कन्नौज में ऐसा क्या हुआ.. 48 घंटे में ही बदलना पड़ा उम्मीदवार? अखिलेश यादव को संभालना पड़ा मोर्चा
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कन्नौज में ऐसा क्या हुआ.. 48 घंटे में ही बदलना पड़ा उम्मीदवार? अखिलेश यादव को संभालना पड़ा मोर्चा

Akhilesh Yadav News: अखिलेश की कन्नौज से उम्मीदवारी वाली पटकथा यूं ही नहीं लिखी गई. तेज प्रताप यादव के नाम का ऐलान फिर कन्नौज के सपा कार्यकर्ताओं का विरोध और फिर अखिलेश के साथ सपा नेताओं की बैठक, तब जाकर अखिलेश का नाम फाइनल हुआ है. राम गोपाल यादव ने उनके नामांकन का समय भी बता दिया है.

कन्नौज में ऐसा क्या हुआ.. 48 घंटे में ही बदलना पड़ा उम्मीदवार? अखिलेश यादव को संभालना पड़ा मोर्चा

Kannauj Loksabha Seat: समाजवादी पार्टी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का नाम उनकी पार्टी की तरफ से कन्नौज सीट से लोकसभा चुनाव के लिए फाइनल हो गया है. खुद रामगोपाल यादव ने कहा है कि अखिलेश यादव कन्नौज से ही चुनाव लड़ेंगे और 25 अप्रैल की दोपहर कन्नौज सीट से नामांकन करेंगे. इस ऐलान के बाद ही तमाम कयासों का दौर खत्म हो गया. इससे पहले कन्नौज सीट से अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दिया गया था. उनके नाम का बकायदा ऐलान भी हुआ था, लेकिन अब आखिर में समाजवादी पार्टी की तरफ से यह तय हुआ है कि इस सीट पर अखिलेश यादव ही चुनाव लड़ेंगे. यह सब कैसे हुआ, इसकी क्रोनोलॉजी समझ लीजिए. 

असल में कन्नौज सीट पर उनके पारिवारिक सदस्य और मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया गया था. समाजवादी पार्टी ने सोमावार को कन्नौज से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव बनाया था. हालांकि पहले से ही सपा कार्यकर्ताओं ने मांग की थी कि अखिलेश यादव को ही कन्नौज से चुनाव लड़ना चाहिए. यह भी बात सामने आई थी कि मंगलवार को कुछ कार्यकर्ता व नेता लखनऊ में अखिलेश से मिले और चुनाव मैदान में उतरने की अपील की. इसके थोड़ी देर बाद ही इंटरनेट मीडिया पर कार्यकर्ता अखिलेश को टिकट दिए जाने का लेटर भी वायरल हुआ था. 

नाराज थे कन्नौज के कार्यकर्ता?
वैसे तो कन्नौज में उठापटक तो तेज प्रताप के नाम के ऐलान के साथ ही हो गई थी. तेज प्रताप की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से ही सपा के स्थानीय कार्यकर्ता इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. कन्नौज के सपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने अखिलेश को कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बारे में अवगत कराया और इस चुनाव में खुद उतरने की मांग दोहराई. स्थानीय स्तर पर सपा के कार्यकर्ता तेज प्रताप की उम्मीदवारी से नाखुश हैं और यह तर्क दे रहे हैं कि तेज की सक्रियता बहुत कम है लोग उन्हें नहीं जानते हैं. 

कन्नौज में कमजोर हो रही पार्टी?
सूत्रों का यह भी कहना है कि स्थानीय नेता किसी भी हालत में पार्टी की स्थिति को कन्नौज सीट से कमजोर होने नहीं देना चाहते हैं. उनका यह भी तर्क था कि अगर अखिलेश खुद नहीं उतरे तो पार्टी से लोगों का मोहभंग हो जाएगा. हालांकि कन्नौज सीट पर लंबे समय से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. ऐसे में इस सीट पर नए सिरे से मजबूती बनानी होगी. अखिलेश ने पहले ही कहा था कि कन्नौज की जनता जो कहेगी, वो मैं करूंगा. और अब अखिलेश यादव ने वादे के मुताबिक खुद उतरने का मन बना लिया है.

कन्नौज सीट पर सपा का दबदबा.. 
अखिलेश यादव 2000 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार सांसद चुने गये थे. उसके बाद वह 2004 और 2009 में भी इसी सीट से सांसद रहे. उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा से इस्तीफा देने के चलते 2012 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल निर्विरोध चुनी गयी थीं. वर्ष 2014 के आम चुनाव में भी डिंपल ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी. हालांकि साल 2019 के चुनाव में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से पराजित हो गयी थीं. 

 48 घंटे के अंदर तेज प्रताप की जगह अखिलेश..
बता दें कि कन्नौज में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत आगामी 13 मई को मतदान होगा. इस सीट के लिये नामांकन बृहस्पतिवार 25 अप्रैल को शुरू होंगे. उधर 2014 से 2019 तक मैनपुरी से सांसद रहे तेज प्रताप राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के भतीजे हैं. फिलहाल तेज प्रताप के नाम के ऐलान के 48 घंटे के अंदर अखिलेश का नाम सामने आ गया.

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