Explainer: प्लेन की तरह शिप में भी होता है ब्लैक बॉक्स, अब पता चलेगा बाल्टीमोर ब्रिज टूटने का सच, क्या हमारे देश के क्रू मेंबर्स की गलती थी?
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Explainer: प्लेन की तरह शिप में भी होता है ब्लैक बॉक्स, अब पता चलेगा बाल्टीमोर ब्रिज टूटने का सच, क्या हमारे देश के क्रू मेंबर्स की गलती थी?

Baltimore bridge collapse Update: अमेरिका के बाल्टीमोर में हुए हादसे के बाद संघीय जांच एजेंसियों ने कई खुलासे किए हैं. बाल्टीमोर के ट्रांसपोर्ट सेक्रेट्री बेटिगिएग ने कहा पुल टूटने और पोर्ट के बंद होने से शहर की इकोनॉमी और देश की सप्लाई चैन पर असर पड़ेगा. 

Explainer: प्लेन की तरह शिप में भी होता है ब्लैक बॉक्स, अब पता चलेगा बाल्टीमोर ब्रिज टूटने का सच, क्या हमारे देश के क्रू मेंबर्स की गलती थी?

Baltimore Bridge Collapse latest: अमेरिका के बाल्टीमोर में हुए हादसे की जांच जारी है. एक कार्गो शिप जब ब्रिज से टकराया तो वो टूट गया. इस हादसे में कुछ लोगों की मौत हो गई. इस जहाज पर सवार दो पायलटों समेत सभी 22 क्रू मेंबर भारतीय थे. इस हादसे में कम से कम नुकसान हुआ, इसे लेकर भारतीय क्रू की तारीफ की गई. इस बीच अमेरिका की संघीय जांच एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया है, जो आपको जरूर जानना चाहिए.

हादसे की जांच जारी

समंदर की लहरों को चीर कर आगे बढ़ने वाला जो जहाज हादसे का शिकार हुआ वो 'ग्रेस ओशियन' कंपनी के नाम से रजिस्टर्ड था. उस पर सिंगापुर का झंड़ा लगा था. बाल्टीमोर पोर्ट से श्रीलंका रवाना रवाना होने के कुछ मिनट बाद पटाप्सको नदी पर बने Key Bridge से टकरा गया. NTSB और फायर ब्रिगेड के अफसरों का कहना है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है हमें उतनी ही चुनौतीपूर्ण और खतरनाक स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. 

ब्लैक बॉक्स खोलेगा राज

जांचकर्ता दुर्घटना के कारण की जांच कर रहे हैं. आपको बताते चलें की जिस तरह हवाई जहाज में ब्लैक बॉक्स होते हैं. जो किसी भी हादसे के बाद सुरक्षित रहते हैं. उनकी पड़ताल से हादसे की वजह और ये तक पता चल जाता है कि उस समय कैसी स्थितियां थीं और प्लेन में क्या कुछ कहा-सुना गया? उसी तरह पानी के जहाज में भी ऐसी तकनीक होती है. जिसके डेटा एनलिसिस से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. जांचकर्ताओं का कहना है कि डेटा रिकॉर्डर की रिकवरी इस बात पर अधिक प्रकाश डालेगी कि जहाज में खराबी कैसे आई?

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हालांकि एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि संभावित खराब गुणवत्ता वाले ईंधन से लेकर, शिप में बिजली की कटौती जैसे एंगल की भी पड़ताल होगी. 

अब तक क्या पता चला?

Key Bridge 1.5 मील यानी करीब 2.5 किमी लंबा था. शुरुआती जांच में ये भी माना जा रहा है कि कई साल पहले बने पुल की डिजाइन और आज के जमाने के कार्गो शिप का आकार पहले के जहाजों से ज्यादा बड़ा होना भी पुल के ढहने की वजह हो सकती है. जहाज के 4700 कार्गो कंटेनरों में से केवल दो गायब हैं और किसी में भी खतरनाक सामग्री नहीं है. जांच एजेंसियों का ये भी कहना है कि इस हादसे से कोई प्रदूषण नहीं फैला है. 

फॉक्स न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबित हादसे के वीडियो की जांच के दौरान पता चला कि पुल से टकराने से ठीक पहले शिप की बिजली व्यवस्था यानी पावर सप्लाई में फ्लक्चुएशन दिखा था. ऐसे में संभव है कि बिजली कटौती की वजह से चालक दल ने शिप की स्टीयरिंग पर नियंत्रण खो दिया हो. ये भी संभव है कि इस वजह से वो इसका रास्ता नहीं बदल सके. जांचकर्ता इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या दूषित ईंधन की वजह से जहाज के इंजन की पावर पर कोई असर तो नहीं पड़ा? क्योंकि खराब फ्यूल ही जहाज के इंजन और पावर सप्लाई दोनों को प्रभावित कर सकता है.

बताया जा रहा है कि हादसे की वजह जहाज में आई खराबी थी. पहले एक इंजन बंद हुआ और इंजन रूम में हर जगह जले हुए फ्यूल की महक थी वहां चारों ओर घना अंधेरा था. दूसरे इंजन से भी मदद नहीं मिली. जहाज अनियंत्रित होकर पुल की ओर बढ़ गया. टक्कर के असर को कम करने के लिए चालक दल ने जो कोशिशें की बेकार रहीं. जैसे लंगर गिराया गया कुछ भी काम नहीं आया. 

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मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर संजय राजा अरवाडे ने कहा, ये एक बड़ा जहाज था. जिसकी स्पीड और पिकअप जबरदस्त है. ऐसे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी हो सकता है.

कमजोर था ब्रिज?

जांचकर्ताओं ने ये अनुमान भी लगाया कि 1977 में बनकर तैयार हुए इस पुल की मजबूती बीते कुछ सालों से बने अधिकांश पुलों की तुलना में कुछ कम हो सकती है. इसी विषय को लेकर बाल्टीमोर के ट्रांसपोर्ट सेक्रेट्री ने कहा था करोड़ों डॉलर की लागत से बने इस विशालकाय जहाज पर लाखों टन माल लदा था. इस अनुपात में इतना पुराना ब्रिज इसकी हल्की टक्कर सहने के लायक भी नहीं था.

40 साल पहले इसी ब्रिज से टकराया था पानी का जहाज

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक यही पुल करीब चार दशक पहले, एक अन्य कंटेनर जहाज से टकराया था लेकिन तब वह मजबूती से खड़ा रहा. इसी रिपोर्ट में लिखा है कि अमेरिकी जलमार्गों पर सैकड़ों पुल दशकों पहले बनाए गए थे. उस वक्त कंटेनर जहाज आज के कार्गो शिप जितने ऊंचे और भारी नहीं होते थे. 

इस हादसे के बाद अब ये बहस हो रही है कि अब समय आ गया है कि अमेरिका में बने ऐसे सभी ब्रिज का सिक्योरिटी चेक होना चाहिए. ताकि ये पता चल सके कि अमेरिका का पुराना बुनियादी ढांचा आज वहां के जलमार्गों से गुजरने वाले विशाल जहाजों के प्रतिकूल प्रभावों का सामना कर सकता है या नहीं?

इस थ्योरी को बल देते हुए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर पॉलिसी प्रोग्राम के प्रोफेसर और डायरेक्टर रिक गेडेस ने कहा, 'ये हादसा एक बड़ी चेतावनी है. हालांकि जिन लोगों ने करीब 50 साल पहले इस ब्रिज का निर्माण किया था. उन्होंने तब ये नहीं सोचा था कि भविष्य में पानी के जहाज इतने भारी भरकम होंगे. यह उनकी गलती नहीं थी. उस समय वैसी तकनीक नहीं थी.'

हालांकि अगर ऐसा है तो ये सिर्फ अमेरिका की ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में ऐसे हादसे हो सकते हैं. क्योंकि वहां बने ब्रिज भी आज के दौर में बने शिप के हिसाब से तैयार नहीं है.

गौरतलब है कि सिनर्जी मरीन ग्रुप द्वारा संचालित विशाल कार्गोशिप 2018 के बाद से ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और फिलीपींस में कम से कम तीन घातक दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं.

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