिल्मों की शूटिंग से जुड़ी समस्याओं की कल्पना करना काफी मुश्किल है. उस वक्त सेंसरशिप और सरकारी प्रतिबंध बड़ी बाधाओं के रूप में काम करते थे. इसके अलावा पैसा एक बड़ी समस्या थी.