Sharad Pawar News: शरद पवार देखते रह गए, अजित ले उड़े पार्टी... NCP भतीजे की हुई, अब क्‍या करेंगे चाचा?
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Sharad Pawar News: शरद पवार देखते रह गए, अजित ले उड़े पार्टी... NCP भतीजे की हुई, अब क्‍या करेंगे चाचा?

Sharad Pawar NCP: चुनाव आयोग ने फैसला दिया है कि अजित पवार वाले खेमे के पास राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और 'घड़ी' निशान बरकरार रहेगा. शरद पवार को अपनी पार्टी के लिए नया नाम और चुनाव चिन्ह ढूंढना होगा.

Sharad Pawar News: शरद पवार देखते रह गए, अजित ले उड़े पार्टी... NCP भतीजे की हुई, अब क्‍या करेंगे चाचा?

Sharad Pawar News: शरद पवार अपने दांव-पेचों के चलते सियासी गलियारों में 'चाणक्य' कहे जाते हैं. राजनीति का यह पुरोधा अपने ही खेल में, अपने ही भतीजे से मात खा गया. जिस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को शरद पवार ने दशकों तक सींचा, अब उनके पास न तो उसका नाम है, न ही चुनाव चिन्ह. NCP अब अजित पवार गुट की पार्टी को कहा जाएगा. चुनाव आयोग ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया. शरद पवार गुट ने कहा कि जल्द ही उनके नेता नई पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह की घोषणा करेंगे. सीनियर पवार वाला धड़ा चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में भी है. हालांकि, अजित पवार गुट ने बुधवार को ही SC में कैविएट दाखिल कर दिया है. लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ यह घटनाक्रम शरद पवार के सियासी सफर का शायद सबसे बड़ा झटका है. अब सवाल यह है कि शरद पवार आगे क्‍या करेंगे.

सियासत की बिसात पर भतीजे के हाथों मात खाने के बाद शरद पवार के सामने कई चुनौतियां मुंह फैलाए खड़ी हैं.

1. पार्टी का नया नाम और सिंबल क्या होगा?

शरद पवार गुट को सबसे पहले पार्टी का नया नाम और सिंबल तय करना होगा. चुनाव आयोग ने अपने आदेश में शरद पवार खेमे से नई पार्टी का नाम चुनने के लिए कहा था. ECI ने बुधवार शाम 4 बजे तक की मोहलत दी थी. यह जल्दबाजी इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र की छह राज्यसभा सीटों के लिए 27 फरवरी को चुनाव होने हैं. सूत्रों के अनुसार, शरद पवार के गुट ने चुनाव आयोग को तीन नामों के ऑप्शन दिए हैं. साथ ही, चुनाव आयोग से चुनाव चिन्ह के रूप में वट वृक्ष को आवंटित करने को कहा गया है.

1. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार

2. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद चंद्र पवार

3. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदराव पवार

अपने छह दशक लंबे राजनीतिक करियर में, पवार ने कम से कम चार अलग-अलग सिंबल पर चुनाव लड़ा है- बैल की एक जोड़ी, चरखा, गाय और बछड़ा, हाथ और घड़ी. एनसीपी की स्थापना से पहले, वह कांग्रेस, कांग्रेस (आर), कांग्रेस (यू), कांग्रेस (सोशलिस्ट), और कांग्रेस (आई) जैसी पार्टियों में रहे हैं.

2. स्‍पीकर के फैसले का इंतजार

नया नाम और चुनाव चिन्ह हासिल करने के शरद पवार खेमे को एक और लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा. दोनों NCP समूहों के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने का फैसला अभी तक नहीं आया है. मामले की सुनवाई 31 जनवरी को पूरी हुई और 15 फरवरी तक फैसला आने की उम्मीद है.

3. अदालती लड़ाई से भी जूझेगा खेमा

NCP के अजित पवार गुट ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर की. इसमें मांग की गई कि अगर शरद पवार खेमा चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती देने के लिए उसके समक्ष आगे बढ़ता है तो सुनवाई की जाए. इससे पहले, शरद पवार गुट के प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने कहा कि वह एनसीपी का नाम और 'घड़ी' चुनाव चिन्ह अजित पवार गुट को देने के ECI के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

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चाचा और भतीजे में बढ़ती गईं दूरियां

4. वोटर को बदलाव समझाना होगा

लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले, शरद पवार खेमे के लिए नई पार्टी की पहचान स्थापित करना भी बड़ी चुनौती होगा. गांव-गांव में लोग NCP को शरद पवार और 'घड़ी' सिंबल की वजह से जानते हैं. जब तक वोटर्स तक यह जानकारी नहीं पहुंचती, अजित पवार खेमे को फायदा मिलता रह सकता है.

5. INDIA में घटेगा शरद पवार का कद

शरद पवार का खेमा विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन का हिस्सा है. चुनाव आयोग के फैसले के बाद गठबंधन के पवार की बात का वजन थोड़ा घट सकता है. भतीजे से मात खाने के बाद शरद पवार की मोलभाव करने की ताकत कम हो गई है.

अजित पवार ने बार-बार बदला पाला

पिछले साल 2 जुलाई को, अजित पवार ने महाविकास अघाड़ी (MVA) छोड़ दिया था. वह पांचवीं बार उपमुख्यमंत्री बनने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA में शामिल हो गए. इससे पहले, 2019 में अजित पवार ने बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस से हाथ मिलाया था. फिर पवार ने फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. हालांकि तब पार्टी से उनका विद्रोह तीन दिनों से ज्यादा नहीं टिका और वह NCP में लौट आए थे.

जुलाई में डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने के बाद, अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया. फिर चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपने गुट को असली एनसीपी के रूप में मान्यता देने की मांग की.

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