Lalan Singh: 24 घंटे के अंदर नीतीश के लिए क्यों बढ़ी ललन सिंह की जरूरत, RJD के बाद BJP से गठबंधन में क्या होगी भूमिका
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Lalan Singh: 24 घंटे के अंदर नीतीश के लिए क्यों बढ़ी ललन सिंह की जरूरत, RJD के बाद BJP से गठबंधन में क्या होगी भूमिका

Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार और पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह के बीच 24 घंटे के अंदर बदले समीकरण ने सबका ध्यान खींचा है. गुरुवार (25 जनवरी) को सीएम हाउस पर हाई प्रोफाइल मीटिंग में ललन सिंह पूरे समय नीतीश कुमार के साथ रहे.

Lalan Singh: 24 घंटे के अंदर नीतीश के लिए क्यों बढ़ी ललन सिंह की जरूरत, RJD के बाद BJP से गठबंधन में क्या होगी भूमिका

Nitish Kumar- Lalan Singh: कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती पर आयोजित जनसभा में बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पूर्व अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का नाम नहीं लेकर सबका ध्यान खींचा था. वहीं, 24 घंटे के भीतर सीएम हाउस में पार्टी की हाई प्रोफाइल बैठक में पूरे दिन उनके साथ राय-मशविरा कर दोबारा सियासी जानकारों को चौंका दिया है. बिहार की मौजूदा सियासी हलचल को लेकर कोई बयान नहीं देने के बावजूद ललन सिंह पर सबकी निगाहें हैं.

राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ करीबी को लेकर सुर्खियों में रहे ललन सिंह

राजद के साथ दोबारा गठबंधन के लिए नीतीश कुमार ने कई बार ललन सिंह को क्रेडिट दिया था. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से जब ललन सिंह को हटाकर नीतीश कुमार ने पूरी कमान खुद अपने हाथों में ली थी तब भी कहा जा रहा था कि राजद सुप्रीमो ललन सिंह से उनकी नजदीकियों को देखकर यह फैसला किया गया है. हालांकि, दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस्तीफा देते वक्त ललन सिंह ने कहा था कि वह मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए समय निकालना चाहते हैं. इसलिए वह खुद काफी समय से नीतीश कुमार से अध्यक्ष पद से मुक्त करने की मांग कर रहे थे.

मंच पर पास में ही बैठे ललन सिंह का नाम लेना भूल गए थे सीएम नीतीश कुमार

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जदयू की ओर से आयोजित कर्पूरी ठाकुर जन्मशती रैली में नीतीश कुमार और ललन सिंह के बीच बदलते समीकरण की झलक दिखी. सीएम नीतीश कुमार ने पार्टी के 22 नेताओं का नाम लिया, दो विधायक का भी जिक्र किया, लेकिन मंच पर पास में ही बैठे पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह को भुला दिया. वहीं, एक दिन के बाद ही मुख्यमंत्री आवास में जदयू की हाई प्रोफाइल मीटिंग में दोनों नेता पूरे समय गंभीर चर्चा में व्यस्त दिखे.

अपने सामने ललन सिंह- अशोक चौधरी की कहासुनी के बावजूद खामोश रहे थे नीतीश

ललन सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा से पहले बिहार में विपक्षी पार्टी भाजपा ने दावा किया था कि राजद सु्प्रीमो लालू यादव से नजदीकी और तेजस्वी यादव को जल्दी सीएम बनाने की कोशिशों की वजह से नीतीश कुमार ने उन्हें हटा दिया. वहीं, सीएम नीतीश कुमार के सामने ललन सिंह की अशोक चौधरी से कहासुनी समेत पार्टी के दूसरे नेताओं से नाराजगी भी उन्हें हटाने की वजह बताई जा रही थी. वहीं, अब सियासी मुश्किलों के बीच एक बार फिर नीतीश कुमार के लिए ललन सिंह की अहमियत बढ़ जाने की बात कही जा रही है.

राजद से मिलकर जदयू के कई नेता कर रहे थे नीतीश के खिलाफ साजिश, भाजपा का दावा

बिहार में चल रहे राजनीतिक उठापटक से पहले भाजपा नेताओं ने दावा किया था कि एक-डेढ़ महीना पहले ही जदयू के तोड़ने की बात चल रही थी. नीतीश कुमार तब से ही भाजपा के साथ वापस आने का रास्ता तलाश रहे थे. पहले इशारों में फिर नाम लेकर ललन सिंह पर नीतीश कुमार के खिलाफ लालू परिवार का साथ देने का आरोप लगाया जा रहा था. भाजपा नेताओं ने कहा था कि नीतीश कुमार को सीएम पद से हटाने की साजिश में राजद के साथ जदयू के भी कई नेता थे. 

एक महीने में ललन सिंह पर लगे कई आरोप, नाजुक मौके पर नीतीश ने फिर ली सियासी राय 

विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में पुरजोर तरीके से नीतीश कुमार की पैरवी नहीं कर पाने को भी तत्कालीन जदयू अध्यक्ष ललन सिंह की कमी कहा जा रहा था. जदयू के 12 से ज्यादा विधायक तोड़कर राजद की सरकार बनाने की चर्चा के बाद नीतीश कुमार सक्रिय हो गए थे. माना जा रहा था कि अपने साथ के लोगों को धोखा देते देखकर ही सीएम नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी और सरकार में सख्त कदम उठाए. हालांकि, महागठबंधन टूटने के आखिरी दौर में नीतीश फिर से ललन सिंह की राय लेते दिखे.

अलायंस इंजीनियरिंग के लिए मशहूर ललन सिंह की चुनाव के दौरान होगी बड़ी भूमिका

बिहार की राजनीति में ललन सिंह को सभी दलों और उनके नेताओं से अच्छे संपर्क के लिए जाना जाता है. समता पार्टी और जदयू, जदयू-भाजपा, जदयू-राजद-कांग्रेस-लेफ्ट और फिर जदयू-भाजपा गठबंधन में भी ललन सिंह हमेशा नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी रहे हैं. अलायंस इंजीनियरिंग के लिए मशहूर ललन सिंह को जदयू की एनडीए में वापसी के बाद पॉलिटिकल बारगेनिंग की बड़ी भूमिका मिल सकती है. इसमें लोकसभा चुनाव 2024 और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीटों के बंटवारा और जीतने पर सरकार में सम्मानजनक हिस्सेदारी बड़ी चुनौती हो सकती है. 

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