Explainer: इधर शेयर बेचा...उधर अकाउंट में पैसा, क्‍या है T+0 ट्रेड और इसे लागू करने के चैलेंज
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Explainer: इधर शेयर बेचा...उधर अकाउंट में पैसा, क्‍या है T+0 ट्रेड और इसे लागू करने के चैलेंज

T+1 Settlement System: शेयरों के लेनदेन के प्रोसेस को ट्रेड सेटलमेंट कहते हैं, इसमें खरीदार खरीदे गए शेयरों का पैसा चुकाता है और बेचने वाला बेचे गए शेयरों को सौंप देता है. ट्रेड सेटलमेंट साइकल वो द‍िन होते हैं जो शेयर खरीदने के दिन और पेमेंट होने के दिन के बीच का समय होता है.

Explainer: इधर शेयर बेचा...उधर अकाउंट में पैसा, क्‍या है T+0 ट्रेड और इसे लागू करने के चैलेंज

What is T+0 Settlement System: शेयर बाजार में ट्रेड‍िंग करने वालों के ल‍िए इस महीने के अंत तक बड़ा बदलाव हो सकता है. इसके बाद शेयर की खरीद-फरोख्‍त करने का तरीका ही बदल जाएगा. मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) 28 मार्च से टी+0 (T+0) वाला स‍िस्‍टम लागू करने जा रही है. इससे लेन-देन में मौजूदा समय के मुकाबले कम टाइम लगेगा. इस स‍िस्‍टम की खूब‍ियों के साथ कुछ खाम‍ियां भी हैं. इस बारे में हम आपके साथ आगे व‍िस्‍तार से बात करेंगे. सेबी की तरफ से लाए जा रहे स‍िस्‍टम को 'T+0 सेटलमेंट' कहा जाता है. इससे शेयर की खरीद और बि‍क्री के समय में कमी आएगी. आइए जानते हैं इसके बारे में व‍िस्‍तार से-

मालिकाना हक बदलने में दो वर्क‍िंग डे का टाइम

शेयरों के लेनदेन के पूरे प्रोसेस को ट्रेड सेटलमेंट कहते हैं. इसमें खरीदार खरीदे गए शेयरों का पैसा चुकाता है और बेचने वाला बेचे गए शेयरों को सौंप देता है. ट्रेड सेटलमेंट साइकल उन द‍िनों की संख्‍या है, जो शेयर खरीदने के दिन और पेमेंट होने के दिन के बीच का समय होता है. हालांक‍ि यह न‍ियम अलग-अलग शेयर मार्केट के ह‍िसाब से बदल जाता है. ज्यादातर बड़े शेयर मार्केट में लेनदेन का टाइम T+2 होता है. यानी शेयर खरीदने के बाद पेमेंट और शेयर्स का मालिकाना हक बदलने में दो वर्क‍िंग डे का टाइम लगता है.

भारतीय शेयर बाजार में T+1 का स‍िस्‍टम
भारतीय शेयर बाजार में अभी T+1 का स‍िस्‍टम लागू है. यानी यहां पर T+1 (ट्रेडिंग+एक दिन) का सेटलमेंट स‍िस्‍टम लागू है. जबक‍ि दुन‍ियाभर के बड़े शेयर बाजार में स‍िस्‍टम T+2 वाला है. यहां पर शेयर की खरीद और ब‍िक्री के बाद सौदों का निपटान दो द‍िन में होता है. सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा क‍ि शेयरों की खरीद-ब‍िक्री के बाद क्‍व‍िक डील सेटलमेंट (Quick Deal Settlement) का स‍िस्‍टम 28 मार्च से लागू कर द‍िया जाएगा. अभी यह व्‍यवस्‍था केवल चीन में है.

T+1 सेटलमेंट स‍िस्‍टम कब हुआ लागू
यद‍ि किसी व्यापारी ने सोमवार (ट्रेड की तारीख) को शेयर खरीदने या बेचने के ल‍िए लेनदेन किया. ऐसे में T+1 सेटलमेंट सिस्टम में पेमेंट और शेयरों का मालिकाना हक मंगलवार को म‍िलेगा. लेक‍िन ज‍िन बाजार में यद‍ि T+2 का सेटलमेंट सिस्टम लागू है तो उनका पेमेंट और शेयरों की ओनरश‍िप बदलने का काम बुधवार (दो वर्क‍िंग डे के बाद) होगा. आपको बता दें T+1 वाला स‍िस्‍टम 27 जनवरी, 2023 को लागू क‍िया गया था. इससे पहले भारत में भी T+2 सेटलमेंट था. 1994 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की शुरुआत से पहले BSE में दो हफ्ते में एक बार सेटलमेंट का प्रोसेस होता था.

शॉर्ट सेटलमेंट क्‍यों अच्‍छा
शेयर बाजार में ट्रेड के ज‍ितने कम से कम समय में सेटलमेंट या जितने कम समय में पैसा और शेयर इधर-उधर हो रहा है, उतना ही कम र‍िस्‍क रहता है. उदाहरण के ल‍िए आपने सोमवार को शेयर खरीदे और बुधवार को पेमेंट किया तो इस बीच मंगलवार को कुछ हो गया और वो कंपनी दिवालिया हो जाती है. ऐसी स्थिति में आपका पेमेंट फंस सकता है. T+1 सेटलमेंट साइकल में यह र‍िस्‍क कम हो जाता है और पेमेंट भी जल्दी हो जाता है.

T+0 सेटलमेंट क्‍या है?
T+0 सेटलमेंट का सीधा सा मतलब है क‍ि आपके शेयर खरीदने या बेचने का लेनदेन उसी दिन पूरा हो जाने से है. यानी इस सिस्टम में क‍िसी तरह की देरी नहीं होती. आपने जिस दिन शेयर खरीदे, उसी दिन आपको पेमेंट कर देंगे और उसी दिन शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएंगे. इसी तरह, आपने जिस दिन शेयर बेचे, आपको उसी द‍िन पेमेंट म‍िल जाएगा. अब सेबी इसे 28 मार्च से लागू करने की तैयारी कर रहा है. सेबी चेयरमैन माधबी पुरी बुच ने कल ही इस बारे में जानकारी दी है. यह विकल्प भी होगा आप T+0 या T+1 में से क‍िसी भी ऑप्‍शन को सेटलमेंट के ल‍िए स‍िलेक्‍ट कर सकते हैं.

क्‍या हर ट्रेड T+0 के ह‍िसाब से सेटल होगा?
सेबी को उम्‍मीद है क‍ि T+0 सेटलमेंट स‍िस्‍टम से शेयर बाजार में लेनदेन और तेज हो जाएगा. लेक‍िन हर ट्रेड T+0 के ह‍िसाब से सेटल होगा यह जरूरी नहीं है क्‍योंक‍ि यह सुविधा T+1 सेटलमेंट से अलग होगी. यानी बाजार में दो तरह के सेटलमेंट प्रोसेस होंगे. आप अपनी पसंद के अनुसार T+1 या T+0 सेटलमेंट प्रोसेस को स‍िलेक्‍ट कर सकते हैं.

नए स‍िस्‍टम की चुनौत‍ियां?
T+0 सेटलमेंट स‍िस्‍टम को लागू करने में कुछ चुनौतियां हैं भी हैं. इसे लागू करने के ल‍िए पूरे इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर स‍िस्‍टम में बदलाव करना होगा. यह काफी खर्चीला हो सकता है. दूसरा यह क‍ि छोटे निवेशकों और कंपनियों के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं. उन्हें अपने पेमेंट को जल्दी से निपटाना होगा ताकि समय पर लेन-देन हो सके. इस स‍िस्‍टम के लागू होने के बाद शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा होने की उम्‍मीद है.  सकता है, खासकर तब जब बहुत ज्यादा लेन-देन हो रहा हो.

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