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बॉलीवुड के वे 5 बड़े हिंदू स्टार्स, जो जम्मू-कश्मीर की धरती पर हुए थे पैदा

जब भी जम्मू कश्मीर से आए फिल्मी चेहरों की बात होती है तो अनुपम खेर, अशोक पंडित के बाद संजय सूरी, जायरा वसीम, एकता कौल व हिना खान जैसे कलाकारों का नाम सामने आता है. इनके अलावा भी कई कामयाब चेहरे हैं, जिनके बारे में लोग नहीं जानते हैं.

हिंदी फिल्मों का ‘पहला देवदास’ के. एल. सहगल

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हिंदी फिल्मों का ‘पहला देवदास’ के. एल. सहगल

जम्मू में जन्में के. एल. सहगल अपने समय के सुपरस्टार थे. उनके पिता जम्मू-कश्मीर के राजा के यहां तहसीलदार थे. मां केसरबाई सहगल के भजनों को सुनसुनकर उन्हें म्यूजिक का शौक लग गया था. धीरे-धीरे वह जम्मू की रामलीला में सितार बजाने लगे. स्कूल छोड़कर वो रेलवे में टाइमकीपर बन गए. फिर वो एक टाइपराइटर कंपनी में सेल्समेन बन गए, जिसके चलते उन्हें देश के कई शहरों में जाने का मौका मिला.

दोस्तों का मिला साथ

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दोस्तों का मिला साथ

के. एल. सहगल के दोस्त मेहरचंद जैन ने उनकी गायकी का हुनर तराशने में काफी मदद की. वह उन्हें मुशायरों में ले जाने लगे. फिर मित्रों की मदद से उन्हें एक स्टूडियो में 200 रुपए महीने की जॉब मिल गयी. कई एलबम में उन्हें गाने का मौका मिला. फिर पहली मूवी में हीरो बनने का मौका मिला. फिल्म थी- ‘मोहब्बत के आंसू’.

गायिकी के साथ फिल्में

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गायिकी के साथ फिल्में

दिलचस्प बात यह थी कि उन पर कश्मीर का रंग इतना गहरा चढ़ा था कि शुरू की 3 फिल्मों में उन्होंने अपना नाम स्क्रीन पर दिया था- ‘सहगल कश्मीरी’. बाद में नाम बदलकर मूल नाम कुंदन लाल सहगल लिखना शुरू किया. कहा जाता है कि उन दिनों लता मंगेशकर, के. एल. सहगल से शादी करना चाहती थीं. फिर 1935 में उन्हें मिली मूवी ‘देवदास’. फिल्म जितना हिट हुई, उससे ज्यादा सहगल की आवाज में गाने हिट हुए. कोई उन्हें गायक के तौर पर पसंद करता था, तो कोई एक्टर के तौर पर.

 

विधु विनोद चोपड़ा

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विधु विनोद चोपड़ा

विधु विनोद चोपड़ा जाने-माने फिल्मकार हैं. तमाम मशहूर फिल्में उन्होंने डायरेक्ट या प्रोडयूस की हैं और सबसे दिलचस्प बात है कि उनमें से ज्यादातर कश्मीर से जुड़ी हैं. ‘मिशन कश्मीर’ हो या फिर हालिया आई ‘शिकारा’. लेकिन लोगों का मानना है कि यूं तो ये बेहतरीन मूवीज हैं, फिर भी कश्मीर समस्या को पूरी तरह से बताती नहीं है. सिर्फ छूकर निकल जाती हैं. 

मजबूरी ले आई थी मुंबई

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मजबूरी ले आई थी मुंबई

विधु के खानदान का कनेक्शन पेशावर से है, लेकिन उनका जन्म श्रीनगर में हुआ था. उनके पिता डीएन चोपड़ा, रामानंद सागर के सौतेले भाई थे. 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बाद उनकी मां उन्हें मुंबई ले आई थी. फिर विधु ने एफटीटीआई, पुणे में एडमीशन लिया. इसके बाद उनका शानदार फिल्मी सफर शुरू हुआ.

ओमप्रकाश

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ओमप्रकाश

ओमप्रकाश का पूरा नाम था ओमप्रकाश बख्शी. शुरू से ही उनको एक्टिंग का शौक लग गया था. वह जम्मू के दीवान मंदिर नाटक समाज के एक नाटक में कमला का किरदार अदा किया करते थे. इससे उन्हें पहचान मिली. 1937 में जब उन्होंने 25 रुपए महीने की तनख्वाह में ऑल इंडिया रेडियो से जुड़े तो उन्हें एक शो के चलते ‘फतेहदीन’ के तौर पर जाना जाने लगा.

लाहौर से दिल्ली

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लाहौर से दिल्ली

एक दिन एक शादी में उन्हें उस वक्त के मशहूर फिल्मकार दिलसुख पांचोली मिले. उन्होंने ओमप्रकाश को अपनी फिल्म ‘दासी’ में एक रोल दिया. कई सारी फिल्में उन्होंने लाहौर में कीं. तभी विभाजन हो गया, उनको दिल्ली आना पड़ गया, दिल्ली से मुंबई चले आए.

निभाए सभी तरह के रोल

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निभाए सभी तरह के रोल

मुंबई में ओमप्रकाश को फिल्म ‘लखपति’ में पहला बड़ा मौका मिला था. इसके बाद उनके लिए तमाम अच्छी फिल्मों का रास्ता खुल गया. उन्होंने उस दौर के सभी बड़े स्टार्स के साथ फिल्में कीं. उन्होंने विलेन से लेकर कॉमेडियन तक सभी तरह के किरदार निभाए. उन्होंने करीब 300 से 400 फिल्मों में काम किया.

जीवन

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जीवन

कलाकार जीवन का असली नाम था ओंकार नाथ धर. उनके दादा गिलगित के गर्वनर थे. कम उम्र में ही पाता-पिता का साया सर से उठ गया था. जब उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में जाने की इच्छा जताई, तब सभी उनसे नाराज हो गए. सवाल था कि आखिर इतने बड़े खानदान का लड़का ये नाचने-गाने का काम क्यों करेगा?

हैल्पर का किया काम

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हैल्पर का किया काम

एक दिन वह घर से भाग कर मुंबई पहुंचे. उस वक्त उनकी जेब में कुल 26 रुपए थे. मुंबई के स्टूडियोज के चक्कर काटे. स्टूडियो में हैल्पर जैसा काम किया. एक दिन मोहन सिन्हा अपनी फिल्म ‘फैशनेबल इंडिया’ के लिए नए चेहरे की तलाश कर रहे थे.  उनकी नजर जीवन पर पड़ी तो पूछा कि क्या तुम फिल्मों में काम करोगे, वो तो आए ही इसलिए थे. 

मोहन सिन्हा ने उनसे कहा कि कुछ बोल कर बताओ, तो जीवन ने फौरन ‘हीर रांझा’ फिल्म के कुछ डायलॉग्स बोलकर बता दिए. इस तरह उनकी फिल्मों में एंट्री हुई.

नारद मुनि

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नारद मुनि

आपको ये जानकर हैरत होगी कि जीवन ने 60 फिल्मों में ‘नारद मुनि’ का किरदार किया था. एक दिन वो इतने मशहूर विलेन हो गए कि जब फिल्म हॉल में अपनी ही मूवी देखने पहुंचे तो महिलाएं हॉल छोड़कर भाग गई थीं. आज भी लोग उनके तमाम तरह के रोल भूले नहीं हैं.

आयशा जुल्का

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आयशा जुल्का

फिल्म ‘जो जीता वही सिंकदर’ में आमिर खान की उस भोली भाली दोस्त को लोग आज भी नहीं भूले हैं. आयशा ने फिल्मों में कई अच्छे रोल किए हैं. फिर भी कोई भी उनके कश्मीरी कनेक्शन को नहीं जानता है. दरअसल, उनके पिता एयरफोर्स ऑफिसर थे, और वह कश्मीर में तैनात थे. कश्मीर में ही आयशा का जन्म हुआ था.

फिल्म ‘दलाल’

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फिल्म ‘दलाल’

आयशा ने खिलाड़ी, मेहरबान, दलाल, वक्त हमारा है, रंग, संग्राम, जय किशन और मासूम जैसी कई फिल्मों में काम किया था. एक दौर में प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘दलाल’ का विवाद काफी चर्चा में रहा था, जब प्रकाश मेहरा ने उन्हें बिना बताए उनकी एक बॉडी डबल पर एक बोल्ड सीन फिल्मा लिया था.

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