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B'Day: कभी अपने भाई की कंपनी में नौकरी करते थे Yash Chopra, जानिए अनसुने किस्से

आज यश चोपड़ा (Yash Chopra) के जन्मदिन पर जानिए उनके जीवन की कुछ दिलचस्प कहानियां...

यश चोपड़ा कैंप की पहली मूवी की कहानी

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यश चोपड़ा कैंप की पहली मूवी की कहानी

यश चोपड़ा ने अपने करियर की शुरुआत आईएस जौहर और अपने भाई बीआर चोपड़ा की फिल्मों से बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की. उसके बाद फिल्में भी बनाईं तो बीआर चोपड़ा के ही बैनर तले, इन फिल्मों में 1959 में आई 'धूल का फूल', 1961 में आई 'धर्मपुत्र' से लेकर 1965 में आई मल्टीस्टारर और चर्चित फिल्म 'वक्त' भी शामिल हैं. 1971 में यश चोपड़ा ने भाई से अलग होकर अपनी प्रोडक्शन कंपनी खोलने का मन बनाया. इसके लिए वो अपनी जिस पहली ही फिल्म के प्रोडयूसर बने, उसका नाम था 'दाग'. इस फिल्म के लिए उन्होंने राखी, शर्मिला टैगोर और राजेश खन्ना को साइन किया. राजेश खन्ना इससे पहले उनके साथ 'इत्तेफाक' में काम कर चुके थे. इस मूवी की कहानी काफी दिलचस्प थी, इस मूवी में राजेश खन्ना अपनी बीवी शर्मिला टैगोर का रेप करने की कोशिश कर रहे अपनी कंपनी के मालिक के बेटे को मार देते हैं, बाद में जेल की वैन का एक्सीडेंट होने पर उसमें बैठे सारे लोग मर जाते हैं. उसी में राजेश खन्ना भी थे. काका का बेटा पाल रहीं शर्मिला टैगोर को जब एक रोज पता चलता है कि उसका पति ना सिर्फ जिंदा है बल्कि एक अमीर औरत से दूसरी शादी कर चुका है, तो हैरान रह जाती है. दरअसल एक्सीडेंट से बचने के बाद काका राखी से मिलते हैं, जिसको उसके बॉयफ्रेंड ने प्रेग्नेंट करने के बाद अपनाने से इनकार कर दिया था. काका उसको अपना नाम देकर शादी कर लेते हैं. क्लाइमेक्स में पता चलता है कि काका कत्ल और दो बीवियों के इलजाम से कैसे निपटते हैं, इसके लिए फिल्म देखनी होगी.

 

यश राज फिल्म्स में 'राज' कौन है?

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यश राज फिल्म्स में 'राज' कौन है?

अभी भी इसका क्रेडिट राजेश खन्ना को दिया जाता है कि 'राज' उनके नाम में से लिया गया था. इसके पीछे लोग उस वक्त काका की यश चोपड़ा को मदद बताते रहे हैं. दरअसल जब यश चोपड़ा ने अपनी पहली मूवी बनाई 'दाग' तो इस दो हीरोइनों वाली फिल्म को कोई डिस्ट्रीब्यूटर खरीदने को तैयार नहीं था. तब राजेश खन्ना ने यश चोपड़ा से कहा कि मैं इस फिल्म में फ्री में काम करूंगा, तब तक कोई पैसा नहीं लूंगा, जब तक कि आपकी लागत नहीं निकल आएगी, बाद में ऐसा ही राखी और साहिर लुधियानवी ने भी किया. पहली फिल्म के प्रोडयूसर यश चोपड़ा के लिए उस वक्त ये बड़ी राहत थी. ऐसे में उनके फाइनेंसर गुलशन राय ने कहा भी फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ठंडा रेस्पोंस मिलेगा और वो चाहते थे कि फिल्म का ज्यादा प्रमोशन ना किया जाए. 'दाग' 1973 में रिलीज हुई. फिल्म पहले दिन बमुश्किल 9 थिएटर्स में रिलीज हुई, शाम होते होते 9 थिएटर और जुड़ गए. कुछ ही दिनों में फिल्म हिट हो चुकी थी. 6 दिन के अंदर फिल्म के प्रिंट तिगुने किए जा चुके थे.  इस वजह से लंबे अरसे तक यश चोपड़ा मुश्किल वक्त में काका की ये मदद भूले नहीं. उस वक्त के पत्रकारों ने लिखा है कि यशराज फिल्म्स में से 'राज' राजेश खन्ना का है क्योंकि यश चोपड़ा अपने नाम में राज नहीं लगाते थे. लेकिन यशराज कैंप ने कभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया. हालांकि उनके खानदान में राज नाम पहले से है, चाहे उनके पिता का नाम विलायती राज चोपड़ा ले लीजिए या फिर उनके भाई बीआर चोपड़ा यानी बलदेव राज चोपड़ा. यूं भी राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था और उन्हें 'काका' के नाम से जाना जाता था.

'सिलसिला' में कैसे लाए यश चोपड़ा रेखा-जया को एक साथ

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'सिलसिला' में कैसे लाए यश चोपड़ा रेखा-जया को एक साथ

यश चोपड़ा के मन में तो शुरू से ही इच्छा थी कि जया और रेखा को ही 'सिलसिला' में लिया जाए, लेकिन अमिताभ से कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. फिर उन्होंने दोनों हीरोइंस के तौर पर स्मिता पाटिल और परवीन बॉबी को फायनल कर लिया. ये बात अमिताभ बच्चन को बताने गए, तो अमिताभ ने पूछा कि क्या ये आपकी आइडियल कास्टिंग है? बस इसी मौके का तो इंतजार था यश चोपड़ा को, फौरन अपने मन की बात कह डाली. हालांकि उनको पता था कि इससे अमिताभ नाराज भी हो सकते हैं. चोपड़ा साहब हिम्मत करके बोले, 'मैं तो जया और रेखा को साइन करना चाहता था', तो अमिताभ ने एक लम्बा पॉज लिया और बोले कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन लोगों को राजी आपको करना होगा. तब यश चोपड़ा ने रेखा और जया दोनों से खुद बात की, दोनों को ही उन्होंने राजी कर लिया. सबसे बड़ी बात उनके फेवर में ये थी कि अमिताभ बच्चन राजी थे. चोपड़ा ने उन दोनों को अच्छे से समझा दिया कि सैट पर कोई गडबड़ नहीं होनी चाहिए. इधर यश चोपड़ा की दूसरी मुश्किल भी थी, स्मिता और परवीन को मना करना. चूंकि दोनों ही इस मूवी को लेकर काफी उत्साहित थीं. परवीन से उनकी ट्यूनिंग अच्छी थी, उसे बुरा नहीं लगा लेकिन शशि कपूर को ये जिम्मेदारी दी गई कि वो स्मिता पाटिल को मना करें, फिर भी स्मिता ने इसे दिल पे ले लिया था. उसकी वजह भी थी, उनको गिनती की कॉमर्शियल फिल्में करनी होती थीं, और वो अमिताभ के साथ उन्हें सहजता से कर पाती थीं.

जब 'दीवार' में बदल दिए गए थे दोनों बेटों और मां के किरदार

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जब 'दीवार' में बदल दिए गए थे दोनों बेटों और मां के किरदार

यश चोपड़ा की 'दीवार' के दोनों किरदार अमिताभ बच्चन, शशि कपूर और निरूपा रॉय, लोगों के जेहन में छप से गए हैं, लेकिन सोचिए इन तीनों की जगह शत्रुघ्न सिन्हा, नवीन निश्चल और बैजयंती माला होते तो? फिर नवीन निश्चल के मुंह से कैसा लगता ये बोलना कि, 'मेरे पास मां है'? लेकिन ये होने जा रहा था. दरअसल शत्रुघ्न सिन्हा को यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन वाला रोल ऑफर किया था. बिलकुल इसी तरह 'शोले' के जय का रोल भी शत्रु को ऑफर किया गया था, आज भी शत्रुघ्न सिन्हा को इसका अफसोस है. तभी तो ये दोनों ही फिल्में उन्होंने आज तक नहीं देखीं. दरअसल सलीम जावेद ने 'दीवार' शत्रुघ्न सिन्हा को ध्यान में रखकर लिखी थी और उसके भाई के तौर पर नवीन निश्चल के बारे में सोचा था. लेकिन शत्रु के मना करने पर वो रोल अमिताभ बच्चन को चला गया, तो यश चोपड़ा ने नवीन निश्चल को भी हटा दिया और अमिताभ के छोटे भाई के रोल के लिए उनकी जगह शशि कपूर को साइन कर लिया. इतना ही नहीं ओरिजनल कास्ट में मां के रोल में थीं वैजयंती माला. उनको जब खबर लगी कि दोनों हीरोज को बदल दिया गया तो वो भी नाराज हो गईं. उन्होंने भी फिल्म को बाय-बाय कहने में देर नहीं की. ऐसे में वैजयंती माला के मां के रोल के बारे में यश चोपड़ा ने निरूपा रॉय से पूछा, निरूपा ने खुशी-खुशी हां कर दी और फिर तो वो मां के रोल के लिए बॉलीवुड की पहली जरूरत बन गईं.

आमिर के कहने से बदली हीरोइन, फिर आमिर को बदलकर शाहरुख ले आए

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आमिर के कहने से बदली हीरोइन, फिर आमिर को बदलकर शाहरुख ले आए

ये किस्सा है यश चोपड़ा की उस फिल्म का, जिसने उन्हें बड़ी पहचान दी, 'डर'. वो मूवी जिसके बाद देश का हर युवा हकलाकर अपने दोस्तों का नाम बोलने लगा था. दरअसल यश चोपड़ा ये मूवी आमिर खान को लेकर करना चाहते थे. इसके लिए बाकायदा आमिर को साइन भी कर लिया गया था. लेकिन उनके साथ हीरोइन ली गईं थीं दिव्या भारती. लेकिन दिव्या से आमिर की कुछ अनबन हो गई थी. किसी विदेशी स्टेज शो में आमिर के साथ परफॉर्म करते वक्त दिव्या कुछ स्टेप भूल गई थीं, जिसको लेकर मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान नाराज हो गए, उन दिनों दिव्या भी लोकप्रियता के शिखर पर थीं, सो आमिर के गुस्से पर उनकी आंखों में आंसू आ गए. ऐसे में आमिर को लगा कि वो दिव्या के साथ मूवी 'डर' में सहज नहीं होंगे, उन्होंने 'कयामत से कयामत तक' वाली हीरोइन जूही चावला का नाम सुझाया और उन्हें दिव्या की जगह यश चोपड़ा ने साइन कर लिया. लेकिन अब आमिर चोपड़ा साहब से कहने लगे कि आपका हीरो कुछ ज्यादा ही नेगेटिव है, इसको थोड़ा पॉजिटिव बनाइए. यश चोपड़ा स्क्रिप्ट में बदलाव के लिए बिलकुल तैयार नहीं थे. आखिरकार यश चोपड़ा ने बड़ा फैसला किया और आमिर की जगह शाहरुख खान की एंट्री 'डर' में करवा दी, फिर नतीजे तो आप सबको पता ही हैं. वैसे बाद में आमिर ने यशराज कैंप की 'फना' और 'धूम' जैसी मूवीज में नेगेटिव रोल्स भी किए.    

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