2019 लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 में से 26 सीट जीतने में बीजेपी कामयाब हुई थी. जेडीएस के साथ गठबंधन और बी वाई विजयेंद्र को पार्टी अध्यक्ष बनाने के फैसले को ट्रंप कार्ड के तौर पर देखा जा रहा है.
Trending Photos
Loksabha Chunav 2024: अगर देश के दक्षिण के राज्यों की बात करें तो बीजेपी का कर्नाटक असर अधिक है. यह बात अलग है कि 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन सियासत में ना तो जीत ना ही हार का स्वभाव स्थाई होता है. विधानसभा में करारी हार के बाद बीजेपी ने संगठन के स्तर पर बड़ा बदलाव करते हुए बी एस येदियुरप्पा के बेटे को बी वाई विजयेंद्र को पार्टी की कमान सौंपी है. इस बदलाव के पीछे आम चुनाव 2024 को बताया जा रहा है. यहां हम दो बड़े मुद्दों की चर्चा करेंगे. पहला तो ये कि बी वाई विजयेंद्र को कमान देने के पीछे वजह क्या है. इसके अलावा जेडीएस(वोक्कलिगा समाज पर खास असर) के साथ गठबंधन किस तरह बीजेपी की राह आसान करने वाला है. पहले बात बी वाई विजयेंद्र की.
बी वाई विजयेंद्र को कमान देने का मतलब
बी वाई विजयेंद्र, बी एस येदियुरप्पा के बेटे हैं और 2023 के चुनाव में विधायक बनने में कामयाब भी रहे. पेशे से वकील रहे विजयेंद्र के बारे में कहा जाता है कि उनमें संगठन चलाने की क्षमता है. दूसरी बात यह कि चुनाव से पहले बी एस येदियुरप्पा को जब सीएम से हटाकर बी आर बोम्मई को कमान दी गई तो मकसद एंटी इंकंबेंसी फैक्टर को कम करना था. लेकिन चुनावी नतीजों से साफ हो गया कि पार्टी आलाकमान की रणनीति काम नहीं की. वैसे तो बी एस येदियुरप्पा का जिस लिंगायत समाज से नाता है उसी समाज से बोम्मई भी आते हैं. यह बात अलग है कि लिंगायत समाज ने बी आर बोम्मई में वो भरोसा नहीं दिखाया, जबकि येदियुरप्पा पर भले ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों लिंगायत समाज में स्वीकार्यता बरकार रही. अब जब लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं तो बीजेपी आलाकमान को लगा कि लिंगायत समाज के बड़े चेहरे येदियुरप्पा को साध कर रखना बेहद जरूरी है और उसे आप बीजेपी की टॉप बॉडी में उनके चयन के तौर पर भी देख सकते हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी तो कुल 28 लोकसभा सीटों में से 26 सीटों पर जीत मिली थी. लिहाजा पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती.
कर्नाटक में लिंगायत समाज
कर्नाटक में लिंगायत समाज की आबादी 17 फीसद.
उत्तरी कर्नाटक में लिंगायत का असर अधिक
224 विधानसभा सीटों में से 110 से अधिक सीट पर लिंगायत समाज का असर
लिंगायत समाज से 9 सीएम रहे
लिंगायत समाज के करीब 550 मठ
वोक्कालिगा समाज की गणित
वोक्कालिगा समाज का 12 फीसद हिस्सा.
इस समाज से अब तक सात सीएम रहे.
वोक्कलिगा समाज के करीब 125 मठ
मैसूर, हासन, मांड्या, तुमकूर, चिकमंगलूर में असर
जेडीएस के साथ पैक्ट, वोक्कालिंगा पर नजर
बी वाई विजयेंद्र के कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनने के बाद जेडीएस के साथ गठबंधन को ट्रंप कार्ड बताया जा रहा है. अब इसके पीछे की वजह को भी समझना जरूरी है. कर्नाटक में लिंगायत समाज के बाज वोक्कालिंगा दूसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है. अब यदि लिंगायत और वोक्कालिगा दोनों समाज एक मंच पर आ जाएं तो स्वाभाविक है कि कांग्रेस के लिए चुनौती देना आसान नहीं होगा. जेडीएस यानी एच डी देवगौड़ा और उनके बेटे एच डी कुमारस्वामी की स्वीकार्यता वोक्कालिगा समाज में सबसे अधिक है. ऐसा नहीं है कि दूसरे दलों के वोक्कालिगा नेताओं की पकड़ नहीं हैं. लेकिन ये दोनों चेहरे चुनावी तस्वीर को बदलने की क्षमता रखते हैं. 2018 विधानसभा चुनाव, 2019 लोकसभा चुनाव या 2023 विधानसभा चुनाव में जेडीएस को अकेले दम पर कामयाबी नहीं मिली. लेकिन अगर वो किसी के साथ गठबंधन में जाते तो उसका फायदा होता. जेडीएस के नेताओं को लगा कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में उनके लिए बीजेपी के साथ गठबंधन करना ज्यादा फायदेमंद होगा. लिहाजा विचारधारा पर सुविधाजनक से पर्दा ओढ़ा कर वो भगवा दल के साथ हैं.