NCP Political Crisis: पवार फैमिली के दो युवा चेहरे सियासी पिच पर उतर सकते हैं. पार्टी पर हक की सुनवाई के लिए खुद पहुंचकर दोनों ने इस तरफ इशारा भी कर दिया है. जानिए महाराष्ट्र की सियासत में किन दो नए चेहरों की चर्चा जोरों पर है.
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Revati Sule Vs Parth Pawar: महाराष्ट्र में एनसीपी (NCP) पर हक की लड़ाई तेज हो गई है. अजित पवार के शिंदे सरकार में शामिल होने से ये संकट शुरू हुआ था. अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ पार्टी के नाम और उसके सिंबल को लेकर दावा कर रहे हैं. खुद शरद पवार भी अपनी ही बनाई पार्टी से हाथ धोने की कगार पर हैं. पवार फैमिली दो पीढ़ियां पहले से राजनीति में हैं. इस बीच संकेत मिल रहे हैं कि पवार परिवार की तीसरी पीढ़ी भी सियासत में उतर सकती है. इसमें भी दिलचस्प ये है कि क्या शरद पवार की नातिन और सुप्रिया सुले की बेटी और अजित पवार के बेटे आमने-सामने हो सकते हैं. इसके कयास क्यों लगाए जा रहे हैं, आइए इसके बारे में जान लेते हैं.
क्या महाराष्ट्र में होगा रेवती सुले Vs पार्थ पवार?
राजनीतिक गलियारों में पवार फैमिली की आपसी खींचतान तीसरी पीढ़ी तक पहुंचने की चर्चा जोरों पर है. दरअसल, बीते सोमवार को रेवती सुले और पार्थ पवार खुद चुनाव आयोग पहुंचे थे. पार्थ ने तो इस दौरान मीडिया से भी बात की थी. आइए जानते हैं कि पार्थ सुले और पार्थ पवार कौन हैं और महाराष्ट्र की सियासत में ये दोनों क्यों अहम साबित हो सकते हैं.
कौन हैं रेवती सुले?
बता दें कि रेवती सुले, सदानंद सुले और सुप्रिया सुले की बेटी हैं. महाराष्ट्र के सबसे बड़े सियासी दिग्गजों में से एक शरद पवार उनके नाना लगते हैं. रेवती सुले अपनी मां सुप्रिया सुले के साथ एनसीपी पार्टी पर अधिकार वाले मामले की सुनवाई के लिए चुनाव आयोग पहुंची थीं. रेवती सुले ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है. उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. रेवती सुले के चुनाव आयोग तक पहुंचने से कयास लगाए जाने लगे हैं कि वो भी आगे चलकर अपनी मां की तरह राजनीति में उतर सकती हैं.
सियासत में क्यों अहम हैं रेवती सुले?
रेवती सुले का राजनीति में उतरना इसलिए भी तय माना जा रहा है क्योंकि वो अक्सर अपनी मां सुप्रिया सुले और नाना शरद पवार के साथ नजर आती रहती हैं. उसकी फोटोज भी सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं. जनता से संपर्क बनाए रखती हैं. उन्होंने पढ़ाई भी लोक प्रशासन से की है जो सब्जेक्ट जनता से सीधे संबंध रखता है. रेवती सुले का मां के साथ पार्टी की लड़ाई के लिए चुनाव आयोग तक जाना इसकी तरफ इशारा करता है. इसमें भी दिलचस्प ये है कि जहां एक तरफ रेवती सुले, शरद पवार गुट के लिए फ्रेश चेहरा हैं तो दूसरी तरफ अजित पवार गुट के पास उनके बेटे पार्थ पवार हैं. ऐसे में इन दोनों का आमना-सामना हो सकता है.
राजनीति में पहले ही कदम रख चुके हैं पार्थ पवार?
गौरतलब है कि पार्थ पवार तो पहले ही राजनीति के मैदान में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. हालांकि, पार्थ पवार को अपने पहले प्रयास में शिकस्त मिली थी. पार्थ पवार ने 2019 के लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई थी लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल सकी थी. चुनाव आयोग पहुंचने पर जब पार्थ पवार से सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि मैं इसपर कोई कमेंट नहीं करना चाहता. मैं कुछ भी इस मामले में फैसला आने के बाद ही बोलूंगा. जल्द ही फिर सुनवाई होगी और फैसला आएगा. तब मैं पार्टी की तरफ से अपनी बात रखूंगा.
पार्थ पवार ने मीडिया से बात करते समय जब कहा कि ईसी का फैसला आने के बाद पार्टी की तरफ से मैं बात रखूंगा तो इससे साफ हो गया कि पार्थ पवार को पार्टी आगे बढ़ा सकती है. इन्हीं सब बातों से इशारा मिल रहा है कि 2024 के चुनाव से पहले जहां शरद पवार गुट रेवती सुले को तो अजित पवार गुट पार्थ पवार को आगे बढ़ा सकता है. हालांकि, इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.