ब्रिटेन टू बांग्लादेश कैसे बना दंगा प्रदेश? क्या 8000KM दूरी पर बसे देशों में हिंसा का है कोई कनेक्शन
Advertisement
trendingNow12368512

ब्रिटेन टू बांग्लादेश कैसे बना दंगा प्रदेश? क्या 8000KM दूरी पर बसे देशों में हिंसा का है कोई कनेक्शन

Violence in Britain and Bangladesh: दंगों की आग से ब्रिटेन के कई शहर झुलस गए हैं. लेकिन, आखिर ब्रिटेन में दंगों की शुरुआत कैसे हुई? वहीं, दूसरी तरफ 8 हजार किलोमीटर दूर बांग्लादेश में एक बार फिर से कट्टरपंथियों ने फसाद शुरु कर दिया है.

ब्रिटेन टू बांग्लादेश कैसे बना दंगा प्रदेश? क्या 8000KM दूरी पर बसे देशों में हिंसा का है कोई कनेक्शन

Britain to Bangladesh Riot: बड़े बड़े दरख्तों में जब दीमक लग जाती है तो पहले वो अंदर से सड़ते हैं और आखिर में खत्म हो जाते हैं. अगर दरख्तों को बचाना होता है तो दीमक का सही वक्त पर इलाज जरूरी होता है. एक वक्त दुनियाभर में राज करने वाले मजबूत देश ब्रिटेन में कट्टरता की दीमक लग चुकी है और अब दंगों में झुलस रहे ब्रिटेन में अंग्रेज इसके इलाज में जुट गए हैं. दंगों की आग से ब्रिटेन के कई शहर झुलस गए हैं. लेकिन, आखिर ब्रिटेन में दंगों की शुरुआत कैसे हुई? ब्रिटेन के अलावा बांग्लादेश में भी दंगों का सीजन चल रहा है. बांग्लादेश में एक बार फिर से कट्टरपंथियों ने फसाद शुरु कर दिया है. तो चलिए बताते हैं कि 8 हजार किलोमीटर की दूरी पर बसे देशों में क्या दंगों की वजह एक ही है.

जलते ब्रिटेन को देख दुनिया परेशान

जलते ब्रिटेन की तस्वीरों को देखकर दुनिया हैरान और परेशान है. ब्रिटेन में बसना लोगों का सपना हुआ करता है, लेकिन ब्रिटेन की ड्रीम सिटीज अब दंगा सिटी बन गई हैं. कुछ कट्टरपंथी जमातों की वजह से ताकतवर ब्रिटेन की प्रतिष्ठा खाक में मिल गई है. एक नहीं दो नहीं, बल्कि ब्रिटेन के कई शहर दंगों की आग में झुलस रहे हैं. राजधानी लंदन से लेकर, टेक्सटाइल कैपिटल मैनचेस्टर को दंगाईयों ने आग के हवाले कर दिया है. जिस लिवरपूल को आप फुटबॉल क्लब टीम से जानते हैं और जिस लीडस में क्रिकेट मैच होते हैं दोनों ही जगहों पर फिलहाल दंगों का खेल खेला जा रहा है. एक नहीं दो नहीं कमोबेश ब्रिटेन के शहर-शहर की तस्वीर एक सी है.

रात में भी हिंसक प्रदर्शनों को अंजाम दे रही भीड़

लिवरपूल में हिंसा का तांडव रात में भी नहीं थम रहा है और भारी भीड़ देर रात भी हिंसक प्रदर्शनों को अंजाम दे रही है. भीड़ पुलिस पर बमगोले बरसा रही है और सुरक्षाबलों का दस्ता अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर हैं. ब्रिटेन की तस्वीरों को देखकर आपको लगेगा मानो दुनिया का कोई सुपरपावर नहीं, बल्कि थर्ड वर्ल्ड कंट्री है. यही ब्रिटेन एक जमाने में दुनिया के सबसे बड़े इलाके पर हुकूमत करता था. उस समय पूरी दुनिया में इनका डर और दबदबा था, लेकिन आज ये अंग्रेज अपने ही देश में मौजूद कट्टरपंथियों से डरे और घबराए हुए हैं.

ब्रिटेन के कार्डिफ में दंगाइयो ने सड़कों पर मौजूद गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. मंहगी-महंगी कार धधक-धधक कर जल रही हैं, वो भी एक नहीं दो नहीं कई कार आग में जलकर खाक होने की कगार पर हैं. और जो अपनी कार को यहां से बचाकर भागने की कोशिश कर रहे हैं, भीड़ उनकी कार की बोनट पर चढ़ जाती है और कार पर लात घूसे चलाकर शीशे को तोड़ने लगती है. ब्रिटेन के हुल में ऐसा हाल एक नहीं कई दुकानों का किया गया है. कुछ दिन पहले तक जहां बाजार गुलजार थे, वहां धुंए का गुबार आसमान में तैर रहा है, कहीं दुकाने जली नजर आ रही है तो कहीं गाड़ियां जलकर खाक हो चुकी हैं.

दंगों की आग में जल रहा ब्रिटेन

दुनिया में लॉ एंड ऑर्डर की मिसाल माना जाने वाला ब्रिटेन आज दंगों की आग में जल रहा है. ब्रिटेन की मशहूर पुलिस दंगाइयों के सामने बेबस है. पूरी कोशिश के बाद भी कई इलाकों में हालात आउट ऑफ कंट्रोल हैं. ऐसा लग रहा है मानो ये आग अभी तो कुछ शहरों तक सीमित है, लेकिन जल्द ही पूरे ब्रिटेन को अपनी चपेट में ले लेगी. ब्रिटेन की सरकारें भारत और दूसरे देशों को सांप्रदायिक मामलों पर ज्ञान दिया करती थी. आज उसी ब्रिटेन में सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं. ब्रिटेन के मूल निवासी अब कट्टरपंथियों से इतने परेशान हैं कि उन्हें ब्रिटेन से बाहर भेजने के लिए सड़कों पर उतर गए हैं. बाकायदा रैलियां निकाली जा रही हैं, जिसमें इस्लाम विरोधी नारे लग रहे हैं. ब्रिटेन की सड़कों पर एक तरफ जहां अल्लाह हू अकबर की नारेबाजी हो रही है तो दूसरी तरफ से गो बैक पाकी के नारे बुलंद हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अपना घर जला तो ब्रिटेन को आई कानून की याद, कहा- अभिव्यक्ति की आड़ में हिंसा नहीं होने देंगे; अब तक 100 गिरफ्तार

ब्रिटेन में क्यों शुरू हुई हिंसा

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ब्रिटेन में ये बवाल क्यों शुरू हुआ. दरअसल, ब्रिटेन के साउथपोर्ट में 3 बच्चियों की हत्या के बाद अप्रवासियों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन शुरू हुआ. साउथपोर्ट स्थित डांस वर्कशॉप में एक सिरफिरे चाकूबाज ने तीन बच्चियों की चाकू घोंप कर हत्या कर दी, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी. आरोपी रुदाकुबाना पर ही इन तीन बच्चियों की हत्या का आरोप लगा है. 9 वर्षीय एलिस डेसिल्वा अगुइर, 7 वर्षीय एल्सी डॉट स्टैनकॉम्ब और 6 वर्षीय बेबे किंग की हत्या के लिए हत्या का आरोप है. इसके अलावा उस पर  हत्या के प्रयास के 10 मामले भी दर्ज हैं. ब्रिटेन में तीन छोटी बच्चियों की मौत के बाद फैली एक अफवाह ने हिंसा की आग में पेट्रोल डाल दिया, वहां सोशल मीडिया पर अफवाह फैल गई कि संदिग्ध चाकूबाज आरोपी एक मुस्लिम युवक है. इसके बाद ब्रिटेन में स्थानीय अंग्रेज और अप्रवासी इस्लामिक कट्टरपंथियों के बीच झड़प शुरु हो गई.

इसके बावजूद अप्रवासी विरोधी और मुस्लिम विरोधी प्रदर्शनकारी रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं और लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी हैं, जो हिंसक रूप ले चुके हैं. पुलिस ने देश भर में मस्जिदों को अपनी सुरक्षा बढ़ाने की सलाह दी गई है और पुलिस ने अतिरिक्त अधिकारियों के साथ अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है. लेकिन, स्थानीय लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. पुलिस प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश कर रही है तो प्रदर्शनकारियों की भीड़ बेखौफ होकर पुलिस पर ही जूते और सामान फेंक रही है. प्रदर्शनकारियों की एक ही जिद है कि प्रवासी और शरणार्थी मुस्लिमों को देश से बाहर किया जाए और इस मुहिम में  'बस बहुत हो गया', 'हमारे बच्चों को बचाओ' और 'नावों को रोको' जैसे नारे बुलंद हैं. यानी ब्रिटेन में खाई अब दोनों धर्मों के बीच बहुत बढ़ चुकी है, सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर भी ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं.

तो जवाब में प्रवासी और शरणार्थी मुस्लिम भी सड़कों पर उतर चुके हैं, चेहरे पर मास्क के साथ ब्रिटेन की सड़कों पर अल्लाह हू अकबर के नारे बुलंद हैं. तो कहीं मुस्लिम प्रदर्शनकारी हाथों में हथियार लेकर सड़कों पर खुलेआम घूमते नज़र आ रहे हैं. और जहां इनका सामना ब्रिटिश मूल के प्रदर्शनकारियों से हो रहा है वहां ये उन्हें हथौड़े और कुल्हाड़ी के खौफ से दौड़ाने को मजबूर कर रहे हैं.

ब्रिटेन में कितनी है मुस्लिम आबादी?

ब्रिटेन की आबादी में फिलहाल साढ़े 6 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जो पिछले 10 साल के मुकाबले 2 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है. यूरोपीय देशों में पहले से ही मुस्लिम आबादी बढ़ी है और अब फ्रांस की तरह ही ब्रिटेन में भी मुस्लिम समुदाय और मूल निवासियों के बीच तनाव बढ़ गया है. ब्रिटेन में फिलहाल लेबर पार्टी सत्ता में है, जिसकी नीतिया शरणार्थियों के लिए उदारवादी है. लिहाजा ब्रिटेन में शरणार्थियों की संख्या में और इजाफा हो सकता है और दक्षिणपंथी ब्रिटिश लोगों के साथ तकरार और बढ़ सकती है.

ये भी पढ़ें- बांग्लादेश के लिए भारत ने जारी की एडवाइजरी, पड़ोसी देश में रुक नहीं रहा विरोध प्रदर्शन

बांग्लादेश में भी चल रहा दंगों का सीजन

ब्रिटेन के बाद बांग्लादेश में भी दंगों का सीजन चल रहा है. बांग्लादेश में हो रहे प्रदर्शनों में अब तक 100 से ज्यादा स्टूडेंटस मारे जा चुके हैं बांग्लादेश सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की है, लेकिन हालात बहुत चिंताजनक दिख रहे हैं. चंद दिनों की शांति के बाद बांग्लादेश एक बार फिर सुलग उठा हैं और सड़कों पर तनाव है. लगातार पुलिस और पब्लिक में टकराव हो रहा है. ये वही बांग्लादेश है, जहां पिछले कई दिनों से आरक्षण की आग ऐसी भड़की है कि शांत होने का नाम नहीं ले रही है. पड़ोसी मुल्क में शहर-दर-शहर यही हाल है. कहीं पत्थरबाजी, कहीं आगजनी, कहीं विरोध प्रदर्शन चल रहा है.

बांग्लादेश में बड़ी मुश्किल से हिंसा थमी थी और तनाव कम हुआ था, लेकिन शुक्रवार को बांग्लादेश में जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए थे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा शुरू किया था. शनिवार होते होते हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया. रविवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों में झड़प हो गई.

ढाका बन गया है एक युद्ध का मैदान

प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस भी मौके पर तैनात थी. लिहाजा प्रदर्शनकारियों और पुलिस में जमकर टकराव भी हुआ. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों पर वहां की पुलिस ने आंसू गैस और स्टन (STUN) ग्रेनेड्स दागे. पुलिस और आंदोलन करनेवालों के बीच जमकर संघर्ष हुआ. ऐसा लगा मानो ढाका एक युद्ध का मैदान बन गया है.

आपको बता दें कि बांग्लादेश में दोबारा हुए संग्राम में प्रदर्शनकारी उन छात्रों की रिहाई की मांग पर अड़े हुए हैं, जिन्हें आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा में गिरफ्तार कर लिया गया था. इससे पहले बांग्लादेश में शांति स्थापित करने के लिए सरकार ने विरोध करने वाले नेताओं की रिहाई का फरमान सुनाया था, लेकिन सरकार का ये फैसला जनता के गुस्से को शांत करने में विफल रही.

बांग्लादेश में क्यों हो रहा प्रदर्शन?

पिछले महीने छात्रों के विरोध प्रदर्शन की शुरुआत सरकारी नौकरियों के लिए कोटा को खत्म करने की मांग के साथ हुई थी. बांग्लादेश में पिछले दिनों सिविल सेवा नौकरी कोटा के खिलाफ छात्र रैलियों ने पिछले महीने तबाही मचाई. हिंसा के बाद सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, कम से कम 206 लोग मारे गए. साथ ही ये हिंसा ये हिंसा प्रधान मंत्री शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल की सबसे खराब घटनाओं में से एक थी और उनकी सरकार के सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों ने घरेलू स्तर पर व्यापक नफरत पैदा किया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी आलोचना हुई. अब बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत करने वाले छह बड़े नेताओं को रिहा करने के एक दिन बाद ही इन्हीं नेताओं ने लोगों से दोबारा सड़कों पर आने की अपील की है. शेख हसीना ने इस अपील को तख्ता पलट की साजिश करार दिया है.

बांग्लादेश में बड़ी हिंसा की आशंका

बांग्लादेश में आज (5 अगस्त) बड़ी हिंसा की आशंका है. वहां प्रदर्शनकारियों को सीधे ढाका पहुंचने की कॉल दी गई है. यानी सोमवार को ढाका सहित पूरे बांग्लादेश में और खून-खराबा होने की आशंका है. फिलहाल दंगों के वायरस ने ब्रिटेन और बांग्लादेश दोनों को इंफेक्ट कर दिया है. और आशंका है कि कट्टरपंथी ब्रिटेन और बांग्लादेश दोनों को सुलगा देंगे.

Trending news