Human Review: हॉस्पिटल्स की काली दुनिया का खौफनाक खुलासा करती है ये वेब सीरीज
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Human Review: हॉस्पिटल्स की काली दुनिया का खौफनाक खुलासा करती है ये वेब सीरीज

वेब सीरीज Human डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है. ये सीरीज अस्पतालों की दुनिया के काले राज को उगलती है जिसके बारे में शायद आप कम ही जानते होंगे. इसमें शैफाली शाह और कीर्ति कुल्हारी ने बेहतरीन काम किया है.

शैफाली शाह और कीर्ति कुल्हारी

कास्ट: शैफाली शाह, कीर्ति कुल्हारी, मोहन अगाशे, आदित्य श्रीवास्तव, विशाल जेठवा, आसिफ खान, गौरव द्विवेदी, सीमा विश्वास और राम कपूर.

  1. अस्पतालों के काले राज उगलती है सीरीज
  2. शैफाली और कीर्ति की एक्टिंग ने जीता दिल
  3. सीरीज ह्यूमन देखने से पहले पढ़ें ये रिव्यू 

निर्देशक:  विपुल अमृतलाल शाह, मोजेज सिंह

स्टार रेटिंग: 4

कहां देख सकते हैं: डिज्नी हॉट स्टार पर

 
नई दिल्ली: हॉस्पिटल्स की अंदर की दुनिया पर 'संजीवनी' जैसे कई सीरियल्स तो बने हैं, कुछ फिल्मों में भी हॉस्पिटल्स में हो रही लापरवाहियों और भ्रष्टाचार पर सीन्स डाले जाते रहे हैं, जैसे अक्षय की ‘गब्बर इज बैक’ में था, लेकिन हॉस्पिटल्स की काली दुनिया पर इस कदर थ्रिलिंग विषय को लेने वाली ये शायद पहली वेबसीरीज होगी. चूंकि गंभीर और साइंटिफिक मुद्दा था, सो आम आदमी के बोर हो जाने का डर था, इसलिए इसमें सारे मसाले डालकर सीरीज को इस तरह बनाया गया है कि आप एक बार बैठने देखें तो फिर पूरी करके ही छोड़ें.

ऐसी है सीरीज की कहानी

कहानी है भोपाल में हो रहे सीक्रेट ह्यूमन ट्रायल्स की, जिसमें वायु फार्मा के मोहन वैद्या (मोहन अगाशे) और उसका बेटा अशोक वैद्या (सीआईडी फेम आदित्य श्रीवास्तव), शहर की मशहूर न्यूरोसर्जन शैफाली शाह के हॉस्पिटल मंथन के साथ मिलकर एक ऐसी दवाई का आम लोगों पर ट्रायल करते हैं, जो यूरोप में पहले से प्रतिबंधित है. इसके लिए गरीब लोगों को बिना बताए पैसों का लालच देकर उन्हें इंजेक्शन लगवाते हैं. जिसमें शामिल हैं राजनीति और नौकरशाही की दुनिया के दिग्गज भी, जिनको अपना हिस्सा किसी ना किसी रूप में चाहिए होता है.

देखने को मिलेंगे कई ट्विस्ट

ज्यादा पैसों के लालच में डॉक्टर्स और दलालों का नेटवर्क भी इसमें शामिल है. लेकिन अचानक दवाई के साइड इफैक्ट्स सामने आने लगते हैं, एक मरीज की मौत हो जाती है. फिर खेल शुरू होता है. उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट गायब करके बाकी तीन मरीजों को ऐसी मौत देने का जिससे कि पोस्टमार्टम वो एक्सीडेंट लगें, और ह्यूमन ड्रग ट्रायल की खबर सामने ना आ सके.

व्हिसिल ब्लोअर​ का है एंगल

कहानी की व्हिसिल ब्लोअर के तौर पर हैं मंथन हॉस्पिटल की ही काबिल डॉक्टर सायरा सब्भरवाल (कीर्ति कुल्हारी), जो ह्यूमन ट्रायल के शिकार एक व्यक्ति की विधवा की मदद करते करते इस खेल को समझ जाती हैं. इस सीरीज में एक और बेहतरीन किरदार है मंगू (विशाल जेठवा), रानी मुखर्जी की ‘मर्दानी 2’ का वो किशोर विलेन, जो अपनी एक्टिंग से छाप छोड़ गया था. शुरूआत के तीन-चार एपिसोड इस सीरीज में आप टिक पाते हैं तो वो विशाल जेठवा की मौजूदगी भी है. वो अपने उसी पुराने तेवर में हैं, लेकिन यहां वो गुमराह लड़के के रोल में हैं, जो पैसों के लालच में अपनी मां को ही ह्यूमन ड्रग ट्रायल का शिकार बना देता हैं और मां के मरने के बाद बन जाता है इस सिंडिकेट का दुश्मन.

कई सीन्स पर उठते हैं सवाल

सीरीज देखते वक्त ये सवाल मन में उठता है कि सीरीज को भोपाल पर ही फोकस क्यों दिखाया गया, ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की धांधली वाले केस व्यापम आपके दिमाग में क्लिक करता है. मेडिकल की दुनिया का पॉलटिकल और ब्यूरोक्रेट्स कनेक्शन उसमें भी दिखाया गया था और उसमें भी एक के बाद एक विक्टिम्स की ऐसी ही मौतें हुई थीं, जैसे कि इसमें दिखाई गई हैं. बीच बीच में भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को भी इस सीरीज में शामिल किया जाता है.  

सीरीज में परोसा गया भरपूर मसाला

चूंकि डायरेक्टर पर ये दवाब रहा होगा कि कैसे इस बोरिंग सब्जेक्ट को इस तरह 10 एपिसोड्स में दिखा जाए कि आखिर तक दर्शक बंधा रहे, सो उसने तमाम मसाले भी इस्तेमाल किए, पहले एपिसोड में ही डॉक्टर्स दम्पत्ति के मसाज का ‘टॉपलेस’ सीन और कीर्ति कुल्हारी की अपने फोटोग्राफर बॉयफ्रेंड से ‘टॉपलेस’ चैट का मकसद यही था. वैसे ही तमाम जगह गालियां या आम तबके की अश्लील बातचीत को इस्तेमाल किया गया है. डायरेक्टर ने सीरीज के विषय 'Human Trials' के विषय को भी टाइटिल में लेना ठीक नहीं समझा और केवल 'Human' ही लिया.

खटकती है ये बात

लेकिन एक बात तय है कि इस मूवी को ह्यूमन ड्रग ट्रायल से ज्यादा डायरेक्टर विपुल भाई शाह ने अपनी पत्नी शैफाली शाह के लिए बनाया है. सबसे ज्यादा कॉम्पलेक्स किरदार शैफाली यानी डॉक्टर मंजूनाथ का ही है. हर किरदार उनके इर्दगिर्द घूमता है, कीर्ति कुल्हारी एक बार को लीड हीरो लगती हैं, लेकिन वो भी मंजूनाथ के इर्दगिर्द घूमती नजर आती हैं. सीमा विश्वास और राम कपूर के साथ स्पेशल रिश्ता शैफाली शाह के साथ शुरू से ही सस्पेंस की चादर में लिपटा नजर आता है.

किएटिव डायलॉग्स ने जीता दिल

शैफाली शाह के बोलने के अंदाज, उनके लिए चुने गए खास क्रिएटिव डायलॉग्स, उनके बचपन का ट्रॉमा और शायद सभी किरदारों में उनको सबसे ज्यादा बुद्धिमान दिखाना इसी इमेज बिल्डिंग का हिस्सा लगा. ऐसे में विशाल जेठवा को छोड़कर शायद सभी किरदारों को उनका पूरा हिस्सा मिलता नहीं लगता. सो सीरीज को उठाने की सारी जिम्मेदारी भी शैफाली की मानिए. बावजूद इसके सीरीज काफी कसी हुई, बांधकर रखने वाली, इमोशनल, थ्रिलिंग और समाज के उस हिस्से की काली सच्चाई को सबके सामने रखने वाली है, जिन्हें समाज मे भगवान का दर्जा दिया जाता है. ये अलग बात है कि कभी-कभी अतिशियोक्ति भी लगती है. वैसे ये भी दिलचस्प है कि शैफाली शाह की एक मूवी 'डॉक्टर G' भी बनकर तैयार है.

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