Chinese Espionage System: ब्रिटिश कोर्ट ने आखिरकार बकिंघम पैलेस में घुसपैठ कर प्रिंस एंड्रयू के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने वाले कथित चीनी जासूस का नाम का खुलासा कर दिया. यूके के प्रधान मंत्री कीर स्टारमर ने कहा, "बेशक, हम चीन की ओर से पेश की जाने वाली चुनौती के बारे में चिंतित हैं." इसके बाद दुनिया भर में चीन के खतरनाक जासूसों की ताकत को लेकर चर्चा तेज हो गई है.
Trending Photos
How Chinese Spy Threat Is Growing: ब्रिटिश कोर्ट ने प्रिंस एंड्रयू के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने वाले और बकिंघम पैलेस तक घुसपैठ करने वाले कथित चीनी जासूस की पहचान जाहिर कर दी है. ब्रिटेन के प्रतिष्ठित संस्थानों के अंदर तक बीजिंग के बढ़ते प्रभावों वाले मामले में नया मोड़ आ गया है. ब्रिटिश की स्थानीय मीडिया ने सोमवार को बताया कि पहले एच-6 के नाम से मशहूर यांग टेंगबो नामक व्यक्ति की पहचान सामने आ गई.
कौन है ब्रिटिश राजघराने में घुसपैठ करने वाला कथित चीनी जासूस?
हालांकि, ब्रिटिश कोर्ट में एक जज ने फैसला सुनाया था कि उसकी पहचान गुप्त रखी जानी चाहिए. कथित चीनी जासूस यांग टेंगबो को क्रिस यांग के नाम से भी जाना जाता है. पिछले सप्ताह एक अलग अदालती सुनवाई में उसे किंग चार्ल्स के छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू के साथ "असामान्य स्तर का विश्वास कायम" करने वाला शख्स बताया गया था. पिच एट पैलेस चाइना के सह-संस्थापक यांग टेंगबो ने चीन में उद्यमियों के लिए एक पहल का विस्तार किया. इसे 2014 में एंड्रयू ने स्थापित किया था.
यांग टेंगबो की प्रिंस एंड्रयू के साथ तस्वीर और वीडियो वायरल
एक ब्रिटिश कोर्ट ने गुरुवार को यांग को यूके से प्रतिबंधित करने के पहले के फैसले को बरकरार रखा. कोर्ट को यह पता चला कि उसे यूके में संभावित चीनी निवेशकों के साथ व्यापारिक बैठकों के दौरान एंड्रयू की ओर से कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया था. साथ ही उसे 2020 में एंड्रयू की 60वीं जन्मदिन की पार्टी में आमंत्रित किया गया था. पिच एट पैलेस कार्यक्रमों के दौरान यांग प्रिंस एंड्रयू के साथ तस्वीरों और वीडियो में दिखाई भी दिया था.
चीनी 'जासूस' ने झाड़ा पल्ला, कुछ गलत नहीं करने का दावा
यांग टेंगबो ने एक बयान में कहा कि उसने "कुछ भी गलत या गैरकानूनी नहीं किया है," और "उसके बारे में 'जासूस' के रूप में बताया जाना पूरी तरह से झूठ है." वहीं, प्रिंस एंड्रयू के ऑफिस ने पिछले सप्ताह कहा कि सरकारी सलाह मिलने के बाद उन्होंने यांग के साथ अपने संबंध समाप्त कर लिए. उनके ऑफिस ने कहा, "ड्यूक ने आधिकारिक चैनलों के माध्यम से यांग से मुलाकात की, जिसमें कभी भी संवेदनशील प्रकृति की कोई चर्चा नहीं हुई. वह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर आगे टिप्पणी करने में असमर्थ हैं."
एंड्रयू ने संबंध तोड़े, कैमरुन और थेरेसा का संपर्क से इनकार
इस मामले ने एक बार फिर एंड्रयू के फैसले और संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनकी शाही परिवार में भूमिका तब से कम हो गई है, जब से पांच साल पहले दोषी पीडोफाइल जेफरी एपस्टीन के साथ उनकी दोस्ती सामने आई थी. लेकिन हाल के वर्षों में वेस्टमिंस्टर में ब्रिटेन की राजनीति और संस्थानों में चीन के प्रभाव को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है. हालिया मामला बीजिंग के जासूसों द्वारा ब्रिटेन में कथित घुसपैठ का सबसे नया उदाहरण है. ब्रिटेन के पूर्व पीएम डेविड कैमरुन और थेरेसा ने भी ऐसे किसी जासूस के बारे में कोई भी जानकारी होने से साफ इंकार किया है.
ब्रिटेन की राजनीति को प्रभावित करने की ड्रैगन की कोशिश
इससे पहले 2023 में ब्रिटिश संसद की खुफिया और सुरक्षा समिति ने एक रिपोर्ट जारी की थी. उसमें बताया गया था कि चीन ब्रिटेन की राजनीतिक प्रणाली में लोगों को लक्षित करने और उन्हें प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था. यांग टेंगबो पर चीन के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट (UFWD) के लिए काम करने का आरोप है, जो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की एक शाखा है और उसका काम देश और विदेश दोनों जगह प्रभाव हासिल करना है.
दूसरे देशों में क्या काम करते हैं चीनी जासूस? क्या है मकसद
रिपोर्ट में UFWD के बारे में बताया गया है - जो "यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि विदेशी राज्यों में राजनेता और हाई-प्रोफाइल हस्तियां CCP का समर्थन करें, या कम से कम चीन की आलोचना न करें या उसके कथन का विरोध न करें." इसके साथ ही यांग उन लोगों की बढ़ती संख्या में शामिल हो गया है, जिस पर ब्रिटेन के संस्थानों में चीन की ओर से जासूसी करने का आरोप लगाया गया है.
चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने की ब्रिटिश कार्रवाई की जमकर निंदा
चीनी दूतावास के प्रवक्ता द्वारा ऑनलाइन पब्लिश एक बयान में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति "ब्रिटेन के मुट्ठी भर सांसदों द्वारा किए गए चीन विरोधी शोर" को रेखांकित करती है, जिन्होंने "चीन के प्रति अपनी विकृत मानसिकता को पूरी तरह से उजागर करने के अलावा कुछ नहीं किया." बयान में कहा गया है, "वास्तव में वे चीन को बदनाम करना चाहते हैं, ब्रिटेन में चीनी समुदाय को निशाना बनाना चाहते हैं और चीन और ब्रिटेन के बीच सामान्य कर्मियों के आदान-प्रदान को कमजोर करना चाहते हैं. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं."
ब्रिटेन में सामने आए थे दो चीनी जासूस, सियासी दखल की कोशिश
इससे पहले एक संसदीय शोध करने वाला भी चीन की ओर से आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोप के बाद मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहा है. हालांकि वो आरोपों को अस्वीकार करता है. इसके अलावा, साल 2022 में MI5 जासूसी एजेंसी ने सांसदों को चेतावनी दी थी कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी एक महिला क्रिस्टीन ली ब्रिटेन की राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के लिए काम कर रही थी.
हाउस ऑफ कॉमन्स में उठा मुद्दा, ब्रिटिश पीएम स्टार्मर परेशान
कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व नेता इयान डंकन स्मिथ ने हाउस ऑफ कॉमन्स में एक जरूरी सवाल में इस घटना को उठाया. उन्होंने बताया कि यह मामला "आइसवर्ग का महज एक सिरा" है. उन्होंने कहा, "वास्तविकता यह है कि इस तरह की जासूसी में कई और लोग शामिल हैं." वहीं, यूके के प्रधान मंत्री कीर स्टारमर ने कहा, "बेशक हम चीन द्वारा पेश की जाने वाली चुनौती के बारे में चिंतित हैं." हालांकि, ब्रिटिश पीएम स्टार्मर अकेले राजनेता नहीं हैं, जो चीनी जासूसों की बढ़ती घुसपैठ से परेशान हैं.
अमेरिका ने चीन के जासूसों पर जारी की दो दशकों की सर्वे रिपोर्ट
चीन के जासूसों ने अमेरिका समेत पश्चिम के कई देशों और मालदीव-श्रीलंका समेत एशिया के तमाम देशों की चिंता बढ़ाई हुई है. अमेरिका ने 'वर्ष 2000 से संयुक्त राज्य अमेरिका में चीनी जासूसी का सर्वेक्षण' नाम से एक विस्तृत रिपोर्ट जारी कर सिलसिलेवार ठंग से दो दशकों की घटनाओं के बारे में बताया है. वहीं, हाल ही में मालदीव और श्रीलंका में चीनी जासूसी वॉरशिप जियांग यांग हॉन्ग-3 देखे जाने के बाद भारत ने उस पर चिंता जताई थी. इसके अलावा, दुनिया के कई और देशों ने भी आसमान में उड़ते चीनी जासूसी गुब्बारे को निशाना बनाया था.
चीन के जासूसों पर फोकस कर रही पश्चिमी देशों की जासूसी एजेंसियां
पश्चिमी देशों की जासूसी एजेंसियां लगातार चीन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरतों पर जोर दे रही हैं. चीन के लिए जासूसी और हैकिंग के आरोप में पश्चिम के कई देशों में एक के बाद एक गिरफ्तारियां हुई हैं. अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों में चीन के राजदूत को तलब किया जा चुका है. हालांकि, बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और पश्चिम के उसके सहयोगियों ने काफी समय तक चीन की चुनौती को बहुत गंभीरता से नहीं लिया लेकिन अब ये बीजिंग की जासूसी के प्रति अधिक संवेदनशील हुए हैं. आइए, जानते हैं कि चीन के जासूसों की ताकत क्या है?
रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध के बाद चीन की जासूसी में तेजी
रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध के बाद दुनिया भर में चीन की जासूसी में तेजी आई है. जबकि चीनी खुफिया एजेंसी 2000 के दशक से ही औद्योगिक जासूसी में लगी हुई थी. पश्चिमी कंपनियां चीन के बाजारों में अपने कारोबार को देखकर आम तौर पर इस मामले में चुप रहती थीं. इसके अलावा चीन पश्चिमी देशों से अलग ढंग से जासूसी करता है. इसलिए उसकी एक्टिविटी को पहचानना और उसका सामना करना पेचीदा हो जाता है. चीनी जासूसों की प्राथमिकताएं अलग होती हैं. बीजिंग के जासूस पश्चिमी तकनीक हासिल करने को सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों के रूप में देखते हैं.
ये भी पढ़ें - पाकिस्तान में आज भी क्यों है 1970 के सेक्स स्कैंडल का इतना खौफ, जिसमें गई थी 40 साल के शायर की जान?
चीन में खुफिया और सुरक्षा के मोर्चे पर काम करते हैं 6,00,000 जासूस
दुनिया भर के खुफिया संगठनों और अधिकारियों का अनुमान है कि चीन में करीब 6,00,000 जासूस खुफिया और सुरक्षा के मोर्चे पर काम करते हैं. यह दुनिया के किसी भी दूसरे देशों की तुलना में बहुत ज्यादा है. ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई5 केन मैक्कलम के अनुसार, चीन के जासूसों ने लिंक्डइन जैसी नेटवर्किंग साइटों पर अकेले ब्रिटेन में 20,000 से अधिक लोगों से संपर्क किया है. ब्रिटेन, बेल्जियम और जर्मनी में गिरफ्तारियों और कनाडा में चल रही जांच के साथ चीनी जासूसों द्वारा पश्चिमी राजनीति को निशाना बनाने की खबरें आती हैं.
ये भी पढ़ें - 16 December: बांग्लादेश बनने से किसको दिक्कत, 1971 युद्ध में कौन था पाकिस्तान का मददगार? US आर्काइव ने खोले कितने राज
स्थानीय सिविल एजेंट, खुद की तकनीक और दूर बैठकर काम की रणनीति
ऐसी ही खबरें श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव, पाकिस्तान वगैरह एशियाई देशों से भी आई हैं. यूरोप और अमेरिका में चीनी विदेशी पुलिस स्टेशनों की रिपोर्टें आई हैं. बीजिंग के खुफिया अधिकारी आमतौर पर जमीन पर जासूसों का शारीरिक रूप से उपयोग करने के बजाय दूर से बैठकर काम करते हैं. चीन के जासूस ज्यादातर मामले में स्थानीय एजेंट या सिविल लोगों का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही, चीन पश्चिमी तकनीक के बजाय खुद की तकनीक का उपयोग करता है. इसके चलते चीन पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करना एमआई6 और सीआईए जैसी पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!