'आजकल की ब्लॉकबस्टर फिल्में हैं उबाऊ...' आर बाल्कि के इस बयान से लग सकती है कई मेकर्स को मिर्ची
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'आजकल की ब्लॉकबस्टर फिल्में हैं उबाऊ...' आर बाल्कि के इस बयान से लग सकती है कई मेकर्स को मिर्ची

R Balki ने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं. हाल ही में इन्होंने बॉलीवुड में फिल्मों की कहानी और फिल्मों के हिट फॉर्मूले पर बात की. साथ ही ये भी कहा कि आजकल की फिल्में ऊबाऊ हो गई हैं. 

आर बाल्कि

R Balki on Films: 'पा', 'पैडमैन', 'चीनी कम' जैसी फिल्मों का डायरेक्शन आर बाल्कि (R Balki) ने किया है. हाल ही में पुणे के एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर निर्देशक ने आजकल की फिल्मों को लेकर ऐसा कमेंट कर दिया कि वो मिनटों में वायरल हो गया. इस कमेंट से कई फिल्म मेकर्स को मिर्ची भी लग सकती है.  

हिट फिल्में हैं ऊबाऊ

इस इवेंट में 'व्हाट ऑन अर्थ इज रॉन्ग विद एडवरटाइजिंग एंड सिनेमा' पर एक चर्चा के दौरान बाल्कि ने अपने विचार रखे. इन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बनी कुछ ब्लॉकबस्टर फिल्में वास्तव में खराब फिल्में थीं. बाल्की ने कहा- 'पिछले कुछ वर्षों में बनी कुछ ब्लॉकबस्टर फिल्में वास्तव में न केवल बौद्धिक दृष्टिकोण से बल्कि मनोरंजन के लिहाज से भी बेहद खराब फिल्में रही हैं. मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि न केवल बौद्धिक या कलात्मक दृष्टिकोण से बल्कि पुराने मनोरंजन, 'मसाला, पैसा वसूल' के लिहाज से भी बहुत उबाऊ रही हैं.'

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मजा हो चुका है खत्म

मनमोहन देसाई की फिल्मों से कमपेरिजन आर बाल्कि ने कहा- 'अमर अकबर एंथनी', 'नसीब' जैसी फिल्में कितनी मजेदार होती थीं.अब ब्लॉकबस्टर फिल्मों से मजा पूरी तरह से खत्म हो चुका है. इन फिल्मों में न तो मनोरंजन है और न ही कोई थीम, फिर भी ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कमाई करने में कामयाब रही हैं. अब ये फिल्में प्रोजेक्ट की तरह बन गई हैं. इसके साथ एक इकोनॉमिक्स जुड़ा हुआ है.'

 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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फिल्मों को हिट बनाने का नया फॉर्मूला

निर्देशक ने कहा कि 'अब मार्केटिंग के जरिए लोगों को यकीन दिलाया जाता है कि यह अच्छा है. जब तक लोगों को लगता है कि यह खराब फिल्म है तब तक फिल्म की कमाई हो चुकी होती है. इसमें केवल मेकर्स का ही दोष नहीं है, बल्कि दर्शकों की साइकोलॉजी भी योगदान दे रही है. कभी-कभी लोग यह स्वीकार करने को तैयार नहीं होते कि यह खराब है. वे कोई फिल्म देखने के बाद उसकी बुराई नहीं करना चाहते. वे फिल्म के बारे में पसंद करने के लिए एक या दो अच्छी चीजें ढूंढना चाहते हैं. अगर उन्हें किसी स्टार के बारे में एक या दो अच्छी चीजें पसंद आती हैं, तो वे इसे 'टाइम पास' का टैग दे देते हैं.'

कोई कोसना नहीं चाहता अब

उन्होंने कहा कि वास्तव में कोई 500 रुपये लगाकर फिल्म देखने के बाद खुद को कोसना नहीं चाहता. सिनेमा में जो रुचि थी, वह अब नहीं है. अब बस लोग फैमिली के साथ फिल्में देखने जा रहे हैं तो कह देते हैं कि यह फिल्म ठीक है. वास्तव में हम अब बहुत फिल्में बना रहे हैं. 

 

इनपुट- एजेंसी

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