नई दिल्ली: सनी देओल (Sunny Deol) और शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बीच वैसे तो कोई मसला नहीं रहा है, लेकिन फिल्म 'डर' की शूटिंग के सीन को लेकर दोनों के बीच कोल्डवार कायम था. अब ये कोल्डवार शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के दरियादिली के आगे खत्म हो गया है. दरअसल सनी देओल (Sunny Deol) फिल्म 'दामिनी' का रीमेक बनना चाहते थे. 1993 की फिल्म दामिनी में ऋषि कूपर, सनी देओल (Sunny Deol) और मिनाक्षी शेषाद्री की इस फिल्म के रिमेक का राइट शाहरुख खान (Shahrukh Khan) की प्रोडक्शन टीम के पास था. हमारी सहयोगी वेबसाइट DNA के अनुसार सनी फिल्म 'दामिनी' के रिमेक से अपने बेटे करण देओल (Karan Deol) को लांच करने वाले थे, लेकिन रिमेक के राइट्स उनके पास नहीं थे.
सनी देओल और शाहरुख खान ने 1993 में फिल्म डर में एक साथ काम करने के बाद फिर कभी स्क्रीन शेयर नहीं किया. सनी ने फिल्म में विलेन को एक सीन में शानदार रोल दिए जाने से नाराज हो गए थे. इस सीन की नाराजगी से दोनों अभिनेताओं ने करीब 16 साल तक बात नहीं की थी. उन्होंने कहा था कि फिल्म के एक सीन से उनको इतना गुस्सा आया था कि उन्होंने अपनी पैंट की जेब ही फाड़ दी थी. हालांकि शाहरुख खान ने पुरानी बातों को बिसरा कर अपनी दरियादिली दिखाई है.
बता दें कि सनी अपने बेटे करण देओल के साथ अपनी फिल्म दामिनी की रीमेक बनाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन फिल्म के अधिकार शाहरुख के होम बैनर रेड चिलीज एंटरटेनमेंट के पास हैं, जिन्होंने इसे दामिनी के निर्माता ऐली और करीम मोरानी से खरीदा था. उधर जब शाहरुख खान को ये पता चला कि सनी 1993 की फिल्म का रीमेक बनाने की इच्छुक हैं तो उन्होंने बिना किसी के कुछ बताए इस फिल्म के राइट के कागजात सनी देओल के घर पहुंचा दिया.
इस बीच, शाहरुख के साथ उस फिल्म के सीन के बारे में बात करते हुए सनी ने एक इंटरव्यू में बताया कि " फिल्म में एक दृश्य में शाहरुख ने मुझे चाकू मार दिया था. उस दृश्य के बारे में मेरी यश चोपड़ा के साथ गर्म चर्चा हुई थी. मैं उन्हें ये समझाने की कोशिश की कि मैं एक कमांडो हूँ. फिल्म में मेरा किरदार वेशष है और मैं बहुत फिट हूं, फिर यह लड़का (फिल्म में शाहरुख का चरित्र) मुझे कैसे आसानी से हरा सकता है. वह कहते हैं कि यदि मैं उसे यानी शाहरुख खान को नहीं देख पाता और तब वह मुझे चाकू मार देता तो वह चल सकता था, लेकिन सामने से कमांडो को चाकू मारना सही नहीं है.
उन्होंने यह भी बताया किया, "चूंकि यश जी सीनियर थे, इसलिए मैंने उनका सम्मान किया और बहुत कुछ नहीं कह पाया, लेकिन मुझे गुस्सा खूब आ रहा था और गुस्से में मैंने अपने दोनों हाथ अपने पैंट की जेब में डाल दी. जल्द ही गुस्से से जब मैं बाहर निकला तो मुझे एहसास भी नहीं हुआ कि कब मैं पैंट की जेब फाड़ दी थी.