Bihar News in Hindi: बिहार में बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनी रहेगी या फिर तेजस्वी यादव की असली खेला वाली बात सच साबित होने जा रही है. इस पर अगले कुछ दिनों में बड़ा अपडेट सामने आ सकता है.
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Bihar Politics Update: बिहार के सीएम नीतीश कुमार के यूटर्न और बीजेपी के साथ मिलकर फिर से सरकार बनाने के बाद अब स्पीकर को लेकर तकरार शुरू हो गई है. जेडीयू-आरजेडी गठबंधन सरकार के दौरान आरजेडी से जुड़े विधायक अवध बिहार चौधरी को असेंबली का स्पीकर बनाया गया था. हालांकि अब राज्य में जेडीयू- बीजेपी की सरकार बन चुकी है और वह सदन में अपना खुद का स्पीकर बनाना चाहती है लेकिन अवध बिहारी चौधरी ने स्पीकर पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है.
नियमावली के हिसाब से चलाएंगे सदन
असेंबली में बुधवार को आयोजित विभिन्न समितियों की बैठक के बाद स्पीकर ने कहा कि विधानसभा नियमावली के हिसाब से वे ही सदन चलाएंगे. उससे ना दायें और न ही बायें जाएंगे. इस्तीफे के सवाल पर अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि वे नियम के हिसाब से चलने वाले हैं और नियम के मुताबिक ही चलेंगे. विधानसभा नियमावली के तहत जो प्रक्रिया होगी, उसी का वे पालन करेंगे. स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने कहा, उन्हें 6 फरवरी को जानकारी मिली है कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. अब इस पर फैसला विधायक करेंगे.
उन्होंने कहा कि विधानसभा में कार्य संचालन के लिए नियमावली बनी हुई है. इसके मुताबिक किसी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ कोई सदस्य अविश्वास प्रस्ताव का संकल्प देता है तो नियमानुसार उसे 14 दिन पहले नोटिस देना होता है. यानी वे तब तक अध्यक्ष बने रहेंगे जब तक कि उनके पक्ष - विपक्ष में मतदान नहीं हो जाता.
डिप्टी स्पीकर ने किया पलटवार
स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के बयान पर डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में सबसे सर्वोच्च पद स्पीकर का होता है. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने पर यह अनुमान था कि वे खुद इस्तीफा दे देंगे. अवध बिहारी चौधरी एक समाजवादी विचारधारा के नेता रहे हैं, लेकिन इस्तीफा नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण है.
सदन के उपाध्यक्ष ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के बाद भी इस्तीफा नहीं देना जाहिर करता है कि उन पर दबाव बनाया जा रहा है. ऐसा वे अपने मन से नहीं आलाकमान के दिशा-निर्देश पर कर रहे हैं. महेश्वर हजारी ने कहा कि बिहार विधानसभा के नियमावली 179 में स्पष्ट तौर पर इस बात का जिक्र किया गया है कि विधानसभा के अध्यक्ष हो या उपाध्यक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया हो तो वे आसन पर नहीं बैठ सकते. पिछले विधानसभा में इस परिपाटी में थोड़ा बदलाव हुआ था. इस आधार पर वे बहुत ज्यादा कर सकते हैं तो शुरुआत में आसन पर बैठ सकते हैं. अपनी बातों को रख कर उन्हें आसन छोड़ना पड़ेगा.
राज्यपाल करेंगे सदन को संबोधित
दरअसल, इस बार के विधान सभा के बजट सत्र के प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत पहले दिन राज्यपाल जॉइंट सेशन में सदन को संबोधित करेंगे. इसके बाद अध्यक्ष अवध बिहारी चेयर संभालेंगे और अपनी बातों को रखेंगे. इसके बाद उन्हें अपना आसन छोड़कर जाना होगा क्योंकि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 28 जनवरी को ही दिया गया है क्योंकि उन्हीं के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा, लिहाजा नियमानुसार उन्हें हर हालत में आसन छोड़ना होगा.
बता दें कि सत्ताधारी दल NDA ने 128 विधायकों के हस्ताक्षर किए कागज राजभवन को सौंपा है. इसके बाद राज्यपाल ने सरकार बनाने का आमंत्रण NDA को दिया गया और फिर सरकार बनी. अविश्वास प्रस्ताव की जानकारी 6 फरवरी को मिलने के सवाल पर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि किसी भी जगह सबसे पहले वहां के सचिव को इसकी जानकारी दी जाती है.
स्पीकर को छोड़ना पड़ सकता है पद
विधानसभा अध्यक्ष के सचिव को भी इसकी जानकारी 28 जनवरी को ही NDA विधायकों ने दे दी थी. विधान सभा सचिव ने अपनी तरफ से स्पीकर अवध बिहारी चौधरी को इस बात से अवगत करा दिया था. लेकिन विधान सभा में टकराव की स्थिति बनने पर विधायक ही सर्वोपरि होते हैं और वही इसमें वोटिंग करते हैं. सत्ताधारी दल के पास 128 विधायकों की संख्या है और इस कारण स्पीकर को पद छोड़ना होगा.
स्पीकर को लेकर NDA के सदस्य पहले से आशंकित थे, लिहाजा मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ के बाद पहला निशाना स्पीकर ही रहे. विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ बीजेपी के नंदकिशोर यादव ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को थमा दिया. नोटिस में कहा गया है कि नई सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर इस सभा का विश्वास नहीं रह गया है.
AIMIM किसी गठबंधन के साथ नहीं
इस नोटिस पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हम (से), पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद (भाजपा), जदयू के विनय कुमार चौधरी, रत्नेश सदा समेत कई विधायकों के भी हस्ताक्षर है. विधान सभा में सदस्यों की संख्या को देखें तो सत्ता पक्ष को 128 तो विपक्षी महागठबंधन को 114 विधायकों का समर्थन हासिल है. AIMIM के विधायक अख्तरुल ईमान किसी गठबंधन के साथ नहीं हैं. जबकि स्पीकर अवध बिहारी चौधरी RJD के विधायक हैं.
नियमानुसार चूंकि स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए 14 दिन का समय देना होता है इसीलिए इसमें देरी नहीं हो इसलिए बगैर देरी किए शपथ ग्रहण के बाद ही अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास का नोटिस विधानसभा सचिव को दे दिया गया. महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने NDA में शामिल होकर नई सरकार बना ली.
'असली खेला अभी बाकी है'
इस पर CM नीतीश के डिप्टी रहे तेजस्वी यादव ने कहा कि असली खेला अभी बाकी है. वे जो कहते हैं, वे करते हैं. तेजस्वी के इसी बयान के बाद माना जाने लगा कि स्पीकर को लेकर आरजेडी खेमा खेल कर सकता है. इसी वजह से अब विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी का रोल अहम हो गया है. चौधरी आरजेडी के विधायक हैं और लालू यादव के खास माने जाते हैं. उधर NDA चाहता है कि स्पीकर अवध बिहारी से बगैर विवाद इस्तीफा ले लिया जाए. लेकिन, कहा जा रहा है कि अवध बिहारी खुद से इस्तीफा देने को तैयार नहीं हैं. इस स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव लाकर ही उन्हें हटाया जा सकता है.
नियम के मुताबिक़ विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना होता है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत स्पीकर को 14 दिन पहले कोई सदस्य नोटिस देगा और कम से कम 38 सदस्य खड़े होकर कहेंगे कि अविश्वास प्रस्ताव का मोशन सही है. मौजूदा राजनीतिक परिपेक्ष्य में अवध बिहारी चौधरी यही खेल कर सकते हैं कि यदि JDU या BJP के विधायक उन्हें अपना इस्तीफा लिखकर दें तो वह उसे स्वीकार कर लेंगे. ऐसे में तेजस्वी यादव के पास सब मिलकर 115 विधायकों की ताकत है.
14 विधायकों का इस्तीफा करवाने की योजना
तेजस्वी, जेडीयू और बीजेपी को मिलाकर 14 विधायकों का इस्तीफा अध्यक्ष के पास भिजवाकर मंजूर करा देते हैं तो विधानसभा की स्ट्रैंथ 243 से घटकर 229 हो जाएगी. इसके बाद तेजस्वी बहुमत में आ सकते हैं. लेकिन ऐसे समीकरण बनेंगे, इसकी संभावना बेहद कम हैं.
विधानसभा अध्यक्ष यदि स्वत: इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्हें हटाने के लिए फ्लोर टेस्ट होगा. उस समय सदन का संचालन उपाध्यक्ष करेंगे. नियम है कि अविश्वास के नोटिस का समाधान होने तक स्पीकर आसन पर नहीं बैठ सकता. सत्र के दौरान तेजस्वी बीजेपी और जदयू के कुछ विधायकों को अनुपस्थित करवाने का खेल करने में लगे हैं ताकि ऐसा करके अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव गिराया जा सके. हालांकि, ऐसे समीकरण दिख नहीं रहे हैं.
चौकस हैं बीजेपी और जेडीयू
तेजस्वी के सभी खेल को ध्यान में रखकर बीजेपी और जेडीयू सतर्क है. NDA की सतर्कता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ के बाद पहला निशाना स्पीकर ही रहे. विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ बीजेपी के नंदकिशोर यादव ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिव को थमा दिया. नोटिस में कहा गया है कि नई सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर इस सभा का विश्वास नहीं रह गया है.
चूंकि अविश्वास प्रस्ताव के बाद स्पीकर को 14 दिन का समय देना होता है, लिहाजा बगैर देरी किए शपथ ग्रहण के बाद ही अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास का नोटिस विधानसभा सचिव को दे दिया गया. यह नोटिस भाजपा विधायक नंदकिशोर यादव ने दिया.
आपको बता दें की सत्ता परिवर्तन से पहले 5 फरवरी से सत्र आहूत किया गया था जिसे बढ़ाया गया है. ऐसा इसलिए कि वर्तमान स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया गया और नोटिस और सत्र के बीच 14 दिनों का गैप जरूरी है. ऐसे में सत्र 12 फरवरी से ही सत्र आहूत होने की संभावना बनी थी
शह-मात के खेल किसकी होगी जीत?
जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की तरफ यानी दोनों ओर से भरपूर कोशिशें जारी हैं एक-दूसरी की पार्टी को तोड़ने की. अगर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव विधान सभा अध्यक्ष के जरिए खेल करने में सफल हो जाते हैं तो फिर बिहार में तो वर्ष 2000 वाला इतिहास दोहराया जा सकता है, जब नीतीश को इस्तीफा देना पड़ा था.
एक तरफ तेजस्वी यादव हर दांव खेलने को तैयार हैं, दूसरी तरफ बीजेपी और जेडीयू भी इस ताक में है कि आरजेडी को कैसे कमजोर किया जाए. लालू परिवार सीबीआई और ईडी की जद में है. वह राजनीति में कितना दिमाग लगा पाएगा यह भी चैलेंज है, लेकिन अगर विधानसभा अध्यक्ष के सवाल पर नीतीश को इस्तीफे की नौबत आती है तो बीजेपी बिहार में राष्ट्रपति शासन लगवा सकती है. जेडीयू-बीजेपी अलर्ट मोड में हैं कि उनका एक भी विधायक न टूटे.